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पशुपालकों और गौशालाओं को मुआवजा और विशेष अनुदान दे सरकार- हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हजारों की तादाद में पशु लंपी बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. लगातार पशुओं की जान जा रही है लेकिन अब तक सरकार की तरफ से जरूरी सक्रियता नहीं दिखाई गई. सरकार को बीमारी के इलाज, सैंपलिंग और टीकाकरण पर जोर देना चाहिए.

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Published : Aug 20, 2022, 12:22 PM IST

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में लंपी बीमारी से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम करने की मांग की (Lumpy disease in Haryana) है. हुड्डा का कहना है कि हजारों की तादाद में पशु बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. लगातार पशुओं की जान जा रही है लेकिन अब तक सरकार की तरफ से जरूरी सक्रियता नहीं दिखाई गई.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को लंपी बीमारी के ईलाज, सैंपलिंग और टीकाकरण पर जोर देना चाहिए. गांव-गांव में चिकित्सकीय कैंप लगाने और संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से दूर रखने की व्यवस्था करनी चाहिए. सरकार के साथ पशुपालकों को भी संक्रमण को रोकने के लिए विशेष अहतियात बरतने की जरूरत है.

हुड्डा ने पशुपालकों और गौशालाओं के लिए भी विशेष अनुदान और मुआवजे की मांग की है. उनका कहना है कि सरकार से उचित अनुदान नहीं मिलने की वजह से मजबूरी में गौशालाओं से बेसहारा पशुओं को बाहर निकाला जा रहा है. उनकी मांग है कि सरकार 50 रुपये प्रति दिन प्रति गोवंश अनुदान गौशालाओं को दे. अगर सरकार ऐसा करती है तो एक भी बेसहारा पशु सड़क पर नहीं मिलेगा. गौशालाओं की इस मांग को कांग्रेस ने विधानसभा में भी उठाया था लेकिन सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसका खामियाजा आज बेजुबान मवेशियों को भुगतना पड़ रहा है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने महज 100 रुपये में पशु बीमा योजना की शुरुआत की थी लेकिन बीजेपी सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया. पशुपालकों की इस अनदेखी का खामियाजा सिर्फ उनको नहीं बल्कि आम लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है क्योंकि लंपी बीमारी के चलते दूध के उत्पादन में भारी कमी आई है इसकी वजह से दूध के रेट बढ़ गए हैं. बीमारी के विस्तृत असर को ध्यान में रखते हुए सरकार को एक विशेष रणनीति तैयार करके बीमारी पर पार पाना होगा.

गौरतलब है कि हरियाणा में लंपी वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है तो वहीं यमुनानगर जिला इस वायरस के मामले में टॉप पर है. यमुनानगर में लंपी वायरस (Lumpi virus in Yamunanagar) का कहर हर गांव तक पहुंच चुका है. अब तक करीब 9 हजार पशु इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 14 ही पशुओं की अब तक मौत हुई है.

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में लंपी बीमारी से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम करने की मांग की (Lumpy disease in Haryana) है. हुड्डा का कहना है कि हजारों की तादाद में पशु बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. लगातार पशुओं की जान जा रही है लेकिन अब तक सरकार की तरफ से जरूरी सक्रियता नहीं दिखाई गई.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को लंपी बीमारी के ईलाज, सैंपलिंग और टीकाकरण पर जोर देना चाहिए. गांव-गांव में चिकित्सकीय कैंप लगाने और संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से दूर रखने की व्यवस्था करनी चाहिए. सरकार के साथ पशुपालकों को भी संक्रमण को रोकने के लिए विशेष अहतियात बरतने की जरूरत है.

हुड्डा ने पशुपालकों और गौशालाओं के लिए भी विशेष अनुदान और मुआवजे की मांग की है. उनका कहना है कि सरकार से उचित अनुदान नहीं मिलने की वजह से मजबूरी में गौशालाओं से बेसहारा पशुओं को बाहर निकाला जा रहा है. उनकी मांग है कि सरकार 50 रुपये प्रति दिन प्रति गोवंश अनुदान गौशालाओं को दे. अगर सरकार ऐसा करती है तो एक भी बेसहारा पशु सड़क पर नहीं मिलेगा. गौशालाओं की इस मांग को कांग्रेस ने विधानसभा में भी उठाया था लेकिन सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसका खामियाजा आज बेजुबान मवेशियों को भुगतना पड़ रहा है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने महज 100 रुपये में पशु बीमा योजना की शुरुआत की थी लेकिन बीजेपी सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया. पशुपालकों की इस अनदेखी का खामियाजा सिर्फ उनको नहीं बल्कि आम लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है क्योंकि लंपी बीमारी के चलते दूध के उत्पादन में भारी कमी आई है इसकी वजह से दूध के रेट बढ़ गए हैं. बीमारी के विस्तृत असर को ध्यान में रखते हुए सरकार को एक विशेष रणनीति तैयार करके बीमारी पर पार पाना होगा.

गौरतलब है कि हरियाणा में लंपी वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है तो वहीं यमुनानगर जिला इस वायरस के मामले में टॉप पर है. यमुनानगर में लंपी वायरस (Lumpi virus in Yamunanagar) का कहर हर गांव तक पहुंच चुका है. अब तक करीब 9 हजार पशु इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 14 ही पशुओं की अब तक मौत हुई है.

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