चंडीगढ़: हरियाणा का बजट सत्र आगामी 2 मार्च से शुरू हो रहा है. इसको लेकर कांग्रेस रणनीति बनाने की तैयारियों में लगी हुई है. नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस दल की बैठक (Congress Party Meeting In Chandigarh) बुलाई. इस बैठक में सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर चर्चा की गई. बृहस्पतिवार को बैठक में चर्चा किए गए मुद्दों को लेकर बात करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें बजट सत्र में उठाया जाएगा. खासतौर पर किसानों के मुद्दे हैं.
हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार में किसानों की हालत दयनीय हो चुकी है. प्रदेश के किसानों की खरीफ की फसल बर्बाद हो गई थी. इस पर राज्य सरकार ने साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये का मुआवजा देने का वादा किया था. अभी तक यह वादा पूरा नहीं किया गया है. सरकार ने किसानों को अब तक मुआवजा के तौर पर एक रुपया भी नहीं दिया. अब बारिश की वजह से किसानों की रबी की फसल भी काफी खराब हो चुकी है. इससे किसानों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में सरकार से क्या उम्मीद कर सकते हैं. क्योंकि किसानों को अभी तक पिछली जो फसल का मुआवजा नहीं दे पाई वे खराब फसल का मुआवजा क्या दे पाएगी.
नेताप्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में पेशन व्यवस्था को लेकर कहा कि हमने पेंशन की कई योजनाएं शुरू की थी. पात्र लोगों को ही पेंशन दी जा रही थी लेकिन सरकार ने परिवार पहचान पत्र बना कर बहुत से लोगों की पेंशन काट दी जो सरासर गलत है. एक तो परिवार पहचान पत्र बनाने का कोई औचित्य नहीं है. दूसरी बात पहचान पत्र के जरिए पेंशन काटना भी गलत है. जो व्यक्ति पेंशनभोगी है उसे किसी वजह से ही पेंशन मिली होगी तो वर्तमान सरकार उसकी पेंशन को कैसे काट सकती है.
अगर हमारी सरकार आएगी तो उन सभी लोगों की पेंशन दोबारा शुरू करवा दी जाएगी.
शिक्षा को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एक तरफ जहां शिक्षा को लेकर खर्च को बढ़ाना चाहिए. वही सरकार शिक्षा के बजट को कम करती जा रही है. सरकार ने एक भी नया शिक्षण संस्थान नहीं खोला. प्रदेश में 46 हजार शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं लेकिन सरकार का कोई ध्यान नहीं है. भाजपा मात्र एक इवेंट मैनेजमेंट पार्टी है जिसे सिर्फ अपने लिए प्रचार करना आता है. इसके अलावा और कुछ नहीं करना आता. इसके अलावा गुरमीत राम रहीम को मिली फरलो को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एक तय सजा काटने के बाद हर कैदी को फरलो पर जेल से बाहर आने का अधिकार है. गुरमीत राम रहीम को भी इसी अधिकार की वजह से फरलो मिली है. इसे चुनाव से जोड़ना गलत है.
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