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विधानसभा में कांग्रेस का प्राइवेट मेंबर बिल खारिज, हुड्डा ने उठाए सवाल

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Published : Mar 5, 2021, 8:38 PM IST

कांग्रेस हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में एपीएमसी में संशोधन को लेकर प्रस्ताव लाई, लेकिन स्पीकर ने तकनीकी खामियां बताते हुए संशोधन को खारिज कर दिया. सरकार की तरफ से ये कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर स्टे लगा रखा है, ऐसे में संशोधन पर चर्चा नहीं हो सकती.

bhupinder hooda
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चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने नजर आए. सत्र के बाद विधानसभा स्पीकर की तरफ से एपीएमसी कानून में लाए गए कांग्रेस के संशोधन को खारिज किया गया. इसके बाद करीबन आधा घंटे से ज्यादा तक सदन में कांग्रेस और सरकार के बीच जमकर बहस हुई.

विधानसभा में सीएम ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन कृषि कानूनों को स्टे करने का हवाला देते हुए एपीएमसी संशोधन पर निजी बिल को खारिज कर दिया है. सरकार का कहना था सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते निजी विधेयक पर सदन में कोई चर्चा नहीं हो सकती. सदन की पहले दिन की कार्यवाही खत्म होने के बाद नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस विधायकों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को जमकर घेरा.

विधानसभा में कांग्रेस का प्राइवेट मेंबर बिल खारिज, हुड्डा ने उठाए सवाल

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एपीएमसी कानून में संशोधन को विधानसभा स्पीकर ने खारिज कर संवैधानिक परंपराओं की पालना नहीं की है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जिसके तहत सदन में इस संशोधन पर चर्चा ना हो सके. हुड्डा ने कहा वो मंडी कानून में बदलाव लाकर एमएसपी से नीचे खरीद पर सजा का प्रावधान करने की मांग कर रहे थे और इससे ये भी पता चलता है कि बीजेपी किसान विरोधी है.

कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि नियमानुसार सरकार उनके बिल को नहीं रोक सकती थी. सदन के बिजनेस रूल के अनुसार सरकार संशोधन का अध्ययन कर सकती है. बिजनेस रूल 45 के अनुसार प्राइवेट बिल पर कानून विभाग की राय लेनी होती, लेकिन उन्होंने कृषि विभाग की राय के लिए लिख दिया.

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इसके बाद सरकार ने तकनीकी खामियां निकालते हुए बेवजह बिल को खारिज कर दिया. बीबी बत्रा ने कहा कि सरकार ने प्राइवेट बिल को खारिज कर विधायिका की शक्तियों को कम करने का प्रयास किया है. स्पीकर और मुख्यमंत्री सदन में विपक्ष के अधिकारों को छीनना चाह रहे हैं.

बीबी बत्रा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए एपीएमसी संशोधन बिल को खारिज कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीनों कृषि कानूनों को स्टे कर दिया गया है. ऐसे में जब ये कानून जमीन पर ही नहीं है तो एपीएमसी कानून में संशोधन से केंद्रीय कानून के साथ कैसे टकराव हो सकता है.

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने नजर आए. सत्र के बाद विधानसभा स्पीकर की तरफ से एपीएमसी कानून में लाए गए कांग्रेस के संशोधन को खारिज किया गया. इसके बाद करीबन आधा घंटे से ज्यादा तक सदन में कांग्रेस और सरकार के बीच जमकर बहस हुई.

विधानसभा में सीएम ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन कृषि कानूनों को स्टे करने का हवाला देते हुए एपीएमसी संशोधन पर निजी बिल को खारिज कर दिया है. सरकार का कहना था सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते निजी विधेयक पर सदन में कोई चर्चा नहीं हो सकती. सदन की पहले दिन की कार्यवाही खत्म होने के बाद नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस विधायकों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को जमकर घेरा.

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एपीएमसी कानून में संशोधन को विधानसभा स्पीकर ने खारिज कर संवैधानिक परंपराओं की पालना नहीं की है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जिसके तहत सदन में इस संशोधन पर चर्चा ना हो सके. हुड्डा ने कहा वो मंडी कानून में बदलाव लाकर एमएसपी से नीचे खरीद पर सजा का प्रावधान करने की मांग कर रहे थे और इससे ये भी पता चलता है कि बीजेपी किसान विरोधी है.

कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि नियमानुसार सरकार उनके बिल को नहीं रोक सकती थी. सदन के बिजनेस रूल के अनुसार सरकार संशोधन का अध्ययन कर सकती है. बिजनेस रूल 45 के अनुसार प्राइवेट बिल पर कानून विभाग की राय लेनी होती, लेकिन उन्होंने कृषि विभाग की राय के लिए लिख दिया.

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इसके बाद सरकार ने तकनीकी खामियां निकालते हुए बेवजह बिल को खारिज कर दिया. बीबी बत्रा ने कहा कि सरकार ने प्राइवेट बिल को खारिज कर विधायिका की शक्तियों को कम करने का प्रयास किया है. स्पीकर और मुख्यमंत्री सदन में विपक्ष के अधिकारों को छीनना चाह रहे हैं.

बीबी बत्रा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए एपीएमसी संशोधन बिल को खारिज कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीनों कृषि कानूनों को स्टे कर दिया गया है. ऐसे में जब ये कानून जमीन पर ही नहीं है तो एपीएमसी कानून में संशोधन से केंद्रीय कानून के साथ कैसे टकराव हो सकता है.

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