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सरकार के फैसले के खिलाफ बैंक कर्मी, बिना श्योरिटी शुगर मिलों को लोन को हाईकोर्ट में दी चुनौती

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Published : Feb 5, 2019, 9:14 PM IST

हाईकोर्ट ने याचिका पर गन्ना किसानों को लेकर लंबित याचिका के साथ सुनवाई के आदेश दिए हैं.

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट.

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के शुगर मिलों को बिना श्योरिटी के लोन देने के निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस निर्णय के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.

हाईकोर्ट ने याचिका पर गन्ना किसानों को लेकर लंबित याचिका के साथ सुनवाई के आदेश दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक, याची ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो जैसे नीरव मोदी बैंकों को चपत लगा कर गया है. वैसे ही शुगरमिल कोऑपरेटिव बैंकों को खाली कर देंगी.

याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा कोऑपरेटिव एपेक्स बैंक एम्पलॉयज यूनियन ने हाईकोर्ट को बताया कि गन्ना किसानों को भुगतान में देरी का कारण मिलों के पास पैसे की कमी को बताया गया था.

मिलों का कहना था कि उनके पास बैंकों को श्योरिटी के रूप में देने के लिए कुछ नहीं हैं. इसके बाद हरियाणा सरकार ने बैंकों को कहा था कि वे बिना श्योरिटी शुगर मिलों को कर्ज दें ताकि किसानों को भुगतान किया जा सके.

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याची ने कहा कि यदि ऐसा किया गया तो शुगर मिलें बैंकों को खाली कर देंगी क्योंकि कर्ज भुगतान न होने की स्थिति में बैंक के पास रिकवरी के लिए कोई श्योरिटी ही नहीं होगी.

हाईकोर्ट ने इसपर याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर कर्मचारियों का जनहित याचिका में आने का क्या औचित्य है जब बैंक नहीं आ रहे. इसपर याची ने कहा कि यह आम लोगों का पैसा है.

ऐसे में मामला जनहित का है. हाईकोर्ट ने याची की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर एक अन्य याचिका के साथ सुनवाई का निर्णय लिया है जो गन्ना किसानों को भुगतान से जुड़ी हुई है.

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के शुगर मिलों को बिना श्योरिटी के लोन देने के निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस निर्णय के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.

हाईकोर्ट ने याचिका पर गन्ना किसानों को लेकर लंबित याचिका के साथ सुनवाई के आदेश दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक, याची ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो जैसे नीरव मोदी बैंकों को चपत लगा कर गया है. वैसे ही शुगरमिल कोऑपरेटिव बैंकों को खाली कर देंगी.

याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा कोऑपरेटिव एपेक्स बैंक एम्पलॉयज यूनियन ने हाईकोर्ट को बताया कि गन्ना किसानों को भुगतान में देरी का कारण मिलों के पास पैसे की कमी को बताया गया था.

मिलों का कहना था कि उनके पास बैंकों को श्योरिटी के रूप में देने के लिए कुछ नहीं हैं. इसके बाद हरियाणा सरकार ने बैंकों को कहा था कि वे बिना श्योरिटी शुगर मिलों को कर्ज दें ताकि किसानों को भुगतान किया जा सके.

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याची ने कहा कि यदि ऐसा किया गया तो शुगर मिलें बैंकों को खाली कर देंगी क्योंकि कर्ज भुगतान न होने की स्थिति में बैंक के पास रिकवरी के लिए कोई श्योरिटी ही नहीं होगी.

हाईकोर्ट ने इसपर याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर कर्मचारियों का जनहित याचिका में आने का क्या औचित्य है जब बैंक नहीं आ रहे. इसपर याची ने कहा कि यह आम लोगों का पैसा है.

ऐसे में मामला जनहित का है. हाईकोर्ट ने याची की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर एक अन्य याचिका के साथ सुनवाई का निर्णय लिया है जो गन्ना किसानों को भुगतान से जुड़ी हुई है.

Intro:बिना गारंटी शुगर मिलों को कर्ज दिया तो नीरव मोदी की तरह मिलें खाली कर देंगी बैंक

-बिना गारंटी मिलों को कर्ज देने के हरियाणा सरकार के आदेश के खिलाफ खाचिका पर याची ने दी दलील

-कोऑपरेटिव बैंकों के कर्मचारियों ने याचिका दाखिल कर फैसला रद्द करने की अपील की 


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चंडीगढ़। 

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में बैंक कर्मचारियों ने याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा सरकार के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत शुगर मिलों को बिना श्योरिटी लोन देने का निर्णय लिया गया है। याची ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो जैसे नीरव मोदी बैंकों को चपत लगा कर गया है वैसे ही शुगरमिल कोऑपरेटिव बैंकों को खाली कर देंगी। हाईकोर्ट ने याचिका पर गन्ना किसानों को लेकर लंबित याचिका के साथ सुनवाई के आदेश दिए हैं। 

याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा कोऑपरेटिव एपेक्स बैंक एम्पलॉयज यूनियन ने हाईकोर्ट को बताया कि गन्ना किसानों को भुगतान में देरी का कारण मिलों के पास पैसे की कमी को बताया गया था। मिलों का कहना था कि उनके पास बैंक को श्योरिटी के रूप में देने के लिए कुछ नहीं है। इसके बाद हरियाणा सरकार ने बैंकों को कहा था कि वे बिना श्योरिटी शुगर मिलों को कर्ज दें ताकि किसानों को भुगतान किया जा सके। याची ने कहा कि यदि ऐसा किया गया तो शुगर मिलें बैंकों को खाली कर देंगी क्योंकि कर्ज भुगतान न होने की स्थिति में बैंक  के पास रिकवरी के लिए कोई श्योरिटी ही नहीं होगी। हाईकोर्ट ने इसपर याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर कर्मचारियों का जनहित याचिका में आने का क्या औचित्य है जब बैंक नहीं आ रहे। इसपर याची ने कहा कि यह आम लोगों का पैसा है और ऐसे में मामला जनहित का है। हाईकोर्ट ने याची की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर एक अन्य याचिका के साथ सुनवाई का निर्णय लिया है जो गन्ना किसानों को भुगतान से जुड़ी हुई है। 




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