चंडीगढ़: रॉक गार्डन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है. ये एक ऐसी जगह है जहां पर बेकार और टूटे-फूटे सामान को सुंदर कलाकृतियों में बदलकर लोगों के सामने पेश किया गया है. रॉक गार्डन की स्थापना स्वर्गीय नेक चंद सैनी ने 1957 में की थी.
नेक चंद से प्रेरित होकर चंडीगढ़ के रहने वाले बलजिंदर सिंह ने भी अपने घर में रॉक गार्डन जैसी कलाकृतियां तैयार की हैं जो उन कलाकृतियों के जैसे ही सुंदर हैं. बलजिंदर इसे मिनी रॉक गार्डन कहते हैं. बलजिंदर पेशे से स्कूल बस ड्राइवर है. हमने इस मौके पर बलजिंदर सिंह से बात की और उनकी बनाई कलाकृतियों के बारे में जाना.
बलजिंदर ने बचपन के सपने को किया पूरा
बलजिंदर सिंह ने बताया कि वो एक स्कूल में बस चालक हैं और उनका पूरा दिन स्कूल में ही बितता है. रॉक गार्डन उन्हें बचपन से ही आकर्षित करता रहा है. उनके दादा उन्हें कई बार रॉक गार्डन घुमाने के लिए ले जाते थे. वहां पर नेक चंद की बनाई कलाकृतियां उन्हें बहुत अच्छी लगती थी और वो चाहते थे कि वो भी कभी इस तरह की कलाकृतियां बनाएं.
बलजिंदर ने किया वक्त का सही इस्तेमाल
बलजिंदर सिंह ने कहा कि लॉकडाउन लगने के बाद पूरा दिन घर पर ही रहते थे और तब उनके मन में आया कि इस समय का उपयोग अपने शौक को पूरा करने के लिए करना चाहिए. उन्होंने बेकार सामान को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. उसके बाद उन्होंने मूर्तियों का निर्माण भी करना शुरू किया. पहले एक मूर्ति बनाई वो काफी अच्छी बनी थी, जिसके बाद उनका उत्साह और बढ़ गया और उन्होंने दूसरी मूर्तियां बनानी भी शुरू की. अब तक वो करीब 15 कलाकृतियां बना चुके हैं.
बलजिंदर सिंह ने कहा कि चंडीगढ़ में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अलग तरीके से रचनात्मक काम करते हैं, लेकिन उन्हें ज्यादा प्रोत्साहन नहीं मिल पाता. इसलिए वो चंडीगढ़ प्रशासन से ये मांग करते हैं कि स्वर्गीय नेक चंद के नाम पर एक पुरस्कार की घोषणा की जाए और इस पुरस्कार को हर साल उन लोगों को दिया जाए जो इस तरह के रचनात्मक काम कर रहे हैं. इससे उन्हें काफी प्रोत्साहन मिलेगा.
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