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चार राज्यों के चुनावी नतीजों के हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के लिए क्या है मायने ? - बीजेपी का बढ़ा मनोबल

Assembly Election Result Impact on Haryana : 2023 के विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ गए है. तीन राज्यों में बीजेपी को जनता ने सरकार बनाने का मौका दिया है, जबकि एक राज्य तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती नज़र आ रही है. अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इन विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर साफ तौर पर हरियाणा विधानसभा चुनाव पर भी पड़ना तय माना जा रहा है.

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चार राज्यों के चुनावी नतीजों के हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के लिए क्या है मायने ?
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 3, 2023, 9:23 PM IST

चंडीगढ़ : 2023 में विधानसभा चुनाव में हुई जीत बीजेपी के लिए उसका मनोबल बढ़ाने वाली है. वहीं कांग्रेस के लिए नतीजे थोड़ी खुशी, ज्यादा गम वाले हैं क्योंकि कांग्रेस ने जहां तेलंगाना में बड़ी जीत हासिल की है तो वहीं हिंदी पट्टी के दो राज्यों में सत्ता गंवा दी है. मध्य प्रदेश में जहां बीजेपी सत्ता बचाने में कामयाब रही तो वहीं छत्तीसगढ़ में उसे सत्ता पर काबिज होने का दोबारा मौका मिला है.

गुटों में बंटी है कांग्रेस : हरियाणा के लिहाज से बात करें तो इन दोनों राज्यों में प्रभारी की जिम्मेदारी हरियाणा के दो दिग्गज कांग्रेसी नेताओं पर थी, जिनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रहीं कुमारी शैलजा शामिल हैं. हरियाणा में ये बात जग जाहिर है कि कांग्रेस पार्टी गुटों में बंटी है. एक गुट नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, तो वहीं रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी अलग से चलते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे में हरियाणा कांग्रेस के लिए ये चुनावी नतीजे कई मायनों में अहम हैं.

बीजेपी का बढ़ा मनोबल : राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि निश्चित तौर पर ये चुनावी परिणाम बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाले हैं. लेकिन हरियाणा में बीजेपी को एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर से लड़ने के लिए बेहतर रणनीति के साथ मैदान में उतरने की जरूरत है. हरियाणा कांग्रेस को लेकर वे कहते हैं कि इन चुनावी नतीजे के बाद पार्टी को सबसे पहले अपनी कमियों पर आत्म मंथन करने की जरूरत है. अगर कांग्रेस को मौजूदा सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर का पूरा फायदा उठाना है तो उसे पहले अपने घर को ऑर्डर में लाना होगा. वे कहते हैं कि जब तक हरियाणा कांग्रेस के तमाम नेता एक मंच पर एक आवाज में लोगों के सामने मौजूदा सरकार की विफलताओं के साथ जनता के लिए अपने एजेंडे को एक आवाज़ में एक मंच से एक साथ नहीं रखेंगे तो उसके लिए हरियाणा की सत्ता में वापसी करना आसान नहीं होगा. जहां तक बात रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा की है तो निश्चित तौर पर अगर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनती तो इन दोनों नेताओं के साथ-साथ पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ता.

कांग्रेस को मंथन की जरूरत : वहीं राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि तीन बड़े प्रदेशों में बीजेपी को मिली जीत हरियाणा में उसके कैडर का मनोबल बढ़ाने वाली है. बीजेपी के कार्यकर्ताओं में इस जीत से उत्साह है. लेकिन कांग्रेस पार्टी को इन चुनावी नतीजे के बाद हरियाणा में मंथन करने की जरूरत है. वे कहते हैं कि हरियाणा में पार्टी की जो गुटबाजी है, उसका अगर वक्त रहते समाधान नहीं निकाला गया तो कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. वे कहते हैं कि जहां तक बात मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ प्रभारी रहे रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा की है तो अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस पार्टी जीत जाती तो इन दोनों नेताओं का कांग्रेस हाई कमान के सामने कद बढ़ता और हरियाणा की सियासत में उनकी बात को पार्टी और ज्यादा गंभीरता से लेती. लेकिन चुनावी नतीजे उस तरह के नहीं आए हैं. अगर इन दो राज्यों में कांग्रेस जीत जाती तो, हरियाणा में जिस संगठन को कांग्रेस अभी तक घोषित नहीं कर पाई है, उसमें शायद इन लोगों की आवाज़ को और ज्यादा तरजीह दी जाती.

ये भी पढ़ें : चुनाव में बीजेपी की जीत पर बोले सीएम मनोहर लाल खट्टर, कांग्रेस की फ्री की चीज़ों को जनता ने नकारा, दीपेंद्र हुड्डा ने कहा- पार्टी करेगी हार का आंकलन

चंडीगढ़ : 2023 में विधानसभा चुनाव में हुई जीत बीजेपी के लिए उसका मनोबल बढ़ाने वाली है. वहीं कांग्रेस के लिए नतीजे थोड़ी खुशी, ज्यादा गम वाले हैं क्योंकि कांग्रेस ने जहां तेलंगाना में बड़ी जीत हासिल की है तो वहीं हिंदी पट्टी के दो राज्यों में सत्ता गंवा दी है. मध्य प्रदेश में जहां बीजेपी सत्ता बचाने में कामयाब रही तो वहीं छत्तीसगढ़ में उसे सत्ता पर काबिज होने का दोबारा मौका मिला है.

गुटों में बंटी है कांग्रेस : हरियाणा के लिहाज से बात करें तो इन दोनों राज्यों में प्रभारी की जिम्मेदारी हरियाणा के दो दिग्गज कांग्रेसी नेताओं पर थी, जिनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रहीं कुमारी शैलजा शामिल हैं. हरियाणा में ये बात जग जाहिर है कि कांग्रेस पार्टी गुटों में बंटी है. एक गुट नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, तो वहीं रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी अलग से चलते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे में हरियाणा कांग्रेस के लिए ये चुनावी नतीजे कई मायनों में अहम हैं.

बीजेपी का बढ़ा मनोबल : राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि निश्चित तौर पर ये चुनावी परिणाम बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाले हैं. लेकिन हरियाणा में बीजेपी को एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर से लड़ने के लिए बेहतर रणनीति के साथ मैदान में उतरने की जरूरत है. हरियाणा कांग्रेस को लेकर वे कहते हैं कि इन चुनावी नतीजे के बाद पार्टी को सबसे पहले अपनी कमियों पर आत्म मंथन करने की जरूरत है. अगर कांग्रेस को मौजूदा सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर का पूरा फायदा उठाना है तो उसे पहले अपने घर को ऑर्डर में लाना होगा. वे कहते हैं कि जब तक हरियाणा कांग्रेस के तमाम नेता एक मंच पर एक आवाज में लोगों के सामने मौजूदा सरकार की विफलताओं के साथ जनता के लिए अपने एजेंडे को एक आवाज़ में एक मंच से एक साथ नहीं रखेंगे तो उसके लिए हरियाणा की सत्ता में वापसी करना आसान नहीं होगा. जहां तक बात रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा की है तो निश्चित तौर पर अगर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनती तो इन दोनों नेताओं के साथ-साथ पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ता.

कांग्रेस को मंथन की जरूरत : वहीं राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि तीन बड़े प्रदेशों में बीजेपी को मिली जीत हरियाणा में उसके कैडर का मनोबल बढ़ाने वाली है. बीजेपी के कार्यकर्ताओं में इस जीत से उत्साह है. लेकिन कांग्रेस पार्टी को इन चुनावी नतीजे के बाद हरियाणा में मंथन करने की जरूरत है. वे कहते हैं कि हरियाणा में पार्टी की जो गुटबाजी है, उसका अगर वक्त रहते समाधान नहीं निकाला गया तो कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. वे कहते हैं कि जहां तक बात मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ प्रभारी रहे रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा की है तो अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस पार्टी जीत जाती तो इन दोनों नेताओं का कांग्रेस हाई कमान के सामने कद बढ़ता और हरियाणा की सियासत में उनकी बात को पार्टी और ज्यादा गंभीरता से लेती. लेकिन चुनावी नतीजे उस तरह के नहीं आए हैं. अगर इन दो राज्यों में कांग्रेस जीत जाती तो, हरियाणा में जिस संगठन को कांग्रेस अभी तक घोषित नहीं कर पाई है, उसमें शायद इन लोगों की आवाज़ को और ज्यादा तरजीह दी जाती.

ये भी पढ़ें : चुनाव में बीजेपी की जीत पर बोले सीएम मनोहर लाल खट्टर, कांग्रेस की फ्री की चीज़ों को जनता ने नकारा, दीपेंद्र हुड्डा ने कहा- पार्टी करेगी हार का आंकलन

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