चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार समाप्त हो चुका है. बीजेपी और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल प्रचार की पिक्चर से पूरी तरह गायब रहे. हरियाणा में आम आदमी पार्टी आधे से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, बावजूद इसके केजरीवाल कैंपेन से पूरी तरह नदारद रहे.
दिल्ली में सत्ता हासिल कर चुकी आम आदमी पार्टी हरियाणा की कुल 90 में से 46 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. खास बात ये है कि हरियाणा दिल्ली से सटा है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य भी है, लेकिन उन्होंने यहां एक भी रैली या जनसभा नहीं की है.
केजरीवाल के पास हरियाणा के लिए नहीं है टाइम !
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए क्यों नहीं पहुंचे हैं, इस सवाल पर सूत्रों की मानें तो दिल्ली में अगले साल जनवरी-फरवरी में संभावित चुनाव हैं और अरविंद केजरीवाल वहां व्यस्त हैं. वहीं पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं के प्रचार में न जाने पर भी सुशील गुप्ता ने दिल्ली चुनाव का हवाला दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी के विधायक चुनाव प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं.
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बता दें कि केजरीवाल की हरियाणा में अनुपस्थिति इसलिए भी चर्चा का विषय बनी रही, क्योंकि केजरीवाल का यहां खास ध्यान रहा है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जेजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी और बाद में दोनों का साथ छूट गया था. अब आम आदमी पार्टी अपने दम पर पचास फीसदी से ज्यादी सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चुनाव से बिल्कुल दूर है.
घोषणा पत्र में दिल्ली के काम का डंका
आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया. पार्टी ने अपने घोषणा पत्र को प्रतिज्ञा पत्र का नाम दिया है. हरियाणा 'आप' के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद और राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने पार्टी का मेनिफेस्टो जारी किया.
घोषणा पत्र जारी करते हुए नवीन जयहिंद ने कहा कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में दिल्ली को मॉडल के रूप में जन-जन तक ले कर जा रही है और हरियाणा में भी उसी तर्ज पर विकास करेगी. राजसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि देश में जहां माना जाता था कि सरकारी स्कूल मतलब खराब स्कूल, सरकारी अस्पताल मतलब खराब अस्पताल जहां न डॉक्टर होंगे न दवाइयां होगी, लेकिन देश में पहली बार जनता में एक उम्मीद जगी है.