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'सियाचीन के शेर' लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का निधन, चंडीगढ़ में हुआ अंतिम संस्कार

अंतिम सांस लेने से 2 दिन पहले शनिवार को पीएम हून ने अपने चंडीगढ़ स्थित ऑफिस में केक काटा था. इसके बाद उन्होंने अपने बेटे और पोते को कहा था कि मुझे कुछ करना है लेकिन क्या करना है, इसके बारे में उन्हें याद नहीं आ रहा है.

लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का निधन
लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का निधन
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Published : Jan 7, 2020, 11:58 AM IST

Updated : Jan 7, 2020, 4:26 PM IST

पंचकूला: 'ऑपरेशन मेघदूत' की अगुवाई करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पीएन उनका निधन हो गया. उन्होंने 91 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. आज चंडीगढ़ के सेक्टर 25 में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

बता दें कि उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन पर फतह हासिल की थी. पीएन हून का जन्मदिन पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था. 1981 में वो पश्चिम कमान के प्रमुख के रूप में रिटायर हुए. इसके बाद 2013 में उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी.

लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का निधन

'ऑपरेशन मेघदूत' के हीरो थे पीएन हीरो
13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने सियाचिन में 'ऑपरेशन मेघदूत' लॉच किया था. खास बात ये थी कि बर्फ में पहने जाने वाले कपड़े और साजो सामान सेना के पास 12 अप्रैल की रात को ही पहुंचे थे. दुनिया के सबसे ऊंचे मैदान-ए-जंग में सीधे टकराव की ये एक तरह से पहली घटना थी. इसे ऑपरेशन मेघदूत का नाम दिया गया था और इसने भारत की सामरिक, रणनीतिक जीत की नींव रखी थी.

रविवार को किया था अस्पताल में भर्ती
बताया जा रहा है कि रविवार सुबह 10 बजे घर के सदस्यों ने देखा कि पीएन हून की हालत ठीक नहीं है. जिसके बाद उन्हें तुरंत कमांड अस्पताल में एडमिट करवाया गया. डॉक्टर ने बताया कि पीएन हून का ब्रेन स्टॉक हुआ है. जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया. बाद में कार्डिक अरेस्ट के बाद उनका निधन हो गया.

ये भी पढ़िए: बीजेपी पढ़ा रही नागरिकता का पाठ, गोहाना में दुकानदारों को दी CAA की जानकारी

चंडीगढ़ में हुआ अंतिम संस्कार

जानकारी के मुताबिक अंतिम सांस लेने से 2 दिन पहले शनिवार को पीएम हून ने अपने चंडीगढ़ स्थित ऑफिस में केक काटा था. इसके बाद उन्होंने अपने बेटे और पोते को कहा था कि मुझे कुछ करना है लेकिन क्या करना है, इसके बारे में उन्हें याद नहीं आ रहा है.

पंचकूला: 'ऑपरेशन मेघदूत' की अगुवाई करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पीएन उनका निधन हो गया. उन्होंने 91 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. आज चंडीगढ़ के सेक्टर 25 में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

बता दें कि उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन पर फतह हासिल की थी. पीएन हून का जन्मदिन पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था. 1981 में वो पश्चिम कमान के प्रमुख के रूप में रिटायर हुए. इसके बाद 2013 में उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी.

लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का निधन

'ऑपरेशन मेघदूत' के हीरो थे पीएन हीरो
13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने सियाचिन में 'ऑपरेशन मेघदूत' लॉच किया था. खास बात ये थी कि बर्फ में पहने जाने वाले कपड़े और साजो सामान सेना के पास 12 अप्रैल की रात को ही पहुंचे थे. दुनिया के सबसे ऊंचे मैदान-ए-जंग में सीधे टकराव की ये एक तरह से पहली घटना थी. इसे ऑपरेशन मेघदूत का नाम दिया गया था और इसने भारत की सामरिक, रणनीतिक जीत की नींव रखी थी.

रविवार को किया था अस्पताल में भर्ती
बताया जा रहा है कि रविवार सुबह 10 बजे घर के सदस्यों ने देखा कि पीएन हून की हालत ठीक नहीं है. जिसके बाद उन्हें तुरंत कमांड अस्पताल में एडमिट करवाया गया. डॉक्टर ने बताया कि पीएन हून का ब्रेन स्टॉक हुआ है. जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया. बाद में कार्डिक अरेस्ट के बाद उनका निधन हो गया.

ये भी पढ़िए: बीजेपी पढ़ा रही नागरिकता का पाठ, गोहाना में दुकानदारों को दी CAA की जानकारी

चंडीगढ़ में हुआ अंतिम संस्कार

जानकारी के मुताबिक अंतिम सांस लेने से 2 दिन पहले शनिवार को पीएम हून ने अपने चंडीगढ़ स्थित ऑफिस में केक काटा था. इसके बाद उन्होंने अपने बेटे और पोते को कहा था कि मुझे कुछ करना है लेकिन क्या करना है, इसके बारे में उन्हें याद नहीं आ रहा है.

Intro:'ऑपरेशन मेघदूत' की अगुवाई करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पी एन उनका निधन हो गया है। उन्होंने 91 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन पर फतह हासिल की थी। पीएन हून का जन्मदिन पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन बटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था। 1981 में वे पश्चिम कमान के प्रमुख के रूप में रिटायर हुए। इसके बाद 2013 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी।


Body:13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत लांच किया था। खास बात यह थी कि बर्फ में पहने जाने वाले कपड़े और साजो सामान सेना के पास 12 अप्रैल की रात को ही पहुंचे थे। दुनिया के सबसे ऊंचे मैदान-ए-जंग में सीधे टकराव की यह एक तरह से पहली घटना थी। इसे ऑपरेशन मेघदूत का नाम दिया गया था और इसने भारत की सामरिक रणनीतिक जीत की नींव रखी थी। बताया जा रहा है कि रविवार सुबह 10 बजे घर के सदस्यों ने देखा कि पीएन हून की हालत ठीक नहीं है जिसके बाद उन्हें तुरंत कमांड अस्पताल में एडमिट करवाया गया था।


Conclusion:डॉक्टर ने उन्हें ब्रेन स्टॉक बताया था जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें कार्डिक अरेस्ट के बारे में भी बताया। एडमिट होने के करीब करीब 30 घंटे के बाद उन्होंने कमांड अस्पताल में अंतिम सांस ली। जानकारी के मुताबिक अंतिम सांस लेने से 2 दिन पहले शनिवार को पीएम हून ने अपने चंडीगढ़ स्थित ऑफिस में के काटा था। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे और पोते को कहा था कि मुझे कुछ करना है लेकिन क्या करना है इसके बारे में उन्हें याद नहीं आ रहा। बहरहाल पीएन हून का निधन हो गया है और उनका अंतिम संस्कार चंडीगढ़ के सेक्टर 25 में किया जाएगा।
Last Updated : Jan 7, 2020, 4:26 PM IST
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