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रिहायशी इलाकों में कुछ बदलाव कर कोरोना जैसी महामारी से बचा जा सकता है: डॉ. रविंदर खैवाल - Chandigarh PGI Corona Guidelines

चंडीगढ़ पीजीआई के डॉ. खैवाल ने एक नई बुकलेट तैयार की है. ये बुकलेट खासतौर से रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के लिए है. बुकलेट के माध्यम से डॉ. खैवाल और उनकी टीम ने ये बताने और समझाने की कोशिश की है कि भविष्य में भी कोरोना जैसी महामारी आ सकती है और हमें उससे बचने के लिए किस तरह के प्रयासों और बदलावों की जरूरत है.

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Published : Feb 21, 2021, 4:42 PM IST

चंडीगढ़: पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रविंदर खैवाल ने कोविड को लेकर कई किताबों को तैयार किया है. जिन्हें देशभर में केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया है. ये किताबें कोविड को लेकर जागरुकता और बचाव के बारे में जानकारी देती हैं. इसी कड़ी में डॉ. खैवाल ने एक और किताब को तैयार किया है, जो इस विषय पर आधारित है कि कोरोना जैसी महामारी भविष्य में भी आ सकती है, जिसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

क्लिक कर देखें वीडियो.

'घरों के निर्माण में बदलाव की जरूरत'

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. खैवाल ने कहा कि अब हमें अपने रहन-सहन की जगह और भवन निर्माण में बदलाव करने की जरूरत है. इन जगहों पर थोड़े बहुत बदलाव करने से हम बहुत ही गंभीर संक्रमित बीमारियों से बच सकते हैं. नई किताब इसी विषय पर आधारित है. जिसमें बताया गया है कि जो नए घर बनाए जाएं उसमें ताजी हवा के लिए पर्याप्त खिड़कियां और रोशनदान होने चाहिए, ताकि घर हवादार बनें. इसके अलावा जो रिहायशी इलाके हैं वहां पर भी थोड़े बहुत बदलाव करने की जरूरत है.

ये भी पढे़ं- लॉकडाउन की मार से नहीं उबर पाई हैं करनाल की 250 नर्सरियां, कई बंद होने की कगार पर

'पार्कों में बच्चों और बुजुर्गों के लिए बनाए जाएं विशेष ट्रैक'

उन्होंने कहा कि जैसे आम तौर पर लोग पार्क में घूमते हैं. पार्कों में इस तरह के ट्रैक बनाया जाएं, जिनमें से एक ट्रक सिर्फ आने के लिए हो और दूसरा ट्रैक जाने के लिए हो, ताकि लोग आमने-सामने से एक दूसरे के सामने से ना गुजरें. इन पार्कों में बच्चों के लिए अलग-जगह बनाई जाए और बुजुर्गों के लिए भी अलग बनाई जाए, ताकि दूसरे लोग उस जगह पर ना जाएं.

'अफवाहों को रोकने के लिए आरडब्ल्यूए ग्रुप बनाए'

डॉ. रविंदर खैवाल ने कहा कि जो नई बुकलेट तैयार की गई है वो खासतौर पर रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के लिए है. जिसमें इस तरह के कई सुझाव दिए गए हैं और उन सुझावों को तस्वीरों के माध्यम से समझाया गया है. इसके अलावा ये सुझाव भी दिया गया है कि महामारी को लेकर कई बार गलत जानकारी लोगों तक पहुंचती है. इसके कई माध्यम हो सकते हैं. इसके लिए रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सोशल मीडिया पर इस तरह के ग्रुप बनाएं जो लोगों को सही जानकारी दे सकें और लोगों में किसी तरह की कोई अफवाह ना फैले.

ये भी पढ़ें- अगर आप ड्राइविंग स्कूल चलाते हैं तो जरूरी है ये गाइडलाइन, नहीं तो रद्द हो जाएगा लाइसेंस

'भविष्य में भी गाइडलाइंस का पालन करना बहुत जरूरी'

उन्होंने कहा कि ये बदलाव हमें ना सिर्फ कोरोना बल्कि कई अन्य संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचा सकते हैं. साथ ही साथ अगर भविष्य में ऐसी महामारी फिर से आती है तब भी हम उससे अपना बचाव कर सकते हैं. डॉ. खैवाल ने कहा कि जब कोरोना की शुरुआत हुई थी उस समय सरकार की ओर से कई गाइडलाइन जारी की गई थी, लेकिन तब लोगों ने उन्हें ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन अब हम ये सीख चुके हैं की बीमारियों से बचाव के लिए जो भी गाइडलाइन जारी हों उसका पालन करना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- प्रतिबंध के बाद भी हरियाणा में खुलेआम बिक रहा तंबाकू-गुटखा, देखिए रिपोर्ट

चंडीगढ़: पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रविंदर खैवाल ने कोविड को लेकर कई किताबों को तैयार किया है. जिन्हें देशभर में केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया है. ये किताबें कोविड को लेकर जागरुकता और बचाव के बारे में जानकारी देती हैं. इसी कड़ी में डॉ. खैवाल ने एक और किताब को तैयार किया है, जो इस विषय पर आधारित है कि कोरोना जैसी महामारी भविष्य में भी आ सकती है, जिसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.

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'घरों के निर्माण में बदलाव की जरूरत'

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. खैवाल ने कहा कि अब हमें अपने रहन-सहन की जगह और भवन निर्माण में बदलाव करने की जरूरत है. इन जगहों पर थोड़े बहुत बदलाव करने से हम बहुत ही गंभीर संक्रमित बीमारियों से बच सकते हैं. नई किताब इसी विषय पर आधारित है. जिसमें बताया गया है कि जो नए घर बनाए जाएं उसमें ताजी हवा के लिए पर्याप्त खिड़कियां और रोशनदान होने चाहिए, ताकि घर हवादार बनें. इसके अलावा जो रिहायशी इलाके हैं वहां पर भी थोड़े बहुत बदलाव करने की जरूरत है.

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'पार्कों में बच्चों और बुजुर्गों के लिए बनाए जाएं विशेष ट्रैक'

उन्होंने कहा कि जैसे आम तौर पर लोग पार्क में घूमते हैं. पार्कों में इस तरह के ट्रैक बनाया जाएं, जिनमें से एक ट्रक सिर्फ आने के लिए हो और दूसरा ट्रैक जाने के लिए हो, ताकि लोग आमने-सामने से एक दूसरे के सामने से ना गुजरें. इन पार्कों में बच्चों के लिए अलग-जगह बनाई जाए और बुजुर्गों के लिए भी अलग बनाई जाए, ताकि दूसरे लोग उस जगह पर ना जाएं.

'अफवाहों को रोकने के लिए आरडब्ल्यूए ग्रुप बनाए'

डॉ. रविंदर खैवाल ने कहा कि जो नई बुकलेट तैयार की गई है वो खासतौर पर रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के लिए है. जिसमें इस तरह के कई सुझाव दिए गए हैं और उन सुझावों को तस्वीरों के माध्यम से समझाया गया है. इसके अलावा ये सुझाव भी दिया गया है कि महामारी को लेकर कई बार गलत जानकारी लोगों तक पहुंचती है. इसके कई माध्यम हो सकते हैं. इसके लिए रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सोशल मीडिया पर इस तरह के ग्रुप बनाएं जो लोगों को सही जानकारी दे सकें और लोगों में किसी तरह की कोई अफवाह ना फैले.

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'भविष्य में भी गाइडलाइंस का पालन करना बहुत जरूरी'

उन्होंने कहा कि ये बदलाव हमें ना सिर्फ कोरोना बल्कि कई अन्य संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचा सकते हैं. साथ ही साथ अगर भविष्य में ऐसी महामारी फिर से आती है तब भी हम उससे अपना बचाव कर सकते हैं. डॉ. खैवाल ने कहा कि जब कोरोना की शुरुआत हुई थी उस समय सरकार की ओर से कई गाइडलाइन जारी की गई थी, लेकिन तब लोगों ने उन्हें ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन अब हम ये सीख चुके हैं की बीमारियों से बचाव के लिए जो भी गाइडलाइन जारी हों उसका पालन करना जरूरी है.

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