चंडीगढ़: इन दिनों दिल्ली-एनसीआर समेत हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में एयर क्वालिटी खराब श्रेणी में होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रदूषण को लेकर इन राज्यों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है. वहीं, एयर क्वालिटी को जानने के लिए आईआईटी दिल्ली के पीएचडी स्कॉलर्स की मदद से एक वैन बनाई गई है. इस वैन का काम सभी राज्यों में बिगड़ी हुई एयर क्वालिटी का डाटा इकट्ठा करना है. अब तक यह वैन पंजाब के 20 इलाकों में घूम चुकी है.
पंजाब यूनिवर्सिटी में वैन के माध्यम से प्रदर्शनी: अभी वैन को पंजाब यूनिवर्सिटी सेक्टर- 25 में एक प्रदर्शनी के लिए रखा गया है. यहां छात्रों के साथ-साथ चंडीगढ़ के आम लोग भी एयर क्वालिटी के बारे में बारीकी से जानकारी ले सकते हैं. इस वैन के माध्यम यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि आखिर प्रदूषण बढ़ने के पीछे क्या मुख्य कारण हैं?
क्या कहते हैं आईआईटी दिल्ली के स्कॉलर?: आईआईटी दिल्ली की स्कॉलर अंजली पांडे ने बताया कि एयर क्वालिटी को मापने के लिए और उस पर रिसर्च करने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी और पीजीआई के कोलैबरेशन के साथ आईआईटी दिल्ली की टीम ने एक विशेष वैन तैयार किया है. इस वैन काम आसपास के क्षेत्र में आब-ओ-हवा मापते रहना है. पीजीआई के प्रोफेसर रविंद्र खेवाल के मार्गदर्शन में आसपास के लोगों को इकट्ठा करते हुए यह जानने की कोशिश की गई है कि उन्हें एयर क्वालिटी को लेकर किस तरह की जानकारी है. वैन के माध्यम से एयर क्वालिटी को लेकर कई तरह के रिसर्च किए जा रहे हैं.
वैन के माध्यम से एयर क्वालिटी को लेकर रिसर्च: एमएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट गुंशनवीर सिंह ने बताया वैन में हमें कई तरह की चीजों के बारे में जानने में मदद मिली. एयर क्वालिटी को कैसे से मापा जाता है इस वैन के माध्यम से जानकारी मिली. इस छोटी सी वैन में कई तरह के मेटल इस्तेमाल किए गए हैं. जिनका काम होता है अलग-अलग तरह के हवाओं को जानना.
प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण: एमएससी एनवायरमेंट के विद्यार्थी आकाश ने बताया कि वैन के अंदर हमने जाना कि किस तरह की केमिकल्स और उपकरणों की मदद से एयर क्वालिटी मापा जा सकता है. एक ओर जहां पराली जलाने को सबसे बड़ा प्रदूषण माना जा रहा है. ऐसे में इस वैन के माध्यम से तथ्यों को इकट्ठा किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य जगहों से आने वाले प्रदूषण को भी इस वैन के माध्यम पहचाना जा सकता है. एक अन्य छात्रा ने बताया कि इस वैन को देखने का एक अलग ही अनुभव रहा. उन्होंने बताया कि वैन के जरिए देखा जा सकता है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण बढ़ने का एक मुख्य कारण है.
क्लीन एयर रिसर्च लेबोरेटरी: वहीं, प्रोफेसर रविंद्र खेवाल ने बताया कि इस वैन को क्लीन एयर रिसर्च लेबोरेटरी का नाम दिया गया है. इसे आईआईटी दिल्ली द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. इसके जरिए आसपास पाई जाने वाली वायु में उनके फाइन पार्टिकल्स को भी मापा जा रहा है. इस वैन के माध्यम से आम लोगों को और छात्रों को जानकारी दी जा रही है. इसके साथ ही चंडीगढ़ के स्कूलों को भी हम लोगों ने आमंत्रित किया है. ताकि छात्रों को बताया जा सके कि कौन-कौन सी चीजें हैं जिसकी वजह से एयर क्वालिटी खराब दिखाई देती है. उन सभी तथ्यों को इस वैन में दिखाया गया है.