करनाल: हरियाणा में मंगलवार यानी 15 जून से धान की रोपाई (Haryana Paddy Plantion) शुरू हो गई है. कई छोटे किसानों ने अपने खेतों में बिना विलंब रोपाई करना शुरू भी कर दिया, लेकिन प्रदेश के बड़े किसानों को एक बड़ी समास्या का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को खेतो में रोपाई करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे (Farm Labours Shortage) हैं और इसकी बड़ी वजह ये है कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर खेतिहर मजदूर प्रदेश से पलायन कर चुके हैं.
बिना मजदूर बड़े किसान परेशानियों का सामना कर रहे हैं. खेतों में धान की रोपाई के लिए नर्सरी भी तैयार है और खेत भी तैयार हैं, लेकिन धान रोपने के लिए उचित रेट पर मजदूर नहीं मिल रहे. किसानों का कहना है कि हर साल धान रोपाई के लिए बिहार से मजदूर आ जाते थे, लेकिन अबकी बार लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार से मजदूर हरियाणा में नहीं पहुंच पाए. जिस वजह से किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
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'मजदूर नहीं मिलने से होगा भारी नुकसान'
करनाल के किसान ओमप्रकाश का कहना है कि मजदूर नहीं मिलने की वजह से उनकी धान रोपाई का समय लेट हो रहा है. जिससे आगे आने वाली फसल की बिजाई भी लेट होगी. इसे पूरे साल का फसल चक्र बिगड़ जाएगा. वहीं लोकल मजदूर इतने नहीं है जिनसे पूरे क्षेत्र में खेतों की रोपाई की जा सके. लोकल किसान इस समय मनमाने रेट ले रहे हैं.
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'सरकार से लॉकडाउन हटाने की मांग'
एक किसान भीम सिंह ने सरकार से गुहार लगाई कि अगर सरकार लॉकडाउन खत्म कर दे तो उत्तर प्रदेश और बिहार से मजदूर यहां पहुंचेंगे और उसके बाद उनकी धान की रोपाई हो सकेगी. उन मजदूरों के बिना धान की रोपाई करना हरियाणा में मुश्किल है. भीम सिंह ने कहा कि जो स्थानीय मजदूर होते हैं पहले वह 2000 से 2500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से धान की रोपाई करते थे, लेकिन अब वह 3500 से 4000 रुपये तक प्रति एकड़ धान की रोपाई कर रहे हैं.
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