चंडीगढ़: शहर में न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 लागू हो गई है. अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हो गई है. जिसके कारण चंडीगढ़ के स्कूलों में कर्मचारी दाखिला प्रक्रिया में व्यस्त हैं. चंडीगढ़ में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने से छात्रों और अध्यापक को समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के बीच एक अलग सा तनाव देखा जा रहा है. जिसके चलते अभिभावक अपनी गुहार लगाने उच्च अधिकारियों तक पहुंच कर रहे हैं.
5 साल तक बाल वाटिका में होगी पढ़ाई : न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने से पहले स्कूलों में पढ़ने वाले 3 से 6 वर्ष की आयु वाले बच्चों को बारहवीं के छात्रों के स्कूली ढांचे में शामिल नहीं किया गया था. लेकिन न्यू एजुकेशन पॉलिसी में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और संख्या ज्ञान पर विशेष ध्यान दिया गया है. इस कड़ी में 5+3+3+5 के पाठ्यक्रम के चलते स्कूलों में बाल वाटिकाएं बनाई गई हैं. ऐसे में तीन वर्ष की आयु में बच्चा आंगनबाड़ी, चार साल में प्री प्राइमरी और पांच साल की उम्र में बाल वाटिका में पढ़ाई करेगा.
न्यू एजुकेशन पॉलिसी से अभिभावक परेशान: एक अप्रैल 2023 से न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 लागू होने के बाद अभिभावकों को दाखिले के लिए एक स्कूल से दूसरे स्कूल में भाग दौड़ करनी पड़ रही है. शिक्षा विभाग की तरफ से जारी निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या के अनुसार ही 45 विद्यार्थी का एक सेक्शन होगा. वहीं न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार प्राइमरी में बाल वाटिका से पांचवी कक्षा तक एक सेक्शन में 25, जबकि छठीं से आठवीं कक्षा में 30 से 35 विद्यार्थी होंगे.
छात्रों की अधिक संख्या के कारण बदले नियम: शिक्षा विभाग के पास 1 लाख 65 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं. चंडीगढ़ के साथ लगते शहरों से भी छात्र चंडीगढ़ में दाखिला करवाने की कोशिश में हैं. जिसके कारण स्कूलों में शिक्षकों की संख्या के मुताबिक ही सेक्शन बनाए जा रहे हैं. नई पॉलिसी के मुताबिक 30 से 35 विद्यार्थियों एक सेक्शन बनाया जाना था लेकिन छात्रों संख्या को देखते हुए अब इस नियम में बदलाव किया गया है.
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अब 45 छात्र एक सेक्शन में रखे गए हैं लेकिन इसके बावजूद भी 45 से ज्यादा विद्यार्थी होने पर विद्यार्थी को दूसरे स्कूल में भेजा जा रहा है. जिसका अभिभावक विरोध कर रहे हैं. वहीं स्कूलों में दाखिला करवाने पहुंच रहे अभिभावकों को स्कूल प्रशासन यह कह कर वापस भेज रहा है कि उनके पास सीट नहीं है. ऐसे में जिन छात्रों के घर के पास स्कूल है लेकिन उनमें सीट नहीं होने के कारण उन्हें दूर स्थित स्कूलों में ट्रांसफर किया जा रहा है. जिसका अभिभावक विरोध कर रहे हैं.
चंडीगढ़ में शिक्षकों की कमी: ऐसे में अभिभावकों द्वारा दोनों ही मामलों को देखते हुए उच्च अधिकारियों द्वारा गुहार लगाई जा रही है. वहीं शिक्षा विभाग के पास इस समय 3 हजार नियमित शिक्षक हैं. वहीं लंबे समय से 1 हजार से ज्यादा पद खाली चल रहे हैं. न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार अभी भी चंडीगढ़ के स्कूलों में 3 हजार 500 से अधिक शिक्षकों की कमी है.
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ऐसे में भर्ती समय पर नहीं होने के चलते सर्व शिक्षा अभियान के तहत कॉन्ट्रैक्ट परिचय जेबीटी और टीजीटी शिक्षकों की भर्ती विभाग समय-समय पर करता है लेकिन नियमित नौकरी मिलने के बाद पद लगातार खाली हो रहे हैं. न्यू पॉलिसी के मुताबिक हर स्कूल में एक बाल वाटिका शुरू की गई है. पिछले साल के मुकाबले इस साल चंडीगढ़ के स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या अधिक है.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने दिए निर्देश: इसका एक कारण यह भी है कि यहां के स्कूलों ने पिछले सालों के मुकाबले अधिक डेवलपमेंट किया है. एच एस बराड़ ने बताया कि ऐसे में सभी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल को रोजाना मीटिंग में शामिल होने का आदेश दिया गया है. चंडीगढ़ में 112 स्कूलों को 20 क्लस्टर्स में बांटा गया है. वहीं बीते महीनों में 14 क्लस्टर में दिक्कत नहीं देखी गई, लेकिन 5 से 6 क्लस्टर में दाखिले को लेकर परेशानी आ रही है. क्योंकि वहां के प्रिंसिपल क्लस्टर हेड के साथ संवाद नहीं कर रहे हैं.
जिसके चलते स्कूलों में सीट नहीं होने की शिकायत अभिभावकों द्वारा की जा रही है. इसके साथ ही प्रिंसिपल को यह आदेश दिए गए हैं कि वे किसी भी अभिभावक को खाली हाथ न भेजें. जिन स्कूलों में सीटें बच गई हैं, उन स्कूलों में छात्रों की जानकारी सांझा करते हुए दाखिला प्रक्रिया पूरी की जाए. इसके साथ ही शिक्षकों की भर्ती को लेकर भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं. उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में नए शिक्षकों की भर्ती हो जाएगी और वे भी अपनी सेवाएं दे सकेंगे.
प्रारंभिक शिक्षा से बच्चों का होगा पूर्ण विकास: न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार 6 साल की उम्र तक के बच्चे का 85 प्रतिशत शारीरिक और मानसिक विकास हो जाता है. इसलिए प्रारंभिक वर्ष बच्चे के विकास को ध्यान में रखते हुए नए अकादमिक ढांचे में बच्चे को तीन वर्ष की आयु से शामिल किया गया है. इसके बाद पांच वर्ष के बच्चे को आंगनबाड़ी से दूसरी कक्षा तक प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी. वहीं तीसरी से पांचवीं कक्षा तक तीन वर्ष प्रेपरेटरी, छठीं से आठवीं मिडिल और नौवीं से 12वीं तक सेकेंडरी शिक्षा मिलेगी. प्रारंभिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के मस्तिष्क और शरीर का पुर्ण विकास करना है.