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'आग का दरिया पार करने से कम नहीं, सात हजार रुपये सब्सिडी हासिल करना' - abhay chautala paddy crops

इनेलो नेता ने कहा कि भाजपा-जजपा की सरकारी नीतियां किसान विरोधी हैं. इनका एक ही मक़सद है कि किसान को आर्थिक तौर पर किस तरह कमज़ोर किया जाए. इनेलो किसानों के खून पसीने की कमाई को किसान विरोधी सरकार के हाथों नहीं लुटने देगी.

abhay chautala big statement on haryana govt over paddy crops issue
abhay chautala big statement on haryana govt over paddy crops issue
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Published : May 12, 2020, 6:54 PM IST

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों को धान की फसल ना लगाने के बारे में कहा है कि अगर किसान पैसे की चिंता करेगा तो मूल उद्देश्य से पीछे रह जाएगा. इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री के इस कथन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि क्या किसान के पेट नहीं लगा कि वो पैसे की चिंता न करें.

अभय चौटाला ने कहा कि सरकार लॉकडाउन के एक महीने बाद ही झोली फैलाकर मांगने लगी थी. इनेलो नेता ने कहा मुख्यमंत्री जी का ये कहना कि धान का पैसा तो पानी की तरह बह जाता है. शायद सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे राजनेताओं को तो पैसे की क़ीमत का पता नहीं होगी, लेकिन किसान का पैसा तो खून-पसीने की कमाई है. ये कोई हराम की कमाई नहीं जो पानी की तरह बह जाएगी.

इनेलो नेता ने कहा कि अब तक तो प्रदेश के किसान सरकार द्वारा ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ पोर्टल के अनुसार धान की जगह अन्य फसलें बोने पर सात हजार रुपए प्रति एकड़ सब्सिडी मिल जाना, बड़ा आसान सा काम समझ रहे होंगे, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है, ये सात हजार पाने के लिए किसान को खून के आंसू बहाने पड़ेंगे और ये सरकारी फरमान कितना पेचीदगियां से भरा पड़ा है, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं.

इस योजना के बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री आजकल समाचार-पत्रों में खूब बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन इसका कटु सत्य ये है कि मुख्यमंत्री जी कुछ और कह रहे हैं जबकि एग्रीकल्चर विभाग के पोर्टल पर कुछ और ही है, जो बिल्कुल एक-दूसरे के विपरीत है.

इनेलो नेता ने कहा कि पोर्टल के अनुसार किसान को जो सात हजार रुपये मिलने हैं वो भी दो किस्तों में मिलेंगे. आपको कुल रकम में से मात्र 25 फीसदी तो तब मिलेगा जब आप ‘धान’ के अलावा आधी जमीन पर ‘मक्का’ की बिजाई कर देंगे और सरकार उसकी वैरीफिकेशन करेगी.

बकाया 75 फीसदी पैसा किसान को तब मिलेगा जब ‘मक्का’ की फसल पक जाएगी यानी कटाई से कुछ सप्ताह पहले. उन्होंने बताया कि (पोर्टल के अनुसार) इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाना भी आवश्यक होगा नहीं तो वो इस लाभ से वंचित रहेंगे.

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों को धान की फसल ना लगाने के बारे में कहा है कि अगर किसान पैसे की चिंता करेगा तो मूल उद्देश्य से पीछे रह जाएगा. इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री के इस कथन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि क्या किसान के पेट नहीं लगा कि वो पैसे की चिंता न करें.

अभय चौटाला ने कहा कि सरकार लॉकडाउन के एक महीने बाद ही झोली फैलाकर मांगने लगी थी. इनेलो नेता ने कहा मुख्यमंत्री जी का ये कहना कि धान का पैसा तो पानी की तरह बह जाता है. शायद सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे राजनेताओं को तो पैसे की क़ीमत का पता नहीं होगी, लेकिन किसान का पैसा तो खून-पसीने की कमाई है. ये कोई हराम की कमाई नहीं जो पानी की तरह बह जाएगी.

इनेलो नेता ने कहा कि अब तक तो प्रदेश के किसान सरकार द्वारा ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ पोर्टल के अनुसार धान की जगह अन्य फसलें बोने पर सात हजार रुपए प्रति एकड़ सब्सिडी मिल जाना, बड़ा आसान सा काम समझ रहे होंगे, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है, ये सात हजार पाने के लिए किसान को खून के आंसू बहाने पड़ेंगे और ये सरकारी फरमान कितना पेचीदगियां से भरा पड़ा है, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं.

इस योजना के बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री आजकल समाचार-पत्रों में खूब बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन इसका कटु सत्य ये है कि मुख्यमंत्री जी कुछ और कह रहे हैं जबकि एग्रीकल्चर विभाग के पोर्टल पर कुछ और ही है, जो बिल्कुल एक-दूसरे के विपरीत है.

इनेलो नेता ने कहा कि पोर्टल के अनुसार किसान को जो सात हजार रुपये मिलने हैं वो भी दो किस्तों में मिलेंगे. आपको कुल रकम में से मात्र 25 फीसदी तो तब मिलेगा जब आप ‘धान’ के अलावा आधी जमीन पर ‘मक्का’ की बिजाई कर देंगे और सरकार उसकी वैरीफिकेशन करेगी.

बकाया 75 फीसदी पैसा किसान को तब मिलेगा जब ‘मक्का’ की फसल पक जाएगी यानी कटाई से कुछ सप्ताह पहले. उन्होंने बताया कि (पोर्टल के अनुसार) इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाना भी आवश्यक होगा नहीं तो वो इस लाभ से वंचित रहेंगे.

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