चंडीगढ़: विपक्षी दल लगातार कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं आम आदमी पार्टी हरियाणा में सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को और तेज करने जा रही है. जिसके तहत पार्टी के कार्यकर्ता 11 अक्टूबर को करनाल में सीएम आवास को घेरने की तैयारी कर रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता से बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि जब संसद में इस कानून को पास किया जा रहा था. हमने तब भी इसका विरोध किया. बाद में किसानों के साथ सड़कों पर उतरकर भी अपना विरोध जारी रखा. हमने राष्ट्रपति जी को भी आग्रह किया कि वह इस पर हस्ताक्षर ना करें . लेकिन उन्होंने भी हस्ताक्षर करने में जल्दबाजी दिखाई.
सरकार किसानों का हित समझती है तो कानून बनाएं
उन्होंने कहा कि जब हमारी किसी ने नहीं सुनी तब हमारे पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है कि हम किसानों के साथ सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करें. अगर सरकार किसानों का हित सोचती है तो वह कानून बनाए. जिसमें लिखा हो की एमएसपी से कम दाम पर फसल खरीदना कानूनन अपराध माना जाएगा. इसी मांग को लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता 11 अक्टूबर को करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आवास का घेराव करेंगे.
उन्होंने कहा कि भले ही सरकार ने किसानों को फसल बेचने की छूट दी है, लेकिन जब बड़े पूंजीपति किसी भी क्षेत्र में आते हैं तो वहां की सारी अवस्था अपने हाथों में ले लेते हैं. यह पूंजीपति दो-तीन साल किसानों की फसल महंगे दामों पर खरीदेंगे. जिससे मंडियां और आड़ती खत्म हो जाएंगे और उसके बाद यह किसानों को अपने मनमाने दाम देंगे.
'हरियाणा के किसानों को दूसरे राज्यों में मजदूरी करनी पड़ेगी'
जिस तरह जमीन उपजाऊ होने के बाद भी बिहार के किसान हरियाणा और पंजाब में आकर मजदूरी करते हैं. वैसे ही हरियाणा और पंजाब के किसानों को दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. सरकार ने इन पूंजीपतियों को भंडारण की मंजूरी भी दे दी है. इसका असर यह होगा कि जब किसान फसल लेकर आएंगे तो उसे यह बेहद कम दामों में खरीदेंगे और जब वह फसल नहीं रहेगी तब उसे कई गुना ज्यादा दामों पर बेचेंगे.
अकाली दल पर साधा निशाना
इस मौके पर उन्होंने अकाली दल पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब यह बिल पहली बार पेश किया गया था. तब हरसिमरत कौर बादल ने इसकी खूब तारीफ की थी, लेकिन जब पंजाब में इसका विरोध शुरू हो गया और बादल परिवार को लगा कि इस कानून का समर्थन करने पर पंजाब से उनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है तो उन्होंने इन कानूनों का विरोध करना शुरू कर दिया और भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया. यह केवल उनका एक ड्रामा भर था.
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