चंडीगढ़: प्रदेश के हजारों आढ़तियों की बल्ले-बल्ले हो गई है. गेहूं की फसल के लस्टर लॉस के नाम पर खरीद एजेंसियों द्वारा आढ़तियों से वसूली गई करोड़ों रुपये की राशि अब वापस उनके खातों में पहुंच गई है. इसके साथ ही आढ़तियों की लस्टर लॉस की वापसी की प्रमुख मांग पूरी हो गई है. इसके लिए आढ़ती एसोसिएशन ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का आभार व्यक्त किया है. लस्टर लॉस की ये राशि सरकार स्वयं वहन करेगी.
प्रदेश में विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई गेहूं की सरकारी खरीद में खरीद एजेसियों ने लस्टर लॉस के रूप में लस्टर 9 रुपये 62 पैसे प्रति क्विंटल की दर से राशि काट ली थी. प्रदेशभर में लस्टर लॉस की दर क्षेत्रवार भिन्न-भिन्न थी. लस्टर लॉस का आर्थिक बोझ प्रदेश के हजारों आढ़तियों की जेब पर पड़ा था.
आढ़तियों की मांग थी कि उनके खाते से लस्टर लॉस की राशि ना काटी जाए बल्कि सरकार स्वयं इस लॉस को वहन करें. द फूड ग्रेन डीलर एसोसिएशन, उचाना के पदाधिकारियों, सदस्यों सहित अन्य आढ़ती एसोसिएशन ने सितंबर माह में चंडीगढ़ में उप मुख्यमंत्री से मिलकर लस्टर लॉस की रकम वापस करने की मांग की थी. उचाना एसोसिएशन के प्रधान विरेंद्र उचाना ने कहा कि लास्टर लॉस कटने से प्रदेश के आढ़तियों की जेब पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है. उनका कहना था कि प्रदेशभर के हजारों आढ़तियों के खातों से करोड़ों रूपये की राशि हेफेड, फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, हरियाणा वेयर हाउस कारपोरेशन द्वारा वसूली गई थी.
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का जिम्मा संभाल रहे उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस मांग को पूरा करने को लेकर आढ़तियों को लेकर आश्वस्त किया था. आढ़तियों की अब ये मांग पूरी हो गई है और अधिकांश आढ़तियों के लस्टर लॉस की राशि उनके खातों में पहुंच गई है, जिससे प्रदेश के हजारों आढ़तियों को लस्टर लॉस का नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा. प्रदेश सरकार के इस फैसले से प्रदेशभर के करीब 22 हजार गेहूं खरीददारों को करीबन 50 करोड़ रुपये की लस्टर लॉस की राशि उनके खातों में पहुंची है.
क्या है लस्टर लॉस?
लस्टर लॉस गेहूं की चमक को कहा जाता है. जिसमें चमक कम होने पर इसकी कीमत पर असर पड़ता है. जिससे कीमत भी प्रभावित होती है. इसी प्रकार से यदि गेहूं की फसल में टुकड़ा है तो टुकड़े के नाम पर भी कट लगाया जाता है.
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वहीं आढ़तियों द्वारा पीआर के सीजन में गेहूं के सीजन की तरह आढ़तियों के माध्यम से शेड्यूल बनाने की मांग पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने तुरंत प्रभाव से मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारी को फोन करके 25 प्रतिशत किसान सचिव के माध्यम से बुलवाने के निर्देश को लागू करने के आदेश दिए ताकि जो किसान मंडी में आए उसकी फसल बिके. आढ़तियों को पता होता है कि किस किसान की फसल कट चुकी है. आढ़ती के माध्यम से शेड्यूल बनने पर किसान परेशान नहीं होंगेय आढ़तियों द्वारा रखी गई मंडी में बारिश के पानी की निकासी करवाने, उचाना मंडी में आस-पास पार्क बनवाने की मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया.