हिसार: तुगलक वंश के शासक फिरोजशहा तुगलक द्वारा बसाये हिसार शहर और इस लोकसभा पर अब जाट समुदाय का दबदबा है. लगभग 3 दशक से यहां देवीलाल और भजनलाल परिवार जीतता आ रहा है. इस बार फिर हिसार सीट पर चुनाव बेहद रोचक हो गया है क्योंकि यहां अब दो नहीं बल्कि तीन राजनीतिक परिवारों के वंशज अपनी विरासत बचाने के लिए मैदान में हैं.
इस बार 2 नहीं 3 परिवारों के बीच जंग
हिसार में ज्यादातर भजनलाल और देवीलाल परिवारों के बीच सियासी जंग होती रही है. लेकिन इस बार मुकाबला और भी मजेदार हो गया है क्योंकि अबकी बार दो नहीं बल्कि तीन परिवारों के बीच सियासी विरासत की लड़ाई लड़ी जा रही है. बीजेपी ने इस बार हिसार से केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया है. बृजेंद्र सिंह को उनके पिता बीरेंद्र सिंह आईएएस के पद से इस्तीफा दिलाकर राजनीति में लाये हैं. इसलिए उन्होंने अपने बेटे को सियासत में स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. दूसरे हैं भजनलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी के भव्य बिश्नोई. जो अपने पिता कुलदीप बिश्नोई की जगह कांग्रेस की टिकट पर हाथ आजमा रहे हैं. भव्य बिश्नोई को भी उनके पिता कुलदीप बिश्नोई राजनीति में स्थापित करने के लिए हर हद पार करने के लिए तैयार हैं. हिसार सीट से तीसरे उम्मीदवार हैं मौजूदा सांसद दुष्यंत चौटाला जो देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी से आते हैं. ओपी चौटाला के बेटे अजय चौटाला के बड़े पुत्र हैं. उनकी माता नैना चौटाला विधायक हैं और छोटा भाई भी लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहा है. दष्यंत चौटाला के सामने दोहरी चुनौती है. एक तो उन्हें अपनी सीट बचाकर अपनी नई बनी पार्टी को स्थापित करना है और दूसरा अपने पारिवारिक बर्चस्व पर अपना हक बनाना है. इसके लिए उनका पूरा परिवार जीतोड़ मेहनत कर रहा है. अजय चौटाला पैरोल पर जेल से बाहर आकर अपने बेटे की मदद कर रहे हैं.
युवा लगाएंगे नैया पार
हिसार लोकसभा सीट पर युवा मतदाता बड़ा प्रभाव डालेंगे क्योंकि पिछले पांच साल में इस लोकसभा क्षेत्र में 2 लाख से ज्यादा मतदाताओं की संख्या बढ़ी है. मतलब जिसके पक्ष में युवा गया उसकी जीत के आसार बढ़ जाएंगे.
इस बार क्या हैं समीकरण ?
वैसे तो यहां जाट वोटर्स बड़े पैमाने पर चौटाला परिवार को वोट करते हैं. लेकिन इस बार परिवार में दो फाड़ होने की वजह से जाट वोट बैंक में सेंध की उम्मीद है. 2014 से पहले हिसार को भजनलाल परिवार का गढ़ माना था. अजय चौटाला जब कुलदीप बिश्नोई के सामने चुनाव लड़े थे तो हार का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन फिर दुष्यंत चौटाला ने 2014 में कुलदीप बिश्नोई को हरा दिया था. इस बार कुलदीप बिश्नोई के पुत्र चुनाव मैदान में हैं और चौधरी बींरेंद्र सिंह के पुत्र बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं तो अगर चुनाव जाट बनाम गैर जाट हुआ तो भव्य को फायदा हो सकता है. लेकिन दुष्यंत चौटाला अपने काम का नाम लेकर वोट हासिल करने की कोशिश में हैं और बृजेंद्र को बीजेपी का सहारा है.
एक पार्टी से कोई दोबारा नहीं जीता
1967 में बनी हिसार लोकसभा सीट का रोचक तथ्य ये है कि यहां से एक ही पार्टी से कोई सांसद लगातार दोबारा नहीं बना. हालांकि जयप्रकाश इस सीट पर तीन बार जीते लेकिन हर बार अलग-अलग पार्टी से. नीचे देखिये कौन कब जीता.
हिसार के सांसद का रिपोर्ट कार्ड
यहां से युवा दुष्यंत चौटाला सांसद हैं जो संसद में काफी सक्रिय दिखे. उन्होंने संसद की 191 बहस में हिस्सा लिया. 5 साल में दुष्यंत चौटाला ने 582 सवाल पूछे. उन्होंने अपनी सांसद निधि का करीब 80 फीसदी फंड खर्च किया है.
हिसार का इतिहास जानिये
1354 में तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह तुगलक ने हिसार को बसाया था. उस वक्त हिसार का नाम हिसार-ए-फिरोजा हुआ करता था. उसके बाद अकबर के शासनकाल में इस शहर के नाम से फिरोजा हटा दिया गया और सिर्फ हिसार रह गया. हिसार पर कई साम्राज्यों का शासन रहा. तीसरी सदी ई.पू.में मौर्य राजवंश, 13वीं सदी में तुगलक वंश, 16वीं सदी में मुगल साम्राज्य और फिर 19वीं सदी में ब्रटिश साम्राज्य का इस शहर पर कब्जा रहा. अब हिसार की पहचान भारत के सबसे बड़े जस्ती लोहे के उत्पादक के तौर पर होती है. इसीलिए हिसार को इस्पात शहर भी कहा जाता है.