ETV Bharat / state

हरियाणा की बेटी कल्पना चावला की तय थी मौत, फिर भी उनको नासा ने अंतरिक्ष में क्यों भेजा?

आज ही के दिन कल्पना चावला का निधन हुआ था. वह अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं. कल्पना ने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया में उपलब्धियां हासिल कीं, बल्कि तमाम छात्र-छात्राओं को सपने जीना सिखाया.

j
author img

By

Published : Feb 1, 2019, 1:59 PM IST

चंडीगढ़: जिस हरियाणा को बेटियों को पैदा करने से पहले ही मार दिए जाने के लिए जाना जाता था. उसी प्रदेश की बेटी थी कल्पना चावला, अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला. 1 फरवरी, 2003 को कल्पना चावला का निधन हुआ था.


आज ही के दिन कल्पना चावला का निधन हुआ था. वह अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं. कल्पना ने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया में उपलब्धियां हासिल कीं, बल्कि तमाम छात्र-छात्राओं को सपने जीना सिखाया.


भले ही 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ कल्‍पना की उड़ान रुक गई लेकिन आज भी वह दुनिया के लिए एक मिसाल हैं. उनके वे शब्द सत्य हो गए जिसमें उन्होंने कहा था कि “मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं”.


साल 2003 में 1 फरवरी को उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा आखिरी यात्रा साबित हुई. उसी दिन कोलंबिया अंतरिक्ष यान, जिसमें कल्पना अपने 6 साथियों के साथ थीं, पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया. देखते ही देखते अंतरिक्ष यान के अवशेष टेक्सस शहर पर बरसने लगे.

undefined


उनका जन्म वैसे तो 17 मार्च, 1962 को हुआ था लेकिन ऑफिशल जन्म तिथि 1 जुलाई, 1961 दर्ज करवाई गई थी ताकि उनके दाखिले में आसानी हो. करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं.


शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. जब वह आठवीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की. पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे. परिजनों का कहना है कि बचपन से ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में थी. वह अकसर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता बनारसी लाल उनकी इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे.


उन्होंने अंतरिक्ष की प्रथम उड़ान एसटीएस-87 कोलंबिया शटल से संपन्न की. इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी. अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी की. इस सफल मिशन के बाद कल्पना ने अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान कोलंबिया शटल 2003 से भरी.

undefined


कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू हुई. यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था, जो पूरी तरह से विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था.
1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस आने के क्रम में यह यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया. 2003 में इस घटना में कल्पना के साथ 6 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई थी.

पहले ही तय हो गई थी कल्पना चावला की मौत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही पता चल गया था कि ये सुरक्षित जमीन पर नहीं उतरेगा, तय हो गया था कि सातों अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में ही समाएंगे. फिर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई. इसका खुलासा मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने किया था.


अपनी यात्रा के दौरान कल्पना ने चंडीगढ़ के छात्रों के लिए एक संदेश भी भेजा था. संदेश में उन्होंने कहा था,'सपनों को सफलता में बदला जा सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि आपके पास दूरदृष्टि, साहस और लगातार प्रयास करने की लगन हो. आप सभी को जीवन में ऊंची उड़ान के लिए शुभकामनाएं'.

undefined


छात्रों को ऊंची उड़ान भरने की शुभकामना देने वाली कल्पना फिर धरती पर वापस नहीं आ सकी. आगे चलकर अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक छोटे सौर पिंड का नाम कल्पना चावला रख दिया. ऐसे में कल्पना अंतरिक्ष से लेकर धरती तक अब भी हमारे बीच जीवित सी लगती हैं.

चंडीगढ़: जिस हरियाणा को बेटियों को पैदा करने से पहले ही मार दिए जाने के लिए जाना जाता था. उसी प्रदेश की बेटी थी कल्पना चावला, अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला. 1 फरवरी, 2003 को कल्पना चावला का निधन हुआ था.


आज ही के दिन कल्पना चावला का निधन हुआ था. वह अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं. कल्पना ने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया में उपलब्धियां हासिल कीं, बल्कि तमाम छात्र-छात्राओं को सपने जीना सिखाया.


भले ही 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ कल्‍पना की उड़ान रुक गई लेकिन आज भी वह दुनिया के लिए एक मिसाल हैं. उनके वे शब्द सत्य हो गए जिसमें उन्होंने कहा था कि “मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं”.


साल 2003 में 1 फरवरी को उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा आखिरी यात्रा साबित हुई. उसी दिन कोलंबिया अंतरिक्ष यान, जिसमें कल्पना अपने 6 साथियों के साथ थीं, पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया. देखते ही देखते अंतरिक्ष यान के अवशेष टेक्सस शहर पर बरसने लगे.

undefined


उनका जन्म वैसे तो 17 मार्च, 1962 को हुआ था लेकिन ऑफिशल जन्म तिथि 1 जुलाई, 1961 दर्ज करवाई गई थी ताकि उनके दाखिले में आसानी हो. करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं.


शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. जब वह आठवीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की. पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे. परिजनों का कहना है कि बचपन से ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में थी. वह अकसर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता बनारसी लाल उनकी इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे.


उन्होंने अंतरिक्ष की प्रथम उड़ान एसटीएस-87 कोलंबिया शटल से संपन्न की. इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी. अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी की. इस सफल मिशन के बाद कल्पना ने अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान कोलंबिया शटल 2003 से भरी.

undefined


कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू हुई. यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था, जो पूरी तरह से विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था.
1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस आने के क्रम में यह यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया. 2003 में इस घटना में कल्पना के साथ 6 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई थी.

पहले ही तय हो गई थी कल्पना चावला की मौत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही पता चल गया था कि ये सुरक्षित जमीन पर नहीं उतरेगा, तय हो गया था कि सातों अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में ही समाएंगे. फिर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई. इसका खुलासा मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने किया था.


अपनी यात्रा के दौरान कल्पना ने चंडीगढ़ के छात्रों के लिए एक संदेश भी भेजा था. संदेश में उन्होंने कहा था,'सपनों को सफलता में बदला जा सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि आपके पास दूरदृष्टि, साहस और लगातार प्रयास करने की लगन हो. आप सभी को जीवन में ऊंची उड़ान के लिए शुभकामनाएं'.

undefined


छात्रों को ऊंची उड़ान भरने की शुभकामना देने वाली कल्पना फिर धरती पर वापस नहीं आ सकी. आगे चलकर अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक छोटे सौर पिंड का नाम कल्पना चावला रख दिया. ऐसे में कल्पना अंतरिक्ष से लेकर धरती तक अब भी हमारे बीच जीवित सी लगती हैं.

सर, इस खबर से संबंधित वीडियो भेजी जा चुकी है।
FILE NAME : HAR_BHIWANI_INDERVES_ 31JAN_PARDARSHAN
FILE SEND BY FTP
रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 31 जनवरी। 
तीन माह से सफाई कर्मचारियों को नहीं मिल रहा वेतन
जताया विरोध, कहा सात दिन में वेतन नहीं मिला तो करेंगे काम बंद
10 सूत्रीय मांग पत्र उपायुक्त को सौंपा
    जींद उपचुनाव में भले ही भाजपा अच्छे बहुमत से जीत गई हो, परन्तु 2019 के चुनाव में कर्मचारी सरकार के लिए मुसबीत बनने वाले है। यह बात आज भिवानी नगर पालिका संघ के कर्मचारियों ने शहर में धरना-प्रदर्शन करते हुए पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। पिछले तीन माह से नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों को वेतन न मिलने से नाराज इन कर्मचारियों ने शहर के विभिन्न चौराहों से होते हुए प्रदेश सरकार के विरूद्ध नारे लगाएं व अपने 10 सूत्रीय मांग पत्र जिला प्रशासन को सौंपा।
    नगर पालिका कर्मचारी संघ के जिला प्रधान विजय कुमार व कर्मचारी नेता पुरूषोत्तम दानव ने बताया कि 3 माह से कच्चे व पक्के कर्मचारियेां को उनका वेतन नहीं दिया जा रहा। जिसके चलते उन्हे अपना घर खर्च उधार लेकर चलाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि यदि समय रहते यदि एक सप्ताह में उनका वेतन नहीं दिया जाता है तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इसके बाद शहर की सफाई की व्यवस्था का जिम्मा प्रशासन का होगा। कर्मचारी नेताओं ने अपनी 10 सूत्रीय मांग रखते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग का 7वें वेतन का एरियर 2016 से बकाया है, वह कर्मचारियों को दिया जाए। पक्के कर्मचारियों का 2016 से अब तक का जमा पीएफ उन्हे दिया जाए। पहली, दूसरी व तीसरी एसीपी का एरियर दिया जाए। फायर शाखा में काम करने वाले कर्मचारियों को वर्दी व जूता दिया जाए, मृतक कर्मचारियों का जीपीएफ गु्रजुएटी व लीव कैशमेंट की बकाया राशि नगर पालिका कर्मचारियों को दी जाए। नगर पालिका कर्मचारियों के प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला सफाई कर्मचारी भी मौजूद थी तथा वेतन न मिलने को लेकर काफी परेशान नजर आ रही थी। कर्मचारी नेताओं ने साफ कहा कि कर्मचारियों की दमनकारी नीति का जवाब वे 2019 के चुनाव में भाजपा सरकार को देंगे। 

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.