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बुजुर्ग महिला की याचिका पर हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन पर 10 हजार का जुर्माना

हाई कोर्ट ने ये राशि महिला को मुआवजे के तौर पर जारी करने के आदेश दिए हैं.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट
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Published : Apr 23, 2019, 8:36 AM IST

चंडीगढ़: शहर की 82 साल की बुजुर्ग महिला द्वारा हाउसिंग बोर्ड द्वारा की गई सभी मांग पूरी करने के ढाई साल बाद भी प्रोपर्टी उसके नाम न करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

हाई कोर्ट ने ये राशि महिला को मुआवजे के तौर पर जारी करने के आदेश दिए हैं. याचिका दाखिल करते हुए राज रानी ने हाई कोर्ट को बताया कि विवाद सेक्टर-45 के एक मकान से जुड़ा है. इस मकान को 1985 में कृष्णा सचदेवा को अलॉट किया गया था.

1995 में उन्होंने जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ये प्लॉट राजेंद्र को बेच दिया. इसके बाद याची ने राजेंद्र से यह प्लॉट 2009 में खरीदा. जब इस प्लॉट को अपने नाम करवाने के लिए आवेदन किया गया तो बताया गया कि प्लॉट जिसके नाम है उसने दूसरी अलॉटमेंट भी करवाई है और ऐसे में इस प्लॉट को याची के नाम नहीं किया जा सकता. इसके बाद प्रशासन पॉलिसी लेकर आया जिसके तहत 15 प्रतिशत राशि जमा करवाने के बाद प्रोपर्टी नाम की जा सकती है.

इसके लिए बोर्ड ने उनसे करीब साढ़े छह लाख रुपये जमा करवाने को कहा. याची ने ये राशि तीन माह के भीतर जमा करवा दी. इसके बाद याची ने इंतजार किया, लेकिन हाउसिंग बोर्ड की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया. याची ने कहा कि वह एक बुज़ुर्ग महिला है और बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगा सकती है. याचिका पर हाई कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन से जवाब मांगा था. लंबा समय बीत जाने के बावजूद जवाब दाखिल न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है.

चंडीगढ़: शहर की 82 साल की बुजुर्ग महिला द्वारा हाउसिंग बोर्ड द्वारा की गई सभी मांग पूरी करने के ढाई साल बाद भी प्रोपर्टी उसके नाम न करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

हाई कोर्ट ने ये राशि महिला को मुआवजे के तौर पर जारी करने के आदेश दिए हैं. याचिका दाखिल करते हुए राज रानी ने हाई कोर्ट को बताया कि विवाद सेक्टर-45 के एक मकान से जुड़ा है. इस मकान को 1985 में कृष्णा सचदेवा को अलॉट किया गया था.

1995 में उन्होंने जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ये प्लॉट राजेंद्र को बेच दिया. इसके बाद याची ने राजेंद्र से यह प्लॉट 2009 में खरीदा. जब इस प्लॉट को अपने नाम करवाने के लिए आवेदन किया गया तो बताया गया कि प्लॉट जिसके नाम है उसने दूसरी अलॉटमेंट भी करवाई है और ऐसे में इस प्लॉट को याची के नाम नहीं किया जा सकता. इसके बाद प्रशासन पॉलिसी लेकर आया जिसके तहत 15 प्रतिशत राशि जमा करवाने के बाद प्रोपर्टी नाम की जा सकती है.

इसके लिए बोर्ड ने उनसे करीब साढ़े छह लाख रुपये जमा करवाने को कहा. याची ने ये राशि तीन माह के भीतर जमा करवा दी. इसके बाद याची ने इंतजार किया, लेकिन हाउसिंग बोर्ड की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया. याची ने कहा कि वह एक बुज़ुर्ग महिला है और बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगा सकती है. याचिका पर हाई कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन से जवाब मांगा था. लंबा समय बीत जाने के बावजूद जवाब दाखिल न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है.

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