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मोरनी गैंगरेप: आरोपियों की रेग्युलर बेल पर HC ने फैसला रखा सुरक्षित - चंडीगढ़

हाई कोर्ट के आदेशों पर हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने हाई कोर्ट में पेश होकर स्वीकार किया था कि इस पूरे मामले की जांच में पुलिस अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही बरती है.

हाई कोर्ट
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Published : May 31, 2019, 9:48 PM IST

चंडीगढ़: मोरनी के बहुचर्चित गैंग रेप केस के आरोपियों की व्हाट्स एप के जरिए शिनाख्त करवाए जाने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई में एक आरोपी द्वारा मांगी गई नियमित जमानत पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि मामले के 40 में से एक आरोपी अजय कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसका नाम इस मामले में दर्ज एफआईआर में था ही नहीं, न ही पीड़ित या अन्य किसी भी आरोपी ने उसका नाम नहीं लिया था. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी सिर्फ होटल मालिक के कॉल रिकॉर्ड के आधार पर ही जांच आगे बढ़ा रही है.

सिर्फ पीड़िता को व्हाट्सएप्प के जरिए उसकी फोटो दिखाकर उसे नामजद कर गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि किसी भी कानूनी प्रावधान के तहत व्हाट्स एप के जरिए शिनाख्त करवाए जाने का कोई नियम ही नहीं है. इस पर हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तलब करते हुए हरियाणा के डीजीपी को तलब कर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए थे.

नए सिरे से एसआईटी गठित कर जांच शुरू

हाई कोर्ट के आदेशों पर हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने हाई कोर्ट में पेश होकर स्वीकार किया था कि इस पूरे मामले की जांच में पुलिस अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही बरती है. इस केस के 40 संदिग्धों में से अभी सिर्फ 12 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया जा सका है और इन 12 में से 8 आरोपियों की व्हाट्स एप के जरिए ही शिनाख्त करवाई गई थी. डीजीपी ने बताया कि अब इस मामले की जांच के लिए नए सिरे से एसआईटी गठित कर जांच शुरू कर दी गई है.

डीजीपी ने हाईकोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद उन्होंने ने इस मामले की जांच के लिए नए सिरे से एसआईटी गठित किए जाने के आदेश दिए थे और 28 फरवरी को नए सिरे से एसीपी कालका पवन कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया जा चुका है.

चंडीगढ़: मोरनी के बहुचर्चित गैंग रेप केस के आरोपियों की व्हाट्स एप के जरिए शिनाख्त करवाए जाने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई में एक आरोपी द्वारा मांगी गई नियमित जमानत पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि मामले के 40 में से एक आरोपी अजय कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसका नाम इस मामले में दर्ज एफआईआर में था ही नहीं, न ही पीड़ित या अन्य किसी भी आरोपी ने उसका नाम नहीं लिया था. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी सिर्फ होटल मालिक के कॉल रिकॉर्ड के आधार पर ही जांच आगे बढ़ा रही है.

सिर्फ पीड़िता को व्हाट्सएप्प के जरिए उसकी फोटो दिखाकर उसे नामजद कर गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि किसी भी कानूनी प्रावधान के तहत व्हाट्स एप के जरिए शिनाख्त करवाए जाने का कोई नियम ही नहीं है. इस पर हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तलब करते हुए हरियाणा के डीजीपी को तलब कर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए थे.

नए सिरे से एसआईटी गठित कर जांच शुरू

हाई कोर्ट के आदेशों पर हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने हाई कोर्ट में पेश होकर स्वीकार किया था कि इस पूरे मामले की जांच में पुलिस अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही बरती है. इस केस के 40 संदिग्धों में से अभी सिर्फ 12 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया जा सका है और इन 12 में से 8 आरोपियों की व्हाट्स एप के जरिए ही शिनाख्त करवाई गई थी. डीजीपी ने बताया कि अब इस मामले की जांच के लिए नए सिरे से एसआईटी गठित कर जांच शुरू कर दी गई है.

डीजीपी ने हाईकोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद उन्होंने ने इस मामले की जांच के लिए नए सिरे से एसआईटी गठित किए जाने के आदेश दिए थे और 28 फरवरी को नए सिरे से एसीपी कालका पवन कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया जा चुका है.

Intro:मोरनी के बहुचर्चित गैंग रेप मामले के आरोपियों की व्हाट्सप्प के जरिये शिनाख्त करवाए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखाBody:

मोरनी के बहुचर्चित गैंग रेप मामले के आरोपियों की व्हाट्सप्प के जरिये शिनाख्त करवाए जाने के मामले को एक आरोपी द्वारा मांगी गई नियमित जमानत पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है ।
गौरतलब है कि मामले के 40 में से एक आरोपी अजय कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसका नाम इस मामले में दर्ज एफ.आई.आर. में था ही नहीं, न ही पीड़ित या अन्य किसी भी आरोपी ने उसका नाम नहीं लिया था। इस मामले की जांच कर रही एस.आई.टी. सिर्फ होटल मालिक के कॉल रिकॉर्ड के आधार पर ही जाँच आगे बढ़ा रही है। सिर्फ पीड़िता को व्हट्स एप्प के जरिये उसकी फोटो दिखा उसे नामजद कर गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि किसी भी कानूनी प्रावधान के तहत व्हट्स एप्प के जरिये शिनाख्त करवाए जाने का कोई नियम ही नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने इस पुरे मामले की जाँच रिपोर्ट तलब करते हुए हरियाणा के डी.जी.पी. को तलब कर जवाब दिए जाने के आदेश दे दिए थे।
हाई कोर्ट के आदेशों पर हरियाणा के डी.जी.पी. मनोज यादव ने हाई कोर्ट में पेश हो स्वीकार किया था कि इस पुरे मामले की जांच में पुलिस अधिकारीयों ने बड़ी लापरवाही बरती है। इस केस के 40 संदिग्धों में से अभी सिर्फ 12 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया जा सका है और इन 12 में से 8 आरोपियों की व्हाट्स एप के जरिये ही शिनाख्त  करवाई गई थी। डी.जी.पी. ने बताया की अब इस पुरे मामले की जाँच के लिए नए सिरे से एस.आई.टी. गठित कर जाँच शुरू कर दी गई है। 
डी.जी.पी. ने हाईकोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद उन्होंने ने इस पुरे मामले की जाँच के लिए नए सिरे से एस.आई.टी. गठित किये जाने के आदेश दिए थे और 28 फरवरी को नए सिरे से ए.सी.पी. कालका पवन कुमार की अध्यक्षता में एस.आई.टी. का गठन किया जा चूका है। इस एस.आई.टी. में इंस्पेक्टर महावीर, इंस्पेक्टर राजेश कुमारी, साइबर सेल के इंचार्ज इंस्पेक्टर नवीन सरन, एस.आई. बलदेव सिंह, एस.आई. बृजपाल और एस.आई. कमला को शामिल किया गया है। एस.आई.टी. ने पीड़िता के बयान लिए हैं और 14 संदिग्ध जांच में शामिल हो चुके हैं।


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