चंडीगढ़: गेस्ट टीचर्स मामले में पिछले लंबे समय से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में फजीहत झेल रही सरकार के लिए सोमवार को फिर मुसीबत में इजाफा हो गया. हरियाणा सरकार द्वारा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा गेस्ट टीचरों को हटाने संबंधी दिए गए तमाम फैसलों को बाईपास करते हुए गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट-2019 बनाने का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है. सरकार की मुश्किलें इस मामले में तब और बढ़ गई जब हाईकोर्ट ने बहस सुनने के बाद नाराजगी जताते हुए इस मामले में सरकार को नोटिस जारी करते हुए 3 हफ्ते में जवाब तलब कर लिया. हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए ये भी आदेश दिया कि बेंच गेस्ट टीचर्स संबंधी इस कानून पर रोक लगाने के लिए आगामी 24 अप्रैल को सुनवाई करेगी.
जेबीटी एचटेट पास एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पाल के साथ टीजीटी एंव पीजीटी उम्मीदवारों ने संयुक्त रूप से हाईकोर्ट में "गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट-2019" को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता जगबीर मलिक ने गेस्ट टीचर्स के खिलाफ हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 से अब तक पारित किए गए तमाम फैसलों को सिलसिलेवार बेंच के समक्ष रहते हुए इस एक्ट को कोर्ट के फैसलों एंव कानून की धज्जियां उड़ाने वाला कदम बताया.
उन्होंने बेंच को बताया कि इस एक्ट के कारण जेबीटी, टीजीटी व पीजीटी के इन 14000 पदों पर एचटेट पास योग्य उम्मीदवारों की रेगुलर भर्ती नहीं हो पाएगी जो कि संविधान की धारा 14 और 16 का सीधा उल्लंघन है.
बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट की जस्टिस ए.बी. चौधरी एंव जस्टिस अनुपेंद्र सिंह ग्रेवाल की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता के तथ्यों से प्रथम दृष्टया सहमति जताते हुए हरियाणा सरकार, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक मौलिक शिक्षा हरियाणा को नोटिस जारी करके जवाब तलब कर लिया है. हरियाणा सरकार के अधिवक्ता द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए 3 माह की मोहलत देने की मांग को हाईकोर्ट ने ठुकराते हुए 24 अप्रैल तक जवाब देने को कहा. हाईकोर्ट ने ये भी साफ किया कि 24 अप्रैल को हाईकोर्ट इस एक्ट पर रोक लगाने के लिए सुनवाई करेगा.