चंडीगढ़: पीजीआई की विशेष कमेटी ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप अंगदान को लेकर जो सुझाव भेजे हैं. उसमें निकल कर आए आंकड़े हैरान करने वाले हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि अंगदान को आसान तो बनाया जाना चाहिए, लेकिन ये भी सुनिश्चित हो कि लोग पैसे के लिए अंग न बेचें. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर वर्ष 2 हजार लोग पैसे के लिए अपने अंग दान करते हैं.
अपने 16 सुझावों में पीजीआई ने कहा है कि हरियाणा और पंजाब के सभी अस्पतालों में ब्रेन डेड लोगों को सर्टिफिकेट जारी किया जाए और इन लोगों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाए. तमिलनाडू की तर्ज पर ऐसा किया जाना चाहिए और जिला स्तरीय कमेटी बनाकर केंद्र सरकार की सहायता से काउंसलरों की नियुक्ति की जानी चाहिए. ये काउंसलर बेहतर तरीके से ब्रेन डेड मरीजों के रिश्तेदारों को अंगदान के लिए सहमति देने को प्रेरित कर सकते हैं. सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों और काउंसलरों को ब्रेन डेड मरीजों से संपर्क का मौका दिया जना चाहिए. सभी आईसीयू पर बोर्ड हो कि ब्रेन डेड सर्टिफिकेट अनिवार्य है.
कमेटी ने कहा कि एक्ट के अनुसार सहमति कौन दे सकता है और नजदीकी रिश्तेदार कौन है ये स्पष्ट नहीं है. साथ ही नजदीकी रिश्तेदार न होने पर मंजूरी कौन दे सकता है इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिसे हाईकोर्ट स्पष्ट करे.
आईओ व एसएचओ को दी जाए ट्रेनिंग
ट्रांसप्लांट से जुड़े प्रोसेस में देरी न हो इसके लिए सभी आईओ और एसएचओ को आवश्यक ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. इनको ट्रेनिंग देकर मंजूरी की वेरिफिकेशन के समय में कमी लाई जा सकती है.
सेंटर खोले जाएं
हाईकोर्ट को बताया गया कि अंग प्रत्यारोपण के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस है. हरियाणा और पंजाब में एक भी अस्पताल इसके लिए रजिस्टर नहीं है. पीजीआई ने सिफारिश की कि 25 बेड, आईसीयू व अच्छे ऑपरेशन थिएटर वाले अस्पतालों को रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाए.
एक्टिव मेंबर हों सदस्य
पीजीआई कमेटी ने कहा कि हरियाणा व पंजाब में ट्रांसप्लांट सेंटर खोलने के साथ ही इसमें विजिटिंग सर्जन न हो बल्कि ट्रेंड और एक्टिव मेंबर हों. साथ ही अंगों को संभाल कर रखने की भी व्यवस्था हो.
वित्त सहायता जरूरी
पीजीआई ने कहा कि तमिलनाडू सरकार अंगदान करने वाले के इलाज पर प्रति व्यक्ति 70 हजार रुपये की आर्थिक सहायता करती है. ऐसे में इसी तर्ज पर हरियाणा व पंजाब में भी काम किया जाना चाहिए.
स्कूलों में पढ़ाया जाए अंगदान का पाठ
सिफारिश में कहा गया कि 10वीं, 11वीं और 12वीं में छात्रों को अंगदान का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए. छात्र ही भविष्य के नागरिक हैं और ऐसे में वो जागरूक होंगे और अंगदान के लिए आगे आएंगे.
अंगदान देने वालों का हो रिकॉर्ड
पीजीआई ने कहा कि जीवित रहते अंगदान करने की मंजूरी देने वालों का रिकॉर्ड मैंटेन किया जाना चाहिए. मृत्यु होने या ब्रेन डेड होने की स्थिति में इसको उनकी मंजूरी के तौर लिया जाना चाहिए.
धार्मिक संस्थानों और एनजीओ की सहायता
लोगों के मन से भ्रम और भ्रांतियां दूर करने के लिए तथा उन्हें अंगदान के लिए जागरूक व प्रेरित करने के लिए धार्मिक संस्थानों व एनजीओ की मदद ली जानी चाहिए. वे लोगों को बेहतर तरीके से प्रेरित कर सकते हैं क्योंकि अंग दान पर अगले जन्म में अंग न होने जैसी भ्रांतियां समाज में हैं.
कूलिंग ऑफ पीरियड
पैसे के दम पर लोगों से अंग लेने वालों पर रोक लगाने के लिए कोई व्यवस्था की जानी चाहिए. ऐसे में जब अंग लेने वाला किसी का करीबी रिश्तेदार नहीं हो तो अंगदान के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड हो जो 6 सप्ताह से 3 माह के बीच होना चाहिए.