ETV Bharat / state

सिविल अस्पताल में गलत तरीके से की गई भर्ती की रद्द, अब नए सिरे से होंगी नियुक्तियां - भिवानी सिविल अस्पताल न्यूज

ठेकेदार को इन भर्तियों में अनियमितता की शिकायत मिली तो उन्होंने सितंबर महीने के पहले सप्ताह में इसकी शिकायत सिविल सर्जन को करते हुए कहा कि उन्होंने इस तरह की कोई भर्ती नहीं की. इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए.

Wrongful recruitment in bhiwani Civil Hospital canceled now fresh appointments will be made
सिविल अस्पताल में गलत तरीके से की गई भर्ती की रद्द
author img

By

Published : Oct 1, 2020, 8:30 PM IST

भिवानी: जिला सिविल अस्पताल में ठेकेदार के कारिंदे और सिविल अस्पताल के ही एक डिप्टी सिविल सर्जन, डीपीएम और एक क्लर्क की तरफ से ठेकेदार के माध्यम से की गई भर्तियों को रद्द कर दिया है. विभाग ने अब इन भर्तियों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसकी पुष्टि खुद सिविल सर्जन जितेंद्र कादियान ने की है.

बता दें कि प्रदेश सरकार और विभाग ने पिछले महीने सिविल अस्पताल में खाली पड़े 38 पदों की भर्ती को ठेकेदार के माध्यम से भर्ती करने के आदेश जारी किए थे. इस पर ठेकेदार के कारिंदे ने एनएचएम के डिप्टी सिविल सर्जन सुनील कुमार ने 25 अगस्त को ठेकेदार के कारिंदे द्वारा दी गई इन पदों की भर्ती के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट पर सिविल सर्जन के भी हस्ताक्षर करा लिए, जबकि ठेकेदार को इसकी जानकारी ही नहीं थी. दूसरी ओर जब ठेकेदार को इन भर्तियों में अनियमितता की शिकायत मिली तो उन्होंने सितंबर महीने के पहले सप्ताह में इसकी शिकायत सिविल सर्जन को करते हुए कहा कि उन्होंने इस तरह की कोई भर्ती नहीं की. इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए.

जांच के लिए हुई कमेटी गठित

इस पर सिविल सर्जन ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया. उक्त कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर उसकी रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंप दी. जांच कमेटी ने अपनी जांच में यह पाया कि इस मामले में ठेकेदार के कारिंदे के अलावा एन.एच.एम. के डिप्टी सिविल सर्जन सुनील कुमार, डी.पी.एम. और सिविल अस्पताल के एक क्लर्क को शक के दायरे में लाते हुए उनके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी.

कई लोगों को हुआ कारण बताओ नोटिस जारी

इसके बाद सिविल सर्जन ने इस बारे में शक के दायरे में आए सभी लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद सिविल सर्जन ने उन सभी भर्तियों को रद्द करते हुए इन पर नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी कर दिए. उक्त पत्र पर इस मामले में शक के दायरे में आए एनएचएम के सिविल सर्जन ने भी अपने हस्ताक्षर किए हैं और माना कि इन पदों पर नए सिरे से ठेकेदार के माध्यम से नई नियुक्तियां की जाएं. हालांकि भले ही इस मामले में पुराने भर्ती किए कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया हो, लेकिन इस मामले में कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब हर किसी के जेहन में उठ रहे हैं.

'इस गड़बड़ी का ठेकेदार है मुख्य आरोपी'

इसमें पहला सवाल यह है कि आखिर एक महीने से ज्यादा नौकरी कर चुके इन कर्मचारियों को वेतन कौन देगा. इसके अलावा इस मामले में अगर ये हटाए गए कर्मचारी अगर अदालत में चले गए तो उनके विपक्ष में जवाबदेह कौन होगा. वहीं जिस ठेकेदार ने अपने एक कारिंदे को एक प्रकार से पॉवर ऑफ अटार्नी दी थी वह ही यहां उसका सभी तरह का काम करने के लिए अधिकृत है, उक्त कारिंदे का पूरा पता ठेकेदार विभाग को उपलब्ध क्यों नहीं करवा रहा और वह कारिंदा इस समय कहां है, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं क्यों नहीं कराई जा रही.

इस बारे में सिविल सर्जन जितेंद्र कादियान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले भर्ती किए गए कर्मचारियों को वेतन देने का काम ठेकेदार का ही होगा, क्योंकि उनके कारिंदे को ही ठेकेदार ने अपने सभी तरह के काम करने के अधिकार दिए हुए थे. वहीं जब सिविल सर्जन से पूछा गया कि ये हटाए गए कर्मचारी अगर अदालत चले गए तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी. इस पर भी उन्होंने ठेकेदार पर ही अपना ठीकरा फोड़ दिया और कहा कि उनकी ओर से ही यह सब किया गया है.

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में विभाग के जितने भी अधिकारी या कर्मचारी शक के दायरे में आए हैं, वे भले ही अपनी गलती मान लें, लेकिन विभाग उनकी जांच कर इसकी रिपोर्ट सरकार और उच्चाधिकारियों को देगा, ताकि उनके खिलाफ विभागीय या कानूनी कार्रवाई की जा सके. दूसरी ओर इस मामले में खुलकर बात करने वाले ठेकेदार ने कॉल रिसीव करने की भी जहमत नहीं उठाई.

ये भी पढ़िए: बरोदा उपचुनाव में बीजेपी या जेजेपी किस पार्टी का होगा उम्मीदवार? धनखड़ ने दिया ये जवाब

भिवानी: जिला सिविल अस्पताल में ठेकेदार के कारिंदे और सिविल अस्पताल के ही एक डिप्टी सिविल सर्जन, डीपीएम और एक क्लर्क की तरफ से ठेकेदार के माध्यम से की गई भर्तियों को रद्द कर दिया है. विभाग ने अब इन भर्तियों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसकी पुष्टि खुद सिविल सर्जन जितेंद्र कादियान ने की है.

बता दें कि प्रदेश सरकार और विभाग ने पिछले महीने सिविल अस्पताल में खाली पड़े 38 पदों की भर्ती को ठेकेदार के माध्यम से भर्ती करने के आदेश जारी किए थे. इस पर ठेकेदार के कारिंदे ने एनएचएम के डिप्टी सिविल सर्जन सुनील कुमार ने 25 अगस्त को ठेकेदार के कारिंदे द्वारा दी गई इन पदों की भर्ती के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट पर सिविल सर्जन के भी हस्ताक्षर करा लिए, जबकि ठेकेदार को इसकी जानकारी ही नहीं थी. दूसरी ओर जब ठेकेदार को इन भर्तियों में अनियमितता की शिकायत मिली तो उन्होंने सितंबर महीने के पहले सप्ताह में इसकी शिकायत सिविल सर्जन को करते हुए कहा कि उन्होंने इस तरह की कोई भर्ती नहीं की. इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए.

जांच के लिए हुई कमेटी गठित

इस पर सिविल सर्जन ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया. उक्त कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर उसकी रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंप दी. जांच कमेटी ने अपनी जांच में यह पाया कि इस मामले में ठेकेदार के कारिंदे के अलावा एन.एच.एम. के डिप्टी सिविल सर्जन सुनील कुमार, डी.पी.एम. और सिविल अस्पताल के एक क्लर्क को शक के दायरे में लाते हुए उनके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी.

कई लोगों को हुआ कारण बताओ नोटिस जारी

इसके बाद सिविल सर्जन ने इस बारे में शक के दायरे में आए सभी लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद सिविल सर्जन ने उन सभी भर्तियों को रद्द करते हुए इन पर नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी कर दिए. उक्त पत्र पर इस मामले में शक के दायरे में आए एनएचएम के सिविल सर्जन ने भी अपने हस्ताक्षर किए हैं और माना कि इन पदों पर नए सिरे से ठेकेदार के माध्यम से नई नियुक्तियां की जाएं. हालांकि भले ही इस मामले में पुराने भर्ती किए कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया हो, लेकिन इस मामले में कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब हर किसी के जेहन में उठ रहे हैं.

'इस गड़बड़ी का ठेकेदार है मुख्य आरोपी'

इसमें पहला सवाल यह है कि आखिर एक महीने से ज्यादा नौकरी कर चुके इन कर्मचारियों को वेतन कौन देगा. इसके अलावा इस मामले में अगर ये हटाए गए कर्मचारी अगर अदालत में चले गए तो उनके विपक्ष में जवाबदेह कौन होगा. वहीं जिस ठेकेदार ने अपने एक कारिंदे को एक प्रकार से पॉवर ऑफ अटार्नी दी थी वह ही यहां उसका सभी तरह का काम करने के लिए अधिकृत है, उक्त कारिंदे का पूरा पता ठेकेदार विभाग को उपलब्ध क्यों नहीं करवा रहा और वह कारिंदा इस समय कहां है, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं क्यों नहीं कराई जा रही.

इस बारे में सिविल सर्जन जितेंद्र कादियान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले भर्ती किए गए कर्मचारियों को वेतन देने का काम ठेकेदार का ही होगा, क्योंकि उनके कारिंदे को ही ठेकेदार ने अपने सभी तरह के काम करने के अधिकार दिए हुए थे. वहीं जब सिविल सर्जन से पूछा गया कि ये हटाए गए कर्मचारी अगर अदालत चले गए तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी. इस पर भी उन्होंने ठेकेदार पर ही अपना ठीकरा फोड़ दिया और कहा कि उनकी ओर से ही यह सब किया गया है.

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में विभाग के जितने भी अधिकारी या कर्मचारी शक के दायरे में आए हैं, वे भले ही अपनी गलती मान लें, लेकिन विभाग उनकी जांच कर इसकी रिपोर्ट सरकार और उच्चाधिकारियों को देगा, ताकि उनके खिलाफ विभागीय या कानूनी कार्रवाई की जा सके. दूसरी ओर इस मामले में खुलकर बात करने वाले ठेकेदार ने कॉल रिसीव करने की भी जहमत नहीं उठाई.

ये भी पढ़िए: बरोदा उपचुनाव में बीजेपी या जेजेपी किस पार्टी का होगा उम्मीदवार? धनखड़ ने दिया ये जवाब

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.