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निजीकरण के विरोध में मजदूर संगठनों ने भिवानी में किया प्रदर्शन - मजदूर संगठन प्रदर्शन निजीकरण भिवानी

भिवानी में मजदूरों और कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए कि सरकार सार्वजनिक कंपनियों और उपक्रमों का निजीकरण कर रही है.

trade unions protest against privatization in bhiwani
निजीकरण के विरोध में मजदूर संगठनों ने भिवानी में किया प्रदर्शन
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Published : Sep 23, 2020, 3:51 PM IST

भिवानी: बुधवार को भिवानी में ट्रेड यूनियनों ने निजीकरण का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियन के नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार जनता के खून पसीने से बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रही है. इसलिए उनकी मांग है कि केंद्र सरकार अपनी इन गतिविधियों पर लगाम लगाए.

ट्रेड यूनियन नेता बलदेव घनघस ने बताया कि कोरोना महामारी से देश की जनता को बचाने के बजाए सरकार इस महामारी की आड़ में पूंजिपतियों के मुनाफे को बढ़ावा देने पर उतारू है. सरकार मजदूर, कर्मचारियों और किसानों सहित मेहनतकश जनता के साथ दुश्मन जैसा बर्ताव कर रही है. मजदूर कर्मचारियों द्वारा वर्षो से बड़े कष्टों से हासिल अधिकारों को ये सरकार एक-एक कर खत्म कर रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र की मजदूर और किसान विरोधी सरकार ने श्रम कानूनों को खत्म करके उनकी जगर चार लेबर कोड लाकर आठ घंटों की जगह 12 घंटे काम करा रही है. उसके बाद भी जब उसे चैन नहीं आया तो उसने सभी श्रम कानूनों को एक हजार से 12 सौ दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया.

उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल सहित रोजमर्रा की वस्तुएं भी आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही हैं. सरकारी क्षेत्र में नई भर्ती पर रोक लगा दी है. बेरोजगारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. कोरोना काल के दौरान लगभग 2 करोड़ 10 लाख नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों ने अपनी नौकरी गंवाई है, लेकिन ये सरकार उनपर ध्यान देने के बजाए मजदूर और किसानों की कमर तोड़ने पर लगी हुई है. इसलिए उनकी मांग है कि सरकार इन मुद्दों पर ध्यान दे.

ये भी पढ़ें: जींद में पीने का पानी नहीं मिलने से लोग नाराज़, प्रशासन बोला- हमेशा उपलब्ध कराया जल

भिवानी: बुधवार को भिवानी में ट्रेड यूनियनों ने निजीकरण का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियन के नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार जनता के खून पसीने से बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रही है. इसलिए उनकी मांग है कि केंद्र सरकार अपनी इन गतिविधियों पर लगाम लगाए.

ट्रेड यूनियन नेता बलदेव घनघस ने बताया कि कोरोना महामारी से देश की जनता को बचाने के बजाए सरकार इस महामारी की आड़ में पूंजिपतियों के मुनाफे को बढ़ावा देने पर उतारू है. सरकार मजदूर, कर्मचारियों और किसानों सहित मेहनतकश जनता के साथ दुश्मन जैसा बर्ताव कर रही है. मजदूर कर्मचारियों द्वारा वर्षो से बड़े कष्टों से हासिल अधिकारों को ये सरकार एक-एक कर खत्म कर रही है.

उन्होंने कहा कि केंद्र की मजदूर और किसान विरोधी सरकार ने श्रम कानूनों को खत्म करके उनकी जगर चार लेबर कोड लाकर आठ घंटों की जगह 12 घंटे काम करा रही है. उसके बाद भी जब उसे चैन नहीं आया तो उसने सभी श्रम कानूनों को एक हजार से 12 सौ दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया.

उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल सहित रोजमर्रा की वस्तुएं भी आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही हैं. सरकारी क्षेत्र में नई भर्ती पर रोक लगा दी है. बेरोजगारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. कोरोना काल के दौरान लगभग 2 करोड़ 10 लाख नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों ने अपनी नौकरी गंवाई है, लेकिन ये सरकार उनपर ध्यान देने के बजाए मजदूर और किसानों की कमर तोड़ने पर लगी हुई है. इसलिए उनकी मांग है कि सरकार इन मुद्दों पर ध्यान दे.

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