भिवानी: शुक्रवार को दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संगठनों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. सरकार विरोधी इस प्रदर्शन में एटक, सीआईटीयू, एआईयूटीयूसी, इंटक, एचएमएस, सर्व कर्मचारी संघ और सर्व कर्मचारी महासंघ ने हिस्सा लिया.
प्रदर्शन से पहले सभी ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने स्थानीय सुरेंद्र मेमोरियल पार्क में इकठ्ठा होकर जनसभा की. सभा को संबोधित करते हुए सभी ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी को मजदूरों, कर्मचारियों और आमजन के अधिकारों पर हमले के अवसर के रूप में लिया है. बीते तीन महीनों में सरकार ने ये साबित कर दिया कि वह इस बीमारी से लोगों को बचाने के लिए गंभीर नहीं है. जबकि सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने, श्रमिकों के पक्ष में बने कानूनों व अधिकारों को निरस्त करने, संविधान में मौलिक अधिकारों की रक्षा एवं न्यायपरस्त लोगों को जेल में डालने आदि में ज्यादा व्यस्त रही है.
ट्रेड यूनियन के नेताओं ने कहा कि कोरोना संक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसके लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा खड़ा करने के काम में सरकार ढिलाई ही बरती है. जिन्हें कोरोना योद्धा कहकर फुल बरसवाए और थाली पिटवाई गई. उनके लिए पूरे सुरक्षा उपकरण तक नहीं है. देश के अलग-अलग हिस्सों में डॉक्टर आंदोलन करने को मजबूर हैं. इस बीच प्रधानमंत्री द्वारा 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई. जिसको छह दिन तक वितमंत्री ने प्रेस वार्ता के जरिए जनता के सामने रखा. यह भी केवल छलावा ही सिद्ध हुई है.
उद्योगों में वेतन न देना , वेतन कटौती, नौकरी छीनना बड़े पैमाने पर जारी है और सरकारी मशीनरी मौन है. वहीं विश्व बाजार में तेल की कीमतें लगातार घट रही हैं. इसके बावजूद पेट्रोल व डीजल के भावों में भारी बढ़ोतरी सरकार की अमानवीय चेहरे को ही दिखाता है. इसलिए सभी संगठनों ने सरकार को चेताने के लिए ये प्रदर्शन किया है.