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भिवानी का वो गांव जहां मंंदिर के पैसे से कुश्ती के दांव सीख रहे बच्चे

भिवानी के जीतू वाला अखाड़ा के महंत जगमाल ने सरकार से अखाड़े में आने वाले बच्चों के लिये गुहार लगाई है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि बच्चों को पहलवानी सीखने के दौरान अच्छी सुविधाएं मिलें ताकि उनका प्रदर्शन अच्छा हो सके.

सरकार से मदद की गुहार
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Published : Jun 16, 2019, 4:46 PM IST

भिवानी: देश में जब-जब खेल की बात होती है तो हरियाणा का नाम जरूर आता है. हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी प्रदेश का नाम रौशन किया है, लेकिन सरकार सिर्फ उन खिलाड़ियों की मदद करती है जो विदोशों में मेडल जीत के आते हैं. सरकार अगर उन्हें पहले से ही मदद दे तो उनको अपने खेल में काफी सहायता मिलेगी.

जीतू वाला अखाड़ा से तैयार हो रहे हैं पहलवान
ऐसा ही एक मामला भिवानी से आया है जहां जीतू वाला काली देवी मदिंर के महंत जगमाल महाराज का दावा है कि आने वाले समय में इस अखाड़े से भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान तैयार होंगे, जो देश के लिए खेलेंगे और भारत का नाम रौशन करेंगे.

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सरकार से मदद की गुहार
उन्होंने कहा कि बच्चों को तैयार करने के लिए वो काफी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अगर सरकार की तरफ से उन्हें थोड़ी सी मदद मिल जाए तो काफी सहयोग मिलेगा. उन्होंने कहा कि उनके पास शेड न होने के कारण बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गर्मी और बरसात के दिनों में तो ये समस्या और भी बढ़ जाती है. उन्होंने ये भी बताया है कि ये अखाड़ा मंदिर के पैसों से चलाया जाता है.

उन्होंने सरकार से मांग की है कि अगर शेड बन जाए तो नन्हे पहलवानों को काफी सुविधा मिल जाएगी. वहीं कोच ने बताया कि सुबह-शाम बच्चों को अभ्यास करवाया जाता है. इस अखाड़े में 6 साल से 15 साल तक के बच्चों को ही पहलवानी खेलने के लिए लिया जाता है. इस उम्र के बच्चों में सीखने की प्रबलता अधिक होती है.

भिवानी: देश में जब-जब खेल की बात होती है तो हरियाणा का नाम जरूर आता है. हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी प्रदेश का नाम रौशन किया है, लेकिन सरकार सिर्फ उन खिलाड़ियों की मदद करती है जो विदोशों में मेडल जीत के आते हैं. सरकार अगर उन्हें पहले से ही मदद दे तो उनको अपने खेल में काफी सहायता मिलेगी.

जीतू वाला अखाड़ा से तैयार हो रहे हैं पहलवान
ऐसा ही एक मामला भिवानी से आया है जहां जीतू वाला काली देवी मदिंर के महंत जगमाल महाराज का दावा है कि आने वाले समय में इस अखाड़े से भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान तैयार होंगे, जो देश के लिए खेलेंगे और भारत का नाम रौशन करेंगे.

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सरकार से मदद की गुहार
उन्होंने कहा कि बच्चों को तैयार करने के लिए वो काफी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अगर सरकार की तरफ से उन्हें थोड़ी सी मदद मिल जाए तो काफी सहयोग मिलेगा. उन्होंने कहा कि उनके पास शेड न होने के कारण बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गर्मी और बरसात के दिनों में तो ये समस्या और भी बढ़ जाती है. उन्होंने ये भी बताया है कि ये अखाड़ा मंदिर के पैसों से चलाया जाता है.

उन्होंने सरकार से मांग की है कि अगर शेड बन जाए तो नन्हे पहलवानों को काफी सुविधा मिल जाएगी. वहीं कोच ने बताया कि सुबह-शाम बच्चों को अभ्यास करवाया जाता है. इस अखाड़े में 6 साल से 15 साल तक के बच्चों को ही पहलवानी खेलने के लिए लिया जाता है. इस उम्र के बच्चों में सीखने की प्रबलता अधिक होती है.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 16 जून।
छोटे पहलवानों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है जीतू वाला अखाड़ा
6 साल से पद्रंह साल के बच्चों को सिखाते है पहलवानी के गुर
सरकार से मदद की गुहार, मंदिर में दान के पैसे से चल रहा है अखाड़ा
सरकार खिलाड़ी की उस वक्त मदद करती है, जब वह विदेशों में मैडल जीत कर आता है तो उसे आर्थिक मदद के साथ साथ नौकरी की ऑफर भी दी जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर जैसे तैसे पहलवानों को तैयार करने में जो महेनत की जाती है उसकी तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं जाता। अपने खर्चो पर चलने वाले आखाडों से ही ऐसे बच्चें तैयार होते है, जो बाद में अपनी महेनत की बदौलत प्रदेश एवं देश का नाम रोशन करते है।
Body:भिवानी के जीतू वाला आखाड़ा में बिना गद्दो के मिट्टी में लाल लगोंट पहने पहलवानी के गुर सीखते हुए छोटे-छोटे बच्चें गरीब परिवारों से संबध रखते है। उनके मां-बाप का सपना है उनका बेटा भी योगेश्वर दत्त व गीता पहलवान की तरह देश का नाम रोशन करे। उनका ये भी मानना है कि कुश्ती के साथ-साथ शरीर भी स्वस्थ रहता है और नशेखोरी से भी बचा रहता है। भिवानी में यह अखाड़ा पिछले डेढ़ साल से ही शुरू किया गया है और देखते ही देखते यहां बच्चों की सख्यां 60 के करीब पहुंच गई है।
जीतू वाला काली देवी मदिंर के महंत जगमाल महाराज का दावा है कि आने वाले समय में इस अखाड़े से भी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के पहलवान तैयार करेंगे, जो देश के लिए खेलेंगे और भारत का नाम रोशन करेगे। उन्होंने कहा कि उनको तैयार करने के लिए वो काफी मेहनत कर रहे है। यदि सरकार की तरफ से उन्हे थोड़ी सी मदद मिल जाए तो उन्हे काफी सहयोग मिलेगा, क्योंकि शुरू उनके पास शैड न होने के कारण बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गर्मी और बरसात के दिनों में तो ये समस्या और भी बढ़ जाती है। भीष्ण गर्मी के कारण मिट्टी काफी गर्म हो जाती है तो जिसकी वजह से बच्चों को काफी परेशानी होती है और बरसात के दिनों में पानी भरने के कारण बच्चें अभ्यास भी नहीं कर पाते।
Conclusion:उन्होंने सरकार से मांग की है कि अगर शैड बन जाए तो नन्हे पहलवानों को काफी सुविधा मिल जाएगी। वही कोच ने बताया कि सुबह शाम बच्चों को अभ्यास करवाया जाता है। इस अखाड़े में 6 साल से 15 साल तक के बच्चों को ही पहलवानी खेलने के लिए लिया जाता है। इस उम्र के बच्चों में सीखने की प्रबलता अधिक होती है और बुरे कार्यो को ग्रहण करने की शक्ति भी इस उम्र के बच्चों में होती है, यदि छोटी उम्र में खेलों में डाल दिया जाए तो वह उनसे बच सकता है । इस बारे में जब भिवानी के विधायक घनश्याम सर्राफ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रदेश की खेल नीति के तहत खिलाडिय़ों को सुविधा देने के लिए प्रयासरत है। इन नन्हे खिलाडिय़ों के लिए के खेल विभाग से बात करके मदद की जाएगी।
बाईट : महंत जगमाल महाराज, विधायक घनश्याम सर्राफ, अरविंद, अभिषेक, प्रिंस खिलाड़ी एवं कोच।
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