भिवानी: जिनके हौसले बुलंद होते हैं. उनकी जीत निश्चित होती है. कठिनाइयां भी हार जाती हैं. मेहनत जिनकी मजबूत होती है. इस लाइन को सही कर दिया है हरियाणा के नेटबॉल खिलाड़ी विशाल शर्मा ने. भिवानी के देवसर गांव निवासी नेटबॉल खिलाड़ी विशाल शर्मा सड़क हादसे में बुरी तरह चोटिल हो गए थे. जिसकी वजह से वो करीब दो साल तक बेड रेस्ट पर रहे.
इस हादसे की वजह से विशाल करीब 5 साल तक खेल से दूर रहे. इसके बाद भी विशाल ने हार नहीं मानी. उसके भीतर खेल को लेकर जुनून कम नहीं हुआ. जैसे-जैसे वो रिकवरी करते गए, वैसे-वैसे उन्होंने नेटबॉल की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी. उसी का नतीजा है कि विशाल ने एक बार फिर से कमबैक किया है. विशाल का चयन 41वीं सीनियर नेशनल नेटबॉल प्रतियोगिता के लिए हुआ है.
ये प्रतियोगिता 14 से 17 दिसंबर तक भिवानी में आयोजित होगी. नेटबॉल खिलाड़ी विशाल शर्मा ने बताया कि वो 15 सालों से नेटबॉल खेल रहे हैं. इस दौरान उन्होंने चंडीगढ़ की टीम की तरफ से खेलते हुए 18 नेशनल प्रतियोगिता में विभिन्न पदक जीते हैं. इसके अलावा पंजाब और चंडीगढ़ टीम के कोच भी रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें चार सरकारी नौकरियों के ऑफर भी मिले. वो फिलहाल डाक विभाग चंडीगढ़ में असिस्टेंट के पद पर कार्यरत्त हैं.
साल 2019 में सड़क मैं सड़क हादसे में घायल हो गया था. इस हादसे में मेरी करीब 20 हड्डियां बुरी तरह से टूट गई थी. जिसकी वजह से 2 साल तक मैं कोमा जैसी स्थिति में रहा. साल 2021 तक मेरे शरीर ने रिकवर करना शुरू कर दिया था. जैसे-जैसे मैं ठीक होता गया. मैंने प्रैक्सिट शुरू कर दी. हालांकि चिकित्सकों ने मुझे खेल से दूरी बनाए रखने की सलाह दी थी, लेकिन मुझपर खेल का जुनून इस कदर हावी है कि मैंने किसी अड़चन को सामने नहीं आने दिया. -विशाल, नेटबॉल खिलाड़ी
विशाल ने बताया कि हादसे के कारण उन्हें अब एक कान से सुनाई नहीं देता. अब वो दिव्यांग की श्रेणी में आते हैं. नेटबॉल खिलाड़ी विशाल ने बताया कि करीबन 5 वर्षों तक खेल से दूर रहने के बाद अब उनका चयन 14 से 17 दिसंबर तक भिवानी में होने वाली 41वीं सीनियर नेशनल नेटबॉल प्रतियोगिता के लिए हुआ है. जिसके लिए वो कड़ा अभ्यास कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि वो इस प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन कर अपनी टीम को विजयी बनाने का कम करेंगे. खिलाड़ी विशाल ने कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद ना केवल ठीक होना, बल्कि फिर से खेल पाना, ये सब उनके परिजनों के सहयोग व दुआओं के कारण ही संभव हो पाया है.
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