भिवानी : तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ ही स्वाइन फ्लू का प्रकोप कम होता नजर आ रहा है, बावजूद इसके महज एक हफ्ते के अंदर तीन-चार स्वाइन फ्लू संदिग्ध मामले जिला स्वास्थ्य विभाग के सामने आए है.
बता दें कि 22 जनवरी को जो आंकड़ा 45 पर था, वो अब बढक़र 100 पर पहुंचा हैं, लेकिन खुशी की बात ये है कि इस बार भिवानी में स्वाइन फ्लू के चलते कोई मौत नहीं हुई. जिन स्वाइन फ्लू पीड़ितों की मौत हुई, वे जिला से बाहर ही उपचाराधीन थे.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक कुल 338 नमूने संदिग्ध रोगियों के लिए जा चुके हैं. इनमें से 312 की जो रिपोर्ट आई है, उसमें 100 रोगियों में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए हैं. पहले स्वाइन फ्लू के रोगियों के नमूने जांच के लिए एनआईसीडी दिल्ली भेजे जाते थे, लेकिन इस बार नमूने जांच के लिए राजकीय स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान रोहतक की माइक्रोबायोलॉजी की प्रयोगशाला में भेजे जा रहे है.
सिविल सर्जन डॉ. आदित्य स्वरूप गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला भर में स्वाइन फ्लू को लेकर जागरूकता के साथ-साथ संदिग्ध रोगियों की तत्काल जांच और उपचार के निर्देश जारी किए गए थे. जिला की सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कर्मचारियों को 24 घंटे सतर्क रहने की हिदायतें भी थी.
सिविल सर्जन डॉ. आदित्य स्वरूप गुप्ता ने कहा कि स्वाइन फ्लू रोगियों के लिए आइसोलेशन वार्ड आंतरिक विभाग में वार्ड 9 में स्थापित है. रोगियों के उपचार के लिए इस वार्ड में हर तरह की दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं.
उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले रोगियों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है. समय रहते उपचार मिलने पर रोगी जल्दी स्वस्थ रहता है. स्वाइन फ्लू पीड़ितों के लिए टैमीफ्लू नामक गोली आती है, जो रोगी की स्थिति के अनुसार दी जाती है.
वहीं, प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. रघुबीर शांडिल्य ने बताया कि स्वाइन फ्लू का असर 7 से 10 दिन तक रहता है. समय रहते रोगी को उपचार मिले तो ये ठीक हो जाता है. स्वाइन फ्लू पीड़ित को किसी से हाथ नहीं मिलाना चाहिए और मुंह को ढ़ककर रखना चाहिए, ताकि संक्रमण दूसरे व्यक्ति को अपने चक्र में न ले ले.