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भिवानी: महंगाई भत्ता रोके जाने के खिलाफ रिटायर्ड कर्मचारियों में रोष

केंद्र सरकार द्वारा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ता को अगले साल जून तक रोके जाने के फैसले के खिलाफ रिटायर्ड कर्मचारियों ने रोष प्रकट किया. केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए ये फैसला लिया था.

Retired employee expresses anger against dearness allowance stop in bhiwani
Retired employee expresses anger against dearness allowance stop in bhiwani
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Published : Apr 26, 2020, 9:03 PM IST

भिवानी: हाल ही केंद्र सरकार ने पेंशनभोगियों को दिए जाने वाला महंगाई भत्ता रोकने का फैसला किया था. इसको लेकर रिटायर्ड कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया है. इन कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार कोरोना महामारी की आड़ में पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता बंद कर रही है.

संगठन के चेयरमैन बलदेव घणघस, प्रधान प्रेम सिंह सैनी, महासचिव सुरेश शर्मा, जिला प्रधान ईश्वर शर्मा और मण्डल अध्यक्ष रणसिंह श्योराण ने संयुक्त ब्यान में कहा कि इस कोरोना महामारी की जंग में कर्मचारी वर्ग अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं देने में जुटे हुए हैं. इन हालातों में केन्द्र सरकार द्वारा अचानक महंगाई भत्ता रोकने की वजह से रिटायर्ड कर्मचारियों में मायुसी छा गई है, जबकि यहीं कर्मचारी वर्ग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष में अपना लगातार योगदान दे रहे हैं.

ये भी जानें-हरियाणा में अब तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना केस, रविवार को 7 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले

बलदेव घणघस ने ये भी बताया कि राज्य में कुछेक स्वार्थी किस्म के युनियन पदाधिकारी कर्मचारी और पैंशनधारक हैं, जो सरकार को गुमराह करने में लगे हुए हैं. इसका विरोध लॉकडाउन के बाद किया जाएगा. राज्यप्रधान प्रेम सैनी ने बताया कि हिमाचल निवासी मेजर ओकार सिंह ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में 24 अप्रैल को पीआईएल दायर किया हुआ है.

जिला प्रधान ईश्वर शर्मान ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार कर्मचारियों और पैंशनर्स का शोषण करना बंद करे और अपने फैसले पर दोबारा विचार कर उसे वापस ले. उन्होंने सत्ता में सहयोगी दल और विपक्ष के राजनेताओं से मांग करते हुए कहा कि वे सरकार के इस फैसले को वापस लेने के लिए बोले.

ये था केंद्र सरकार का फैसला

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनभोगियों को दिए जाने वाला महंगाई भत्ता रोकने का फैसला किया था. सरकार के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सरकार पर पड़े आर्थिक बोझ के कारण ये फैसला लिया गया है. केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर ये रोक जून 2021 तक लागू रहेगी. इस कटौती की वजह से केंद्र और राज्य सरकार के खजाने को लगभग सवा लाख करोड़ रुपये की बचत होगी.

भिवानी: हाल ही केंद्र सरकार ने पेंशनभोगियों को दिए जाने वाला महंगाई भत्ता रोकने का फैसला किया था. इसको लेकर रिटायर्ड कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया है. इन कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार कोरोना महामारी की आड़ में पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता बंद कर रही है.

संगठन के चेयरमैन बलदेव घणघस, प्रधान प्रेम सिंह सैनी, महासचिव सुरेश शर्मा, जिला प्रधान ईश्वर शर्मा और मण्डल अध्यक्ष रणसिंह श्योराण ने संयुक्त ब्यान में कहा कि इस कोरोना महामारी की जंग में कर्मचारी वर्ग अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं देने में जुटे हुए हैं. इन हालातों में केन्द्र सरकार द्वारा अचानक महंगाई भत्ता रोकने की वजह से रिटायर्ड कर्मचारियों में मायुसी छा गई है, जबकि यहीं कर्मचारी वर्ग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष में अपना लगातार योगदान दे रहे हैं.

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बलदेव घणघस ने ये भी बताया कि राज्य में कुछेक स्वार्थी किस्म के युनियन पदाधिकारी कर्मचारी और पैंशनधारक हैं, जो सरकार को गुमराह करने में लगे हुए हैं. इसका विरोध लॉकडाउन के बाद किया जाएगा. राज्यप्रधान प्रेम सैनी ने बताया कि हिमाचल निवासी मेजर ओकार सिंह ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में 24 अप्रैल को पीआईएल दायर किया हुआ है.

जिला प्रधान ईश्वर शर्मान ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार कर्मचारियों और पैंशनर्स का शोषण करना बंद करे और अपने फैसले पर दोबारा विचार कर उसे वापस ले. उन्होंने सत्ता में सहयोगी दल और विपक्ष के राजनेताओं से मांग करते हुए कहा कि वे सरकार के इस फैसले को वापस लेने के लिए बोले.

ये था केंद्र सरकार का फैसला

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनभोगियों को दिए जाने वाला महंगाई भत्ता रोकने का फैसला किया था. सरकार के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सरकार पर पड़े आर्थिक बोझ के कारण ये फैसला लिया गया है. केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर ये रोक जून 2021 तक लागू रहेगी. इस कटौती की वजह से केंद्र और राज्य सरकार के खजाने को लगभग सवा लाख करोड़ रुपये की बचत होगी.

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