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भिवानी में सफेद मक्खी का प्रकोप, बर्बाद होने की कगार पर कपास की फसल

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मीनू का कहना है कि कपास की फसल के बचाने लिए उन्हें नीम के तेल या नीम सडीन का प्रयोग करना चाहिए. मीनू ने ये भी बताया कि कितने एकड़ फसल पर कितनी दवाई की छिड़काव करना चाहिए.

Outbreak of white fly can ruin cotton crop
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Published : Sep 9, 2019, 11:53 AM IST

भिवानी: सफेद मक्खी के प्रकोप के बाद कपास की फसल तबाह होने की कगार पर है. जिसकी वजह से किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. सफेद मक्खी से बचने के लिए किसानों ने हर संभव कोशिश की. फसल पर स्प्रे किया, दवाइयों का छिड़काव किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.

ये भी पढ़ें- कम लागत से चाहते हैं ज्यादा मुनाफा तो अपनाए केले की खेती, किसान अजेब सिंह बने मिसाल

बढ़ रही है किसानों की मुसीबत
किसानों के मुताबिक अगर यही हाल रहा तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी. किसानों ने सरकार से इस ओर ध्यान देने की गुहार लगाई है. साथ ही खराब फसलों की गिरदावरी की भी मांग की है. किसानों का कहना है कि पहले ही वो कर्ज में हैं. अगर उनकी फसल खराब हो गई तो खाने के भी मुसीबत हो जाएगी.

कपास की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप

इस उपाय से बच सकती है फसल
वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मीनू का कहना है कि उन्हें नीम के तेल या नीम सडीन का प्रयोग करना चाहिए. मीनू ने ये भी बताया कि कितने एकड़ फसल पर कितनी दवाई की छिड़काव करना चाहिए. कपास की फसल पर सफेद मक्खी और हरा तिला लग रहा है, जो दिन प्रतिदिन उनकी फसल को बर्बाद कर रहा है. किसानों के मुताबिक इनका प्रकोप बढ़ता जा रहा है.

भिवानी: सफेद मक्खी के प्रकोप के बाद कपास की फसल तबाह होने की कगार पर है. जिसकी वजह से किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. सफेद मक्खी से बचने के लिए किसानों ने हर संभव कोशिश की. फसल पर स्प्रे किया, दवाइयों का छिड़काव किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.

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बढ़ रही है किसानों की मुसीबत
किसानों के मुताबिक अगर यही हाल रहा तो उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी. किसानों ने सरकार से इस ओर ध्यान देने की गुहार लगाई है. साथ ही खराब फसलों की गिरदावरी की भी मांग की है. किसानों का कहना है कि पहले ही वो कर्ज में हैं. अगर उनकी फसल खराब हो गई तो खाने के भी मुसीबत हो जाएगी.

कपास की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप

इस उपाय से बच सकती है फसल
वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मीनू का कहना है कि उन्हें नीम के तेल या नीम सडीन का प्रयोग करना चाहिए. मीनू ने ये भी बताया कि कितने एकड़ फसल पर कितनी दवाई की छिड़काव करना चाहिए. कपास की फसल पर सफेद मक्खी और हरा तिला लग रहा है, जो दिन प्रतिदिन उनकी फसल को बर्बाद कर रहा है. किसानों के मुताबिक इनका प्रकोप बढ़ता जा रहा है.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 8 सितंबर।
किसानों की मेहनत पर सफेद मक्खी का कहर, धरतीपुत्र परेशान
भिवानी जिले की कपास की फसल तबाह होने की कगार पर
कृषि विज्ञानिक दे रहे है किसानों को जानकारीनही है घबराने की जरूरत : कृषि वज्ञानिक 
    भिवानी जिले में इन दिनों धरतीपुत्रों की कपास की फसल तबाह होने के कगार पर पहुंच चुकी है। कपास पर इन दिनों सफेद मक्खी का प्रकोप हो गया है। इससे किसान परेशान व भयभीत है। उनका कहना है कि सफेद मक्खी अगर यू ही बढ़ती रही तो उनकी सारी फसल तबाह हो जाएगी। वही कृषि वैज्ञानिक किसानों को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचने के उपाय बता रहे है। उनका कहना है कि जहाँ सफेद मक्खी का प्रकोप है किसानों को घबराने की जरूरत नही है वे दवाई का प्रयोग करके अपने फसल बचा सकते है।
   Body: भिवानी जिले का धरतीपुत्र परेशान है और हो भी क्यों न उनकी साल भर की मेहनत उनकी आंखों के आगे खराब होती दिख रही है। कपास की फसल पर सफेद मक्खी व हरा तिला लग रहा है जो दिन प्रतिदिन उनकी फसल को बर्बाद कर रहा है।
    भिवानी के किसान का कहना है कि वे छोटे किसान है लेकिन उनके क्षेत्र की लगभग सभी खेतो में इन दिनों सफेद मख्खी  व हरे तिला का प्रकोप है। फसल लगभग खराब हो चुकी है। वे फिर से कर्जदार हो रहा है। किसानों का कहना है अगर यही स्थिति रही तो फसल बिल्कुल खराब हो जाएगी और उनके आगे आर्थिक समस्या आ जायेगी। उन्होने सरकार से मांग की है कि वे उनकी मदद करे।
   Conclusion: वही कृषि वैज्ञानिक डॉ मीनू का कहना है कि इन दिनों सफेद मख्खी व हरा तिला का प्रकोप ज्यादा हो रहा है। डॉ मीनू का कहना है कि किसानों को इसमें घबराने की जरूरत नही है, उन्हें नीम के तेल या नीम सडीन का प्रयोग करना चाहिये। उंन्होने बताया कि ऐसे ही अगर हरे तिला लगा है तो उसके लिए भी दवाई का प्रयोग करे  ताकि फसल खराब न हो।
     वही कृषि वैज्ञानिको के कहने के बाद से ही किसानों ने अपनी फसल पर दवाई का छिड़काव शुरू कर दिया है। किसान फिलहाल परेशान है। अगर सफेद मक्खी का प्रकोप कम नही हुआ तो फसल बर्बाद हो जाएगी। अगर दवाई का असर भी हुआ तो आधी फसल तबाह हो जाएगी। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार किसानों की इस परेशानी को किस प्रकार से हल करके निदान करती है।
बाइट किसान & डॉ मीनू कृषि वैज्ञानिक
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