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भिवानी में पहली बार हुआ नगर कीर्तन का आयोजन, गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश उत्सव मनाया

भिवानी में पहली बार नगर ​कीर्तन और शोभा यात्रा निकाली गई. इस दौरान पंजाब के संगरूर से आए अकाल गतका ग्रुप (Akal Gatka Group of Punjab) द्वारा हैरतअंगेज करतब दिखाए गए. शोभायात्रा के रास्ते में संगत द्वारा प्रसाद बांट कर खूब सेवा की गई.

Nagar Kirtan in Bhiwani Akal Gatka Group of Punjab Shobha Yatra in Bhiwani
Nagar Kirtan in Bhiwani : भिवानी में पहली बार हुआ नगर कीर्तन का आयोजन, गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश उत्सव मनाया
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Published : Dec 26, 2022, 5:14 PM IST

भिवानी में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर पहली बार नगर कीर्तन का आयोजन

भिवानी: शहर में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर पहली बार नगर कीर्तन (Nagar Kirtan in Bhiwani) का आयोजन किया गया. पुरानी देवसर चुंगी स्थित गुरुद्वारा साहिब से पंज प्यारों की अगुवाई में शोभा यात्रा (Shobha Yatra in Bhiwani) निकाली गई. इस दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को फूलों से सजी पालकी में भक्तों के दर्शनार्थ शहर के मुख्य मार्गों पर ले जाया गया. घोड़ा पालकी में अलग-अलग 4 साहिबजादों व गुरु गोविंद सिंह के चित्रों को सजाया गया. वहीं, पंज प्यारों के आगे महिलाओं ने झाड़ू लगाकर रास्ते को पानी से पवित्र किया और फूल भी बरसाए गए.

शोभा यात्रा में सजाई गई भव्य पालकी जब शहर के मुख्य मार्गों से होकर गुजरी तो शहरवासियों ने नतमस्तक होकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को नमन किया. यह नगर कीर्तन पुरानी देवसर चुंगी गुरुद्वारा साहिब से शुरू होकर रिंग रोड होते हुए दादरी गेट, जैन चौक के बाद मुख्य गुरुद्वारा में पंज प्यारों द्वारा मत्था टेकने के बाद घंटाघर, कृष्णा कॉलोनी होते हुए पुरानी देवसर चुंगी गुरुद्वारे में संपन्न हुई. शोभायात्रा के रास्ते में संगत द्वारा प्रसाद बांट कर खूब सेवा की गई.

पढ़ें: चंडीगढ़ की बेकरी ने गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर तैयार किया 553 KG का केक, संगत को बांटा

पंजाब के संगरूर से आए अकाल गतका ग्रुप द्वारा हैरतअंगेज करतब दिखाए गए. जिसमें आंखों पर पट्टी बांधकर दूसरे सिख युवक के सिर पर नारियल रखकर उसे हथौड़े से तोड़ने के साथ कई अन्य करतबों ने भी दर्शकों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया. अकाल गतका ग्रुप के जत्थेदार मनवीर सिंह ने बताया कि छठी पातशाह श्री हर गोविंदराय जी ने मीरी-पीरी की शुरुआत की थी, जिसमें हर सिख को दो तलवारें रखने के आदेश दिए थे.

पढ़ें: Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: सीएम मनोहर ने विभिन्न विभागों को प्रदान किए 22 सुशासन पुरस्कार

उन्होंने कहा कि एक तलवार योद्धा के रूप में व दूसरी भक्ति के रूप में दर्शाई गई थी. पुराने समय में मुगलों से टक्कर लेने के लिए सिखों को गतका मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जाती थी, ताकि वे आत्मरक्षा कर सकें. यह गुरु के आदेश थे. गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव व चार साहिबजादे की शहादत पर भिवानी में पहली बार इस नगर कीर्तन का आयोजन किया गया. जिसमें शहरवासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया.

भिवानी में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर पहली बार नगर कीर्तन का आयोजन

भिवानी: शहर में गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर पहली बार नगर कीर्तन (Nagar Kirtan in Bhiwani) का आयोजन किया गया. पुरानी देवसर चुंगी स्थित गुरुद्वारा साहिब से पंज प्यारों की अगुवाई में शोभा यात्रा (Shobha Yatra in Bhiwani) निकाली गई. इस दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को फूलों से सजी पालकी में भक्तों के दर्शनार्थ शहर के मुख्य मार्गों पर ले जाया गया. घोड़ा पालकी में अलग-अलग 4 साहिबजादों व गुरु गोविंद सिंह के चित्रों को सजाया गया. वहीं, पंज प्यारों के आगे महिलाओं ने झाड़ू लगाकर रास्ते को पानी से पवित्र किया और फूल भी बरसाए गए.

शोभा यात्रा में सजाई गई भव्य पालकी जब शहर के मुख्य मार्गों से होकर गुजरी तो शहरवासियों ने नतमस्तक होकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को नमन किया. यह नगर कीर्तन पुरानी देवसर चुंगी गुरुद्वारा साहिब से शुरू होकर रिंग रोड होते हुए दादरी गेट, जैन चौक के बाद मुख्य गुरुद्वारा में पंज प्यारों द्वारा मत्था टेकने के बाद घंटाघर, कृष्णा कॉलोनी होते हुए पुरानी देवसर चुंगी गुरुद्वारे में संपन्न हुई. शोभायात्रा के रास्ते में संगत द्वारा प्रसाद बांट कर खूब सेवा की गई.

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पंजाब के संगरूर से आए अकाल गतका ग्रुप द्वारा हैरतअंगेज करतब दिखाए गए. जिसमें आंखों पर पट्टी बांधकर दूसरे सिख युवक के सिर पर नारियल रखकर उसे हथौड़े से तोड़ने के साथ कई अन्य करतबों ने भी दर्शकों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया. अकाल गतका ग्रुप के जत्थेदार मनवीर सिंह ने बताया कि छठी पातशाह श्री हर गोविंदराय जी ने मीरी-पीरी की शुरुआत की थी, जिसमें हर सिख को दो तलवारें रखने के आदेश दिए थे.

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उन्होंने कहा कि एक तलवार योद्धा के रूप में व दूसरी भक्ति के रूप में दर्शाई गई थी. पुराने समय में मुगलों से टक्कर लेने के लिए सिखों को गतका मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जाती थी, ताकि वे आत्मरक्षा कर सकें. यह गुरु के आदेश थे. गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव व चार साहिबजादे की शहादत पर भिवानी में पहली बार इस नगर कीर्तन का आयोजन किया गया. जिसमें शहरवासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया.

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