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जब भी राज्यसभा में किसानों की आवाज उठाता हूं मेरा माइक बंद कर देते हैं: दीपेंद्र हुड्डा - सरकार की नीतियों पर दीपेंद्र हुड्डा

MP Deependra Hooda Met Farmers: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने शुक्रवार को भिवानी-चरखी दादरी में टोल प्लाजा पर चल रहे अनिश्चितकालीन किसान धरने पर किसानों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जैसे ही वो संसद में किसानों की आवाज उठाते हैं उनका माइक बंद करा दिया जाता है.

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राज्यसभा में किसानों की आवाज उठाता हूं मेरा माइक बंद कर देते हैं
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Published : Nov 12, 2021, 8:28 PM IST

भिवानी: राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (Rajya Sabha MP Deepender Hooda) ने शुक्रवार को भिवानी-चरखी दादरी में टोल प्लाजा पर चल रहे अनिश्चितकालीन किसान धरने पर किसानों से मुलाकात (MP Deependra Hooda Met Farmers) की. इस दौरान उन्होंने कहा कि एक साल से किसान सडक़ों पर शांतिपूर्वक बैठे हैं, इस दौरान 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी, लेकिन अहंकार में डूबी सरकार राजहठ छोड़ने तक को तैयार नहीं है. दीपेंद्र ने कहा कि सरकार लगातार किसानों को प्रताड़ित कर रही है. सरकार न तो सड़कों पर बैठे किसानों की बात सुन रही है न ही संसद में किसान की आवाज सुनने के लिये तैयार है. उन्होंने बताया कि जैसे ही वो संसद में किसानों की आवाज उठाते हैं उनका माइक बंद करा दिया जाता है.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि माइक बंद करवा कर किसानों की आवाज दबाई नहीं जा सकती. किसान देश की आत्मा हैं, उनकी आवाज कुचली नहीं जा सकती. वे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (winter session) में फिर किसानों की आवाज पुरजोर तरीके से उठायेंगे. हुड्डा ने कहा कि सरकार को किसानों से बिना शर्त बातचीत करना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए. जिन तीन कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं वे किसान के साथ-साथ आम जन पर भी प्रतिकूल असर डालेंगे. यदि ये तीनों कानून लागू हो गये तो आम गरीब की रोटी बड़े पूंजीपतियों की मुठ्ठी में कैद हो जायेगी.

ये पढ़ें- गृहमंत्री अनिल विज की नसीहत, किसान अपना नेता बदलें, ये किसान हितैषी नहीं

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि बढ़ती महंगाई ने किसानों और आम गरीब की कमर तोड़ दी है. डीजल, खाद, बीज, कृषि उपकरण आदि महंगे होने से खेती की लागत बढ़ गई, जबकि किसान की आमदनी बढऩे की बजाय घट गयी है. मंडियों में फसल बेचने पहुंचे किसानों को एमएसपी तक नहीं मिल रहा है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पिछले दिनों बड़़े पैमाने पर अतिवृष्टि से हजारों एकड़ में फसल खराब हो गई, जिसका कोई मुआवजा किसानों को अब तक नहीं मिला.

ये पढ़ें- भरत बेनीवाल ने दिया ऐलनाबाद उपचुनाव को लेकर कारण बताओ नोटिस का जवाव, पार्टी के फैसलों पर खड़े किए सवाल

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि खेतों में बड़े पैमाने पर पानी भरा हुआ है. पानी की निकासी न होने से रबी की फसल की बिजाई भी नहीं हो पायेगी. इसके अलावा पूरे प्रदेश में खाद की किल्लत और कालाबाजारी (Fertilizer shortage and black marketing in haryana) से किसान परेशान हैं। पुलिस थानों में नाम मात्र की खाद बंटवायी जा रही है. किसान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार झेल रहे किसान को सबसे बड़ा दु:ख इस बात का है कि जब टमाटर उसके खेत में था तो उसे लागत भाव में भी कोई नहीं खरीद रहा था. आज किसान को खाने के लिये वही टमाटर 100 रुपये किलो में खरीदना पड़ रहा है. यही हाल प्याज, दाल और सरसों का है. महंगाई की मार झेल रहे किसान पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गये हैं.

ये भी पढ़ें- ऐलनाबाद उपचुनाव: अपने गढ़ में भी खिसक रही इनेलो की जमीन? हारकर भी मजबूत हुआ बीजेपी गठबंधन

भिवानी: राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (Rajya Sabha MP Deepender Hooda) ने शुक्रवार को भिवानी-चरखी दादरी में टोल प्लाजा पर चल रहे अनिश्चितकालीन किसान धरने पर किसानों से मुलाकात (MP Deependra Hooda Met Farmers) की. इस दौरान उन्होंने कहा कि एक साल से किसान सडक़ों पर शांतिपूर्वक बैठे हैं, इस दौरान 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी, लेकिन अहंकार में डूबी सरकार राजहठ छोड़ने तक को तैयार नहीं है. दीपेंद्र ने कहा कि सरकार लगातार किसानों को प्रताड़ित कर रही है. सरकार न तो सड़कों पर बैठे किसानों की बात सुन रही है न ही संसद में किसान की आवाज सुनने के लिये तैयार है. उन्होंने बताया कि जैसे ही वो संसद में किसानों की आवाज उठाते हैं उनका माइक बंद करा दिया जाता है.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि माइक बंद करवा कर किसानों की आवाज दबाई नहीं जा सकती. किसान देश की आत्मा हैं, उनकी आवाज कुचली नहीं जा सकती. वे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (winter session) में फिर किसानों की आवाज पुरजोर तरीके से उठायेंगे. हुड्डा ने कहा कि सरकार को किसानों से बिना शर्त बातचीत करना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए. जिन तीन कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं वे किसान के साथ-साथ आम जन पर भी प्रतिकूल असर डालेंगे. यदि ये तीनों कानून लागू हो गये तो आम गरीब की रोटी बड़े पूंजीपतियों की मुठ्ठी में कैद हो जायेगी.

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सांसद दीपेंद्र ने कहा कि बढ़ती महंगाई ने किसानों और आम गरीब की कमर तोड़ दी है. डीजल, खाद, बीज, कृषि उपकरण आदि महंगे होने से खेती की लागत बढ़ गई, जबकि किसान की आमदनी बढऩे की बजाय घट गयी है. मंडियों में फसल बेचने पहुंचे किसानों को एमएसपी तक नहीं मिल रहा है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पिछले दिनों बड़़े पैमाने पर अतिवृष्टि से हजारों एकड़ में फसल खराब हो गई, जिसका कोई मुआवजा किसानों को अब तक नहीं मिला.

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दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि खेतों में बड़े पैमाने पर पानी भरा हुआ है. पानी की निकासी न होने से रबी की फसल की बिजाई भी नहीं हो पायेगी. इसके अलावा पूरे प्रदेश में खाद की किल्लत और कालाबाजारी (Fertilizer shortage and black marketing in haryana) से किसान परेशान हैं। पुलिस थानों में नाम मात्र की खाद बंटवायी जा रही है. किसान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं. उन्होंने कहा कि महंगाई की मार झेल रहे किसान को सबसे बड़ा दु:ख इस बात का है कि जब टमाटर उसके खेत में था तो उसे लागत भाव में भी कोई नहीं खरीद रहा था. आज किसान को खाने के लिये वही टमाटर 100 रुपये किलो में खरीदना पड़ रहा है. यही हाल प्याज, दाल और सरसों का है. महंगाई की मार झेल रहे किसान पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गये हैं.

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