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भिवानी में ग्रामीणों को दिए लाल डोरा से मुक्त जमीन के स्वामित्व कार्ड बांटे - लाल डोरा मुक्त स्वामित्व कार्ड वितरण भिवानी

भिवानी में लाल डोरा से मुक्त जमीन के स्वामित्व ग्रामीणों को दिए गए. इस दौरान विधायक घनश्याम सर्राफ भी मौके पर उपस्थित रहे.

land ownership cards given to villagers under svamitva scheme  in Bhiwani
भिवानी में ग्रामीणों को दिए लाल डोरा से मुक्त की जमीन के स्वामित्व कार्ड
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Published : Oct 11, 2020, 6:01 PM IST

भिवानी: जिले के लघु सचिवालय परिसर में स्थित सरल केंद्र में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें लाल डोरा से मुक्त की गई जमीन के स्वामित्व कार्ड वितरित किए गए. विधायक घनश्याम दास सर्राफ ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संदेश का भी सीधा प्रसारण दिखाया गया.

इस दौरान सर्राफ ने कहा कि स्वामित्व कार्ड मिलना आत्मनिर्भर भारत की मुहिम में एक और महत्वपूर्ण कदम है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक सर्राफ ने कहा कि जमीन के कागजात यानि रजिस्ट्री अपने पास होने से अनेक प्रकार के विवादों से निजात मिलती है. कोई भी दूसरा व्यक्ति उस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि सालों से लोगों की जमीन लाल डोरे के अंदर रही है. जिसमें मकान भी बने हैं और खाली प्लाट भी हैं, लेकिन उस जमीन की रजिस्ट्री नहीं बनती थी.

भिवानी में ग्रामीणों को दिए लाल डोरा से मुक्त जमीन के स्वामित्व कार्ड बांटे

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लाल डोरे की जमीन का मालिकाना हक दिलाने का काम किया है. जिससे व्यक्ति अपनी जमीन और मकान पर ऋण भी ले सकता है. कार्यक्रम के दौरान ढ़ाणी ब्राह्मणान के 30 से अधिक लोगों को स्वामित्व कार्ड यानि रजिस्ट्री भेंट की गई.

वहीं इस योजना के लाभार्थी गांव ढाणी ब्राह्मणन के ग्रामीण श्रीनिवास राजेंद्र व उमेद ने बताया कि अब सरकार ने स्वामित्व योजना के तहत उनकी जमीन की निशानदेही कर उन्हें कार्ड उपलब्ध करा दिया है. अब जमीन को लेकर गांव में कोई झगड़ा नहीं होगा और वे अपनी जमीन की एवज में गारंटी भी दे पाएंगे. वहीं जरूरत पड़ने पर ऋण भी उन्हें आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.

क्या है लाल डोरा व्यवस्था?

लाल डोरा व्यवस्था 1908 में अंग्रेजों ने बनाई थी. लाल डोरा व्यवस्था का मकसद रेवेन्यू रिकॉर्ड रखने के लिए खेती बाड़ी की जमीन के साथ गांव की आबादी को अलग-अलग दिखाने के लिए नक्शे पर आबादी के बाहर लाल रेखा खिंच दी जाती थी. लाल रेखा की वजह से इसके तहत आने वाली जमीन या क्षेत्र लाल डोरा कहलाने लगा. ये व्यवस्था दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में लागू थी.

लाल डोरा में जो भी क्षेत्र आता है. उसमें बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के लोग अपना निर्माण कर सकते हैं. यानी ना नगर पालिका से पूछताछ और ना ही कोई नक्शा पास कराए लोग अपनी जरूरत के मुताबिक निर्माण कर सकते हैं. चूंकी लाल डोरा में जमीनों का कोई सरकारी हिसाब नहीं होता. इसलिए जिस जमीन पर जिसका कब्जा होता है. वो जमीन उसकी हो जाती है. इसलिए ना तो इन जमीनों को कोई बेच सकता है और ना ही बैंक इन जमीनों पर लोन दे सकता है. इसलिए सीएम मनोहर लाल खट्टर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य के 242 गांवों को 2 अक्टूबर को लाल डोरा से मुक्त किए जाने की घोषणा की है.

ये भी पढ़ें: एक लाख लोगों को मिले संपत्ति कार्ड, पीएम बोले- सशक्त बनेंगे ग्रामीण

भिवानी: जिले के लघु सचिवालय परिसर में स्थित सरल केंद्र में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें लाल डोरा से मुक्त की गई जमीन के स्वामित्व कार्ड वितरित किए गए. विधायक घनश्याम दास सर्राफ ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संदेश का भी सीधा प्रसारण दिखाया गया.

इस दौरान सर्राफ ने कहा कि स्वामित्व कार्ड मिलना आत्मनिर्भर भारत की मुहिम में एक और महत्वपूर्ण कदम है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक सर्राफ ने कहा कि जमीन के कागजात यानि रजिस्ट्री अपने पास होने से अनेक प्रकार के विवादों से निजात मिलती है. कोई भी दूसरा व्यक्ति उस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि सालों से लोगों की जमीन लाल डोरे के अंदर रही है. जिसमें मकान भी बने हैं और खाली प्लाट भी हैं, लेकिन उस जमीन की रजिस्ट्री नहीं बनती थी.

भिवानी में ग्रामीणों को दिए लाल डोरा से मुक्त जमीन के स्वामित्व कार्ड बांटे

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लाल डोरे की जमीन का मालिकाना हक दिलाने का काम किया है. जिससे व्यक्ति अपनी जमीन और मकान पर ऋण भी ले सकता है. कार्यक्रम के दौरान ढ़ाणी ब्राह्मणान के 30 से अधिक लोगों को स्वामित्व कार्ड यानि रजिस्ट्री भेंट की गई.

वहीं इस योजना के लाभार्थी गांव ढाणी ब्राह्मणन के ग्रामीण श्रीनिवास राजेंद्र व उमेद ने बताया कि अब सरकार ने स्वामित्व योजना के तहत उनकी जमीन की निशानदेही कर उन्हें कार्ड उपलब्ध करा दिया है. अब जमीन को लेकर गांव में कोई झगड़ा नहीं होगा और वे अपनी जमीन की एवज में गारंटी भी दे पाएंगे. वहीं जरूरत पड़ने पर ऋण भी उन्हें आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.

क्या है लाल डोरा व्यवस्था?

लाल डोरा व्यवस्था 1908 में अंग्रेजों ने बनाई थी. लाल डोरा व्यवस्था का मकसद रेवेन्यू रिकॉर्ड रखने के लिए खेती बाड़ी की जमीन के साथ गांव की आबादी को अलग-अलग दिखाने के लिए नक्शे पर आबादी के बाहर लाल रेखा खिंच दी जाती थी. लाल रेखा की वजह से इसके तहत आने वाली जमीन या क्षेत्र लाल डोरा कहलाने लगा. ये व्यवस्था दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में लागू थी.

लाल डोरा में जो भी क्षेत्र आता है. उसमें बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के लोग अपना निर्माण कर सकते हैं. यानी ना नगर पालिका से पूछताछ और ना ही कोई नक्शा पास कराए लोग अपनी जरूरत के मुताबिक निर्माण कर सकते हैं. चूंकी लाल डोरा में जमीनों का कोई सरकारी हिसाब नहीं होता. इसलिए जिस जमीन पर जिसका कब्जा होता है. वो जमीन उसकी हो जाती है. इसलिए ना तो इन जमीनों को कोई बेच सकता है और ना ही बैंक इन जमीनों पर लोन दे सकता है. इसलिए सीएम मनोहर लाल खट्टर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य के 242 गांवों को 2 अक्टूबर को लाल डोरा से मुक्त किए जाने की घोषणा की है.

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