भिवानी: साल 2010 में लगे 1983 पीटीआई टीचर्स को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हटा दिया गया. इस पर हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल की प्रतिक्रिया सामने आई है. जेपी दलाल ने कहा है कि हरियाणा सरकार लीगल एडवाइजर से सलाह लेकर पीटीआई अध्यापकों के लिए रास्ता निकालेगी. उन्होंने प्रदर्शन कर रहे पीटीआई अध्यापकों से भी प्रदर्शन करने की जगह अन्य विकल्प ढूंढने की सलाह दी है.
हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि पीटीआई अध्यापकों को जिलेवार धरना प्रदर्शन की बजाए कानूनी विकल्प तलाशना चाहिए. ताकि सुप्रीम कोर्ट के उच्च बेंच पर अपनी बात को कानूनी तरीके से रख सके. उन्होंने साफ किया सरकार के अधिकार क्षेत्र में जो भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पीटीआई अध्यापकों के हित में किया जा सकेगा, वो सरकार करेगी.
2 जून को निकाले गए टीचर्स
बता दें हरियाणा सरकार ने 28 मई को इन अध्यापकों को नौकरी से निकाले जाने के आदेश दिए. जिसके बाद एक और दो जून 2020 को इन अध्यापकों को नौकरी से हटा दिया गया. नौकरी से निकाले जाने के बाद हर जिले में पीटीआई अध्यापकों ने जोरदार प्रदर्शन शुरू किया.
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क्या है मांग?
इन पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि 10 सालों की सेवा के बाद उन्हें नौकरी से निकालना उचित नहीं है. ऐसे में उनकी मांग है कि प्रदेश सरकार गेस्ट टीचर की तर्ज पर पॉलिसी बनाकर इन्हें दोबारा से नौकरी में ले. पीटीआई अध्यापकों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी बहाली नहीं की जाती तो वो अनिश्चितकालिन धरने पर चले जाएंगे.
ये है मामला
गौरतलब है कि साल 2006 में 1983 पीटीआई अध्यापकों की चयन प्रक्रिया भर्ती बोर्ड द्वारा शुरू की गई थी. जिसके बाद अप्रैल 2010 में परिणाम घोषित कर अध्यापकों को ज्वॉइन करवाया गया था. इस दौरान कुछ उम्मीदवारों ने इन भर्ती प्रक्रिया को चैलेंज किया और वे सुप्रीम कोर्ट तक गए. जिनका सीडब्ल्यूपी नंबर 15656 है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए दोबारा से भर्ती करने के आदेश जारी किए हैं.