भिवानी: जिले के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं. अस्पताल में डॉक्टर्स के लिए 76 पद हैं जिसमें से 15 पदों पर ही डॉक्टर्स कार्यरत हैं. सामान्य अस्पताल में दिन में इलाज कराने औसतन 1500 मरीज आते हैं, ज्यादातर कुर्सियां खाली होने की वजह से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है.
सामान्य अस्पताल में डॉक्टर्स के 61 पद खाली
भिवानी जिले में बिगड़ी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पास मांग पत्र भेजकर जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की मांग की है. बृजपाल परमार ने बताया कि भिवानी जिले में 76 सरकारी डॉक्टर्स के स्वीकृत पदों में केवल 15 सरकारी डॉक्टर्स ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
मरीजों को करना पड़ता है घंटों इंतजार
बृजपाल के मुताबिक कई विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद तो सालों से खाली पड़े हैं. इतना ही नहीं भिवानी जिला सामान्य अस्पताल के महिला वार्ड में सिर्फ एक ही महिला चिकित्सक हैं, जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को भी डिलीवरी के लिए रोहतक का रास्ता दिखाया जा रहा है.
चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ज्यादातर पद खाली
बृजपाल परमार ने बताया कि सिविल सर्जन कार्यालय से मिले आंकडों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक 535 स्वीकृत हैं, जिनमें से केवल 207 पद ही भरे हुए हैं. जबकि 328 पद खाली पड़े हैं. खाली पड़े पदों में सबसे अधिक विशेषज्ञ चिकित्सक के पद हैं.
विभिन्न बीमारियों से संबंधित एक्सपर्ट के पद खाली
विभिन्न बीमारियों से संबंधित एक्सपर्ट के पद भी ज्यादातर खाली पड़े हैं, जिनके अभाव में भिवानी जिले के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कभी रोहतक तो कभी हिसार और दिल्ली तक दौड़ लगानी पड़ती है.
रोहतक, हिसार और दिल्ली इलाज करवाने को मजूबर मरीज
बृजपाल परमार का कहना है कि सबसे अधिक जानमाल की हानि तो सड़क हादसों में उठानी पड़ती हैं, जिसमें समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं मिलने के कारण रेफर किए गए मरीज की रास्ते में ही मौत हो जाती है. अगर ये सभी चिकित्सकों के पद भरे जाए तो लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेगी वहीं सड़क हादसों में गंभीर घायलों की भी जान बच पाएगी.
जिला अस्पताल में ये पद पड़े हैं खाली
जिला सामान्य अस्पताल की ओपीडी में औसतन 1300 से 1500 मरीज आते हैं, बिना विशेषज्ञ के अधिकांश मरीज तो बाहर अपना इलाज बाहर कराने पर मजबूर हैं. स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में क्लीनिकल फिजियोलिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट, टेंडल हाईजेनिस्ट, ऑर्थोलेमिक असिस्टेंट, एडीए, प्लास्टर टक्नीशियन, आहार विशेषज्ञ, बायो मेडिकल इंजीनियर, क्वालिटी मैनेजर, कैशियर, केयर टेकर, अकाउंट आफिसर, सोशल वर्कर, लिफ्ट ऑपरेटर, धोबी के पद पर कोई भी स्वास्थ्य विभाग का नियमित कर्मचारी तैनात नहीं है.
मरीजों के स्वास्थ्य के साथ हो रहा है खिलवाड़!
ये सभी पद लंबे अर्से से खाली पड़े हैं. जिनका काम अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा कराया जा रहा है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है. बिना विशेषज्ञ के उपचार देना नियमों के खिलाफ ही नहीं, जानलेवा भी है.
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बृजपाल परमार ने कहा कि अगर जल्द ही सरकार पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाओं को लाइन पर नहीं लाती है तो संगठन पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा. संगठन जनता के स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर काम कर रहा है. जब लोगों की सेहत ही ठीक नहीं होगी तो उनकी मानसिकता और सामाजिक विकास कर पाना भी संभव नहीं है.