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भिवानी: पराली को इस प्लांट में देकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं किसान - हरियाणा किसान पराली जलाना

कृषि अधिकारियों ने जैमको एनर्जी लिमिटिड पावर प्लांट का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने किसानों से कहा कि वो अपनी पराली को यहां बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

haryana farmers can get good profit from selling stubble to power plants
पराली को इस प्लांट में देकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं किसान
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Published : Oct 14, 2020, 8:18 AM IST

भिवानी: सहायक कृषि अभियंता नसीब सिंह धनखड़ और कृषि विकास अधिकारी तरूण कुमार ने मंगलवार को जैमको एनर्जी लिमेटिड पावर प्लांट दिनोद का दौरा किया और पावर प्लांट के अधिकारियों से पराली का अधिक से अधिक मूल्य देने के बारे में बात की ताकि किसानों को फायदा हो सके.

इस दौरान कृषि अधिकारियों ने प्लांट के सहायक प्रबंधक नरेंद्र पानु से पराली की खपत और पराली की खरीद के बारे में विस्तार से चर्चा की. पानू ने सहायक कृषि अभियंता धनखड़ को बताया कि इस पावर प्लांट को सालाना 80 हजार मीट्रिक टन एग्रीकल्चर वैस्ट (सरसों का तुड़ा, धान की पराली, ग्वार का तूड़ा, चने का तूड़ा) की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन सालाना सिर्फ 55 हजार मीट्रिक टन एग्रीकल्चर वैस्ट की ही आपूर्ति हो पाती है, जिससे लगभग 25 हजार मीट्रिक टन एग्रीकल्चर वैस्ट की कमी रहती है. किसान 225 से 240 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अपने धान की पराली बारीक टुकड़ों मे काटकर इस पावर प्लांट मे बेच सकते हैं.

ये भी पढ़िए: स्पेशल रिपोर्ट: क्लाइमेट स्मार्ट खेती से बर्निंग फ्री बनेंगे हरियाणा के 100 गांव

कृषि अधिकारियों ने किसानों से आह्वान किया है कि वो धान की पराली ऐसे प्लांटो में बेचे या फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों का उपयोग करके मिट्टी मे मिलाएं और आगजनी की घटनाअें से बचे. उन्होंने बताया कि किसान फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों जैसे सुपर सीडर, जीरो ड्रील, पैडी स्ट्रा चौपर, मल्चर का उपयोग करके फसल अवशेषों को मिट्टी मे मिला सकते हैं.

भिवानी: सहायक कृषि अभियंता नसीब सिंह धनखड़ और कृषि विकास अधिकारी तरूण कुमार ने मंगलवार को जैमको एनर्जी लिमेटिड पावर प्लांट दिनोद का दौरा किया और पावर प्लांट के अधिकारियों से पराली का अधिक से अधिक मूल्य देने के बारे में बात की ताकि किसानों को फायदा हो सके.

इस दौरान कृषि अधिकारियों ने प्लांट के सहायक प्रबंधक नरेंद्र पानु से पराली की खपत और पराली की खरीद के बारे में विस्तार से चर्चा की. पानू ने सहायक कृषि अभियंता धनखड़ को बताया कि इस पावर प्लांट को सालाना 80 हजार मीट्रिक टन एग्रीकल्चर वैस्ट (सरसों का तुड़ा, धान की पराली, ग्वार का तूड़ा, चने का तूड़ा) की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन सालाना सिर्फ 55 हजार मीट्रिक टन एग्रीकल्चर वैस्ट की ही आपूर्ति हो पाती है, जिससे लगभग 25 हजार मीट्रिक टन एग्रीकल्चर वैस्ट की कमी रहती है. किसान 225 से 240 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अपने धान की पराली बारीक टुकड़ों मे काटकर इस पावर प्लांट मे बेच सकते हैं.

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कृषि अधिकारियों ने किसानों से आह्वान किया है कि वो धान की पराली ऐसे प्लांटो में बेचे या फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों का उपयोग करके मिट्टी मे मिलाएं और आगजनी की घटनाअें से बचे. उन्होंने बताया कि किसान फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों जैसे सुपर सीडर, जीरो ड्रील, पैडी स्ट्रा चौपर, मल्चर का उपयोग करके फसल अवशेषों को मिट्टी मे मिला सकते हैं.

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