भिवानी: सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर भिवानी के गुरुद्वारे में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पुरानी देवसर चुंगी स्थित गुरुद्वारा परिसर में श्री सुखमनी साहिब जी पाठ के भोग डाले गए. इसके बाद कीर्तन कर एवं गुरु जी का लंगर भी लगाया गया. गुरुद्वारा कमेटी प्रधान इंद्रमोहन ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी के बारे में बताते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर सिखों के 9वें गुरु थे.
जिन्होंने विश्व इतिहास में धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. उन्होंने मुगलिया सल्तनत का विरोध किया. उन्होंने मुगलों के अत्याचार और अन्याय के आमने झुकने से इनकार कर दिया. मुगलों ने गुरु तेग बहादुर को डराने के लिए उनके सामने ही भाई मतिदास को आरे से चीरा. मतिदास के बाद भाई दयाला को उबलते पानी में फेंक दिया. फिर भाई सतीदास को जिंदा जला दिया गया. इतना सब होने के बाद भी गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम कबूल नहीं किया.
गुरुद्वारा कमेटी प्रधान इंद्रमोहन ने बताया कि गुरुजी को 16 नवंबर 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में पिंजरे में बंद करके लाया गया तथा भरी सभा में गुरु जी का शीश धड़ से अलग कर दिया. गुरु तेग बहादुर ने हिंद की रक्षा के लिए अपने शिष्यों सहित बलिदान देकर हिंदू धर्म को बचाया. इसलिए गुरु तेग बहादुर को हिंद की चादर कहा जाता है. गुरु पर्व के दौरान सिख संगतों ने सरकार से मांग की कि पहली कक्षा से ही बच्चों को गुरु तेग बहादुर के जीवन के बारे में पढ़ाना चाहिए, ताकि बच्चों को देश पर पूरे परिवार को न्यौछावर करने वाले के बारे में पता चल सके.
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