भिवानी: नकदी फसल मानी जाने वाली ग्वार फसल पर गालवास्प नामक कीड़े के आक्रमण के प्रति किसान सतर्क रहें. क्योंकि भिवानी जिले के खंड सिवानी, बहल, झुंपा तथा दादरी जिला के खंड बाढड़ा व दादरी-द्वितीय में गाल वास्प कीट की समस्या कई साल से बनी हुई है. जो धीरे-धीरे साथ लगकर अन्य क्षेत्रों में फैल रही है.
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इस कीड़े के बचाव के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ ट्रेनिंग का आयोजन करके किसानों को जागरूक किया जा रहा है. लेकिन किसान इस कीड़े के आक्रमण के प्रति कम गौर करके स्प्रे भी नहीं कर पा रहे हैं. जिससे फसलों की पैदावार में कमी आती जा रही है. यह समस्या हर साल और बढ़ती जा रही है. यह बात चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव ने ग्वार फसल पर स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर खंड बहल के गांव सुरपुरा कलां में कही.
डॉ. यादव ने गोष्ठी के दौरान कहा कि इस कीड़े का प्रकोप 15 अगस्त के आसपास शुरू हो जाता है और फलियां बनते तक रहता है. गाल वास्प नामक कीट के प्रकोप से फलियों के स्थान पर मणियें अथवा गांठ बन जाती है. जिससे पैदावार में 20 से 30 प्रतिशत कमी आ जाती है. इस कीट के आक्रमण से ग्वार की फसल पर फूल बनने के बाद फली बनने में रुकावट आ जाती है.
यह कीट ग्वार की फलियों को मणियों में तब्दील कर देता है. यह कीट का असर कई गुणा ज्यादा है. इसका फैलाव शुरू होते देर नहीं लगती. ग्वार की पैदावार काफी प्रभावित हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस कीड़े के आक्रमण से बचने के लिए 200 मिली रोगोर व 100 मिली कॉन्फीडो को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ स्प्रे करने से काफी हद तक गांठ बननी रुक जाती है. अगर आगे इसकी और जरूरत हो तो इसका एक छिड़काव 10-15 दिन के अन्तराल पर और करें.
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इस अवसर पर मौजूद 55 किसानों को 10 स्ट्रेप्टोसाइक्लिन पाउच तथा स्प्रे के नुकसान से बचने के लिए हर किसान को हिंदुस्तान गम एंड केमिकल्स भिवानी की तरफ से मास्क भी दिए गये.