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'पीटीआई अध्यापकों का रोजगार छीन रही है हरियाणा सरकार'

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Published : Jun 27, 2020, 5:54 PM IST

भिवानी में नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे पीटीआई अध्यापकों को समर्थन देने पूर्व कांग्रेस विधायक सोमवीर सिंह भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सरकार पर पीटीआई अध्यापकों का घर उजाड़ने के आरोप लगाए.

former mla somvir singh supported pti teachers protest in bhiwani
पीटीआई अध्यापकों का रोजगार छीन रही है हरियाणा सरकार

भिवानी: साल 2010 में नियुक्त हुए 1983 पीटीआई अध्यापकों को एक जून को हरियाणा सरकार ने नौकरी से बाहर कर दिया. इसके विरोध में 15 जून से लगातार पीटीआई अध्यापकों का क्रमिक अनशन और धरना प्रदर्शन जारी है. शनिवार को पीटीआई अध्यापकों के इस अनशन और विरोध प्रदर्शन को पूर्व कांग्रेस विधायक सोमवीर सिंह ने भी समर्थन दिया.

पूर्व विधायक सोमवीर सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार जिस मुद्दे पर सत्ता में आई थी. उसे वह पूरी तरह से भूल चुकी है. सबका साथ,सबका विकास कहां पर हो रहा है. हरियाणा सरकार ने युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन उसके विपरीत हरियाणा सरकार तो शिक्षा विभाग में कार्यरत शारीरिक शिक्षकों का रोजगार छीन रही है. जिससे उनके परिवार को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं.

पीटीआई अध्यापकों का रोजगार छीन रही है हरियाणा सरकार

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह विधानसभा में विधेयक पारित कर उन्हें वापस सेवा में लेकर आएं. पूर्व विधायक ने कहा कि सरकार को पीटीआई अध्यापकों का घर बसाने का काम करना चाहिए ना कि उजाड़ने का. इस मौके पर पीटीआई अध्यापक प्रमोद ने बताया कि हमारे धरना-प्रदर्शन को सामाजिक, राजनैतिक, कर्मचारी संगठनों, ग्राम पंचायतों और खापों का समर्थन मिल रहा है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

ये भी पढ़ें:पहले से अलर्ट थे, एक तिहाई टिड्डी दल को मार गिराया: कृषि मंत्री

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

भिवानी: साल 2010 में नियुक्त हुए 1983 पीटीआई अध्यापकों को एक जून को हरियाणा सरकार ने नौकरी से बाहर कर दिया. इसके विरोध में 15 जून से लगातार पीटीआई अध्यापकों का क्रमिक अनशन और धरना प्रदर्शन जारी है. शनिवार को पीटीआई अध्यापकों के इस अनशन और विरोध प्रदर्शन को पूर्व कांग्रेस विधायक सोमवीर सिंह ने भी समर्थन दिया.

पूर्व विधायक सोमवीर सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार जिस मुद्दे पर सत्ता में आई थी. उसे वह पूरी तरह से भूल चुकी है. सबका साथ,सबका विकास कहां पर हो रहा है. हरियाणा सरकार ने युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी लेकिन उसके विपरीत हरियाणा सरकार तो शिक्षा विभाग में कार्यरत शारीरिक शिक्षकों का रोजगार छीन रही है. जिससे उनके परिवार को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं.

पीटीआई अध्यापकों का रोजगार छीन रही है हरियाणा सरकार

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह विधानसभा में विधेयक पारित कर उन्हें वापस सेवा में लेकर आएं. पूर्व विधायक ने कहा कि सरकार को पीटीआई अध्यापकों का घर बसाने का काम करना चाहिए ना कि उजाड़ने का. इस मौके पर पीटीआई अध्यापक प्रमोद ने बताया कि हमारे धरना-प्रदर्शन को सामाजिक, राजनैतिक, कर्मचारी संगठनों, ग्राम पंचायतों और खापों का समर्थन मिल रहा है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

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इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

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