भिवानी: दिन-रात कड़ी मेहनत कर लोगों का पेट और देश का खजाना भरने वाले अन्नदाता के लिए सफेद सोना भी घाटे का सौदा बन रहा है. 6 महीने दिन रात कड़ी मेहनत कर भारी भरकम खर्च करके उन्होंने कपास की फसल काटी.
लेकिन जब किसान मंडियों में अपनी फसल लेकर जा रहे हैं तो उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा है. जिसके कारण किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि कपास की बिजाई से लेकर कटाई तक उन्होंने कड़ी मेहनत करके फसल को तैयार किया है. इसके बावजूद उन्हें उनकी फसल का उचित भाव नहीं मिल रहा है.
आमदनी से ज्यादा खर्च होने के कारण किसान परेशान
किसानों ने कहा कि कपास की खेती में खर्च और मेहनत बहुत ही ज्यादा होता है. उन्होंने बताया कि जितने भाव में कपास मंडियों में खरीदा जा रहा है, उससे ज्यादा उन्होंने खर्च कर दिया है. अपनी फसल हम मजबूरी में बेच रहे हैं. किसानों ने बताया कि खाद, बीज और दवा के भाव सरकार कम करेगी और भाव को बढ़ाएगी तभी बात बन सकेगी, नहीं तो किसान घाटे में ही रहेगा.
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इस मुद्दे पर आढ़तियों ने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम की वजह से हम जिस भाव में फसल खरीद रहे हैं उसी भाव में बेच दे रहे हैं. आढ़तियों ने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम की वजह से हमें इस काम में कोई लाभ नहीं हो रहा है.
वहीं कमेटी असिस्टेंट बलदीप सांगवान का कहना है कि हम गुणवत्ता के आधार पर फसल खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि फसलों की गुणवत्ता के अनुसार ही फसल का रेट लगता है. बारिश के कारण कपास में नमी होने के कारण हम कपास का मूल्य 5100 से 5200 दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अगर कपास पूरी तरह से फ्रेश रहेगी तो हम फसल का पूरा भाव देंगे. उन्होंने कहा कि फसल खरीद में सरकारी भाव का पूरी तरह से ख्याल रखा जा रहा है और किसान संतुष्ट हैं.