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भिवानी: मंडी में किसानों को नहीं मिल रहा भाव, कम दाम पर कपास बेचने को मजबूर किसान

भिवानी की मंडियों में कपास की खरीद सरकारी भाव से नहीं होने से किसान परेशान हैं. किसानों के अनुसार आढ़तियों और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण उन्हें कपास के कम दाम मिल रहे हैं.

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Published : Nov 8, 2019, 10:45 PM IST

कपास का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान

भिवानी: दिन-रात कड़ी मेहनत कर लोगों का पेट और देश का खजाना भरने वाले अन्नदाता के लिए सफेद सोना भी घाटे का सौदा बन रहा है. 6 महीने दिन रात कड़ी मेहनत कर भारी भरकम खर्च करके उन्होंने कपास की फसल काटी.

लेकिन जब किसान मंडियों में अपनी फसल लेकर जा रहे हैं तो उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा है. जिसके कारण किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि कपास की बिजाई से लेकर कटाई तक उन्होंने कड़ी मेहनत करके फसल को तैयार किया है. इसके बावजूद उन्हें उनकी फसल का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

कपास का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान

आमदनी से ज्यादा खर्च होने के कारण किसान परेशान
किसानों ने कहा कि कपास की खेती में खर्च और मेहनत बहुत ही ज्यादा होता है. उन्होंने बताया कि जितने भाव में कपास मंडियों में खरीदा जा रहा है, उससे ज्यादा उन्होंने खर्च कर दिया है. अपनी फसल हम मजबूरी में बेच रहे हैं. किसानों ने बताया कि खाद, बीज और दवा के भाव सरकार कम करेगी और भाव को बढ़ाएगी तभी बात बन सकेगी, नहीं तो किसान घाटे में ही रहेगा.

इसे भी पढ़ें: सोहना: धान और कपास बेचने आए किसान नाखुश, व्यापारी औने-पौने दामों पर खरीद रहे फसल

इस मुद्दे पर आढ़तियों ने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम की वजह से हम जिस भाव में फसल खरीद रहे हैं उसी भाव में बेच दे रहे हैं. आढ़तियों ने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम की वजह से हमें इस काम में कोई लाभ नहीं हो रहा है.

वहीं कमेटी असिस्टेंट बलदीप सांगवान का कहना है कि हम गुणवत्ता के आधार पर फसल खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि फसलों की गुणवत्ता के अनुसार ही फसल का रेट लगता है. बारिश के कारण कपास में नमी होने के कारण हम कपास का मूल्य 5100 से 5200 दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अगर कपास पूरी तरह से फ्रेश रहेगी तो हम फसल का पूरा भाव देंगे. उन्होंने कहा कि फसल खरीद में सरकारी भाव का पूरी तरह से ख्याल रखा जा रहा है और किसान संतुष्ट हैं.

भिवानी: दिन-रात कड़ी मेहनत कर लोगों का पेट और देश का खजाना भरने वाले अन्नदाता के लिए सफेद सोना भी घाटे का सौदा बन रहा है. 6 महीने दिन रात कड़ी मेहनत कर भारी भरकम खर्च करके उन्होंने कपास की फसल काटी.

लेकिन जब किसान मंडियों में अपनी फसल लेकर जा रहे हैं तो उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा है. जिसके कारण किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि कपास की बिजाई से लेकर कटाई तक उन्होंने कड़ी मेहनत करके फसल को तैयार किया है. इसके बावजूद उन्हें उनकी फसल का उचित भाव नहीं मिल रहा है.

कपास का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान

आमदनी से ज्यादा खर्च होने के कारण किसान परेशान
किसानों ने कहा कि कपास की खेती में खर्च और मेहनत बहुत ही ज्यादा होता है. उन्होंने बताया कि जितने भाव में कपास मंडियों में खरीदा जा रहा है, उससे ज्यादा उन्होंने खर्च कर दिया है. अपनी फसल हम मजबूरी में बेच रहे हैं. किसानों ने बताया कि खाद, बीज और दवा के भाव सरकार कम करेगी और भाव को बढ़ाएगी तभी बात बन सकेगी, नहीं तो किसान घाटे में ही रहेगा.

इसे भी पढ़ें: सोहना: धान और कपास बेचने आए किसान नाखुश, व्यापारी औने-पौने दामों पर खरीद रहे फसल

इस मुद्दे पर आढ़तियों ने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम की वजह से हम जिस भाव में फसल खरीद रहे हैं उसी भाव में बेच दे रहे हैं. आढ़तियों ने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम की वजह से हमें इस काम में कोई लाभ नहीं हो रहा है.

वहीं कमेटी असिस्टेंट बलदीप सांगवान का कहना है कि हम गुणवत्ता के आधार पर फसल खरीद रहे हैं. उन्होंने बताया कि फसलों की गुणवत्ता के अनुसार ही फसल का रेट लगता है. बारिश के कारण कपास में नमी होने के कारण हम कपास का मूल्य 5100 से 5200 दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अगर कपास पूरी तरह से फ्रेश रहेगी तो हम फसल का पूरा भाव देंगे. उन्होंने कहा कि फसल खरीद में सरकारी भाव का पूरी तरह से ख्याल रखा जा रहा है और किसान संतुष्ट हैं.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 8 नवंबर।
मंडी में सफेद सोना बेचने आए किसान परेशान
कपास को कम भाव में बेचने पर मजबूर किसान
सरकारी भाव 5460, लेकिन 5100-5200 तक बिक रही है कपास
आमदनी से ज्यादा हो जाता है खर्चा : किसान 
     दिन-रात कङी मेहनत कर लोगों का पेट और देश का खजाना भरने वाले अन्नदाता के लिए इस बार सफेद सोने भी घाटे का सौदा बन रहा है। छह महिने दिन रात कङी मेहनत कर भारी भरकम खर्च करके उनगाने वाली सफेद सोना रूपी कपास के उचित दाम ना मिलने से किसान खासे परेशान हैं। अन्नदाताओं का कहना है कि कपास की बिजाई से लेकर कटाई तक हर रोज कङी मेहनत और खर्च करना पङाता है। बावजूद इसके भाव उचित नहीं मिल रहा। 
Body:   किसानों का कहना है कि आमदनी से ज्यादा तो खर्चा हो जाता है। जितने भाव पर कपास खरीद रहे हैं, उससे ज्यादा खर्चा तो खेती पर लग जाता है और क्या करें हम तो बेचने आए मजबूरी में बेच रहे हैं। किसानों ने बताया कि खाद, बिज व दवा के भाव कुछ कम हों और भाव कुछ ज्यादा हो तो ही बात बन सकती है। वरना किसान घाटे में रहेगा।
Conclusion: वही आढ़ती का कहना है कि किसान जितने भाव में फसल लेकर आता है, उसी भाव में हम आगे बेच देते हैं। ऑनलाइन सिस्टम खत्म होना चाहिए। 
    कमेटी असिस्टेंट बलदीप सांगवान का कहना है कि हम गुणवत्ता के आधार पर फसल खरीद रहे हैं। बारिश के कारण कपास में थोड़ी नमी है 5100-5200 तक कपास बिक रही है और पूरी सरकारी भावों को ध्यान में रखा जा रहा है किसान  संतुष्ट है। 
बाइट : सज्जन, प्रवीण, जय प्रकाश (आढ़ती), कमेटी असिस्टेंट बलदीप सांगवान
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