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रोहनात के ग्रामीणों ने दूसरे दिन भी नहीं किया संतलाल का संस्कार, मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग

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Published : Aug 18, 2022, 10:25 PM IST

भिवानी के रोहनात गांव में धरना दे रहे ग्रामीणों ने दूसरे दिन भी मृतक संतलाल का संस्कार नहीं किया. ग्रामीणों की मांग है कि जब तक मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता व एक सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं दी जाती तब तक वो मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.

Santlal rites not perform in Rohnaat
मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग

भिवानी: रोहनात गांव को स्वतंत्रता सेनानी गांव घोषित करने के लिए धरना (Dharna in rohnat village) दे रहे ग्रामीण संतलाल की मौत को दो दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक उनका अंतिम संस्कार ग्रामीणों ने नहीं (Santlal rites not perform in Rohnaat) किया है. ग्रामीणों की मांग है कि सरकार मृतक के परिजनों को 1 करोड़ की आर्थिक सहायता व एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी तभी शव का संस्कार किया जाएगा. एसडीएम संदीप अग्रवाल ने ग्रामीणों व धरना दे रही कमेटी से बातचीत कर शव का संस्कार करने के लिए कहा लेकिन किसी ने एसडीएम की बात नहीं मानी. प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों के साथ बातचीत कर रहे हैं लेकिन बात बनती नहीं दिख रही है.

ग्रामीणों ने शव धरनास्थल पर ही डी-फ्रिज में रख रखा है. गांव रोहनात में 10 अगस्त से ग्रामीण धरना दे रहे हैं और सरकार से रोहनात को स्वतंत्रता सेनानी गांव (Rohnaat freedom fighter village) घोषित करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गांव के क्रांतिकारी कुएं का सौंदर्यकरण करने, स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान देने वाले शहीदों की प्रतिमा लगाने व गांव में शहीद पार्क, स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी जिन पर 4 साल बीत जाने के बाद भी कोई काम नहीं हुआ.

Santlal rites in Rohnaat
सरे दिन भी नहीं किया संतलाल का संस्कार

ग्रामीणों का कहना है कि आज गांव में मृतक संतलाल के संस्कार के लिए भी 10 गज जमीन नहीं है.ग्रामीणों ने बताया कि विभिन्न पट्टियों में बंटे गांव की जमीन की पट्टियों को तोडक़र जमीन गांव के नाम की जाए. इसके अलावा सरकार अपने वादे को निभाते हुए 57 लोगों को प्लॉट दे. ग्रामीणों ने मृतक संतलाल को शहीद का दर्जा देने की भी मांग की है. मृतक के बेटे ने बताया कि जब तक प्रशासन उनकी मांग नहीं मानता, तब तक न शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा और न ही धरना उठाया जाएगा. देश को स्वतंत्रत करवाने के लिए हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रोहनात गांव का योगदान (Rohnat contribution in first freedom struggle) अमूल्य था. 1857 की क्रांति में रोहनात के असंख्य लोगों ने भाग लिया था और देश के लिए शहादतें दी थी. ग्रामीणों के इस विरोध को देखते हुए अंग्रेजों ने गांव के लोगों की जमीनें नीलाम कर दी थी.

Santlal rites not perform in Rohnaat
मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग

भिवानी: रोहनात गांव को स्वतंत्रता सेनानी गांव घोषित करने के लिए धरना (Dharna in rohnat village) दे रहे ग्रामीण संतलाल की मौत को दो दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक उनका अंतिम संस्कार ग्रामीणों ने नहीं (Santlal rites not perform in Rohnaat) किया है. ग्रामीणों की मांग है कि सरकार मृतक के परिजनों को 1 करोड़ की आर्थिक सहायता व एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी तभी शव का संस्कार किया जाएगा. एसडीएम संदीप अग्रवाल ने ग्रामीणों व धरना दे रही कमेटी से बातचीत कर शव का संस्कार करने के लिए कहा लेकिन किसी ने एसडीएम की बात नहीं मानी. प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों के साथ बातचीत कर रहे हैं लेकिन बात बनती नहीं दिख रही है.

ग्रामीणों ने शव धरनास्थल पर ही डी-फ्रिज में रख रखा है. गांव रोहनात में 10 अगस्त से ग्रामीण धरना दे रहे हैं और सरकार से रोहनात को स्वतंत्रता सेनानी गांव (Rohnaat freedom fighter village) घोषित करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गांव के क्रांतिकारी कुएं का सौंदर्यकरण करने, स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान देने वाले शहीदों की प्रतिमा लगाने व गांव में शहीद पार्क, स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी जिन पर 4 साल बीत जाने के बाद भी कोई काम नहीं हुआ.

Santlal rites in Rohnaat
सरे दिन भी नहीं किया संतलाल का संस्कार

ग्रामीणों का कहना है कि आज गांव में मृतक संतलाल के संस्कार के लिए भी 10 गज जमीन नहीं है.ग्रामीणों ने बताया कि विभिन्न पट्टियों में बंटे गांव की जमीन की पट्टियों को तोडक़र जमीन गांव के नाम की जाए. इसके अलावा सरकार अपने वादे को निभाते हुए 57 लोगों को प्लॉट दे. ग्रामीणों ने मृतक संतलाल को शहीद का दर्जा देने की भी मांग की है. मृतक के बेटे ने बताया कि जब तक प्रशासन उनकी मांग नहीं मानता, तब तक न शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा और न ही धरना उठाया जाएगा. देश को स्वतंत्रत करवाने के लिए हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रोहनात गांव का योगदान (Rohnat contribution in first freedom struggle) अमूल्य था. 1857 की क्रांति में रोहनात के असंख्य लोगों ने भाग लिया था और देश के लिए शहादतें दी थी. ग्रामीणों के इस विरोध को देखते हुए अंग्रेजों ने गांव के लोगों की जमीनें नीलाम कर दी थी.

Santlal rites not perform in Rohnaat
मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग
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