भिवानी: मंत्रीमंडल के फैसले के अनुसार सातवें वेतन आयोग में क्लर्क का वेतन 35400 व पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सभी विभागों के क्लर्को ने एकजुट होकर आंदोलन का ऐलान कर दिया है. सभी विभागों, बोर्डो, निगमों, नगर निगमों, सचिवालय, विश्वविद्यालयों में काम करने वाले मिनिस्ट्रीयल स्टाफ कर्मियों का सांझा संगठन हरियाणा मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन संबंद्ध सर्व कर्मचारी संघ ने हरियाणा के बैनर तले गत दिनों रोहतक में राज्य स्तरीय बैठक की.
बैठक में आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई थी. जिसके तहत मार्च-अप्रैल महीनें में डीसी दफ्तरों पर जिला वार पड़ाव डाले जाएंगे. वहीं, 21 मई को सीएम सिटी करनाल में प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. कर्मचारियों ने कहा कि सरकारी विभागों में सरकार की रीढ़ कहलाने वाले क्लर्को का वेतन किसी समय विभाग की अन्य कैटेगरियों से ज्यादा होता था, लेकिन वेतन आयोग की रिपोर्ट में सभी सरकारें क्लर्को को पीछे धकेलती रही.
पहले कांग्रेस शासन के समय में वित्त मंत्री हरमोहिंद्र सिंह के निवास कुरूक्षेत्र पर लगातार 477 दिन तक आंदोलन चला. आंदोलन के दबाव में सरकार ने 25 अगस्त 2014 को मंत्रीमंडल में पंजाब की तर्ज पर वेतनमान देने का प्रस्ताव पारित किया, जो अब सातवें वेतन आयोग में 35400 बनता है. बीेजेपी सरकार ने भी 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में वेतनमान की मांग को प्रमुखता से शामिल किया था.
उन्होंने कहा था कि यह संकल्प पत्र है. सरकार बनते ही इसे लागू किया जाएगा.लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 2004 और राज्य सरकार ने 2006 में पुरानी पेंशन बंद कर एनपीएस लागू कर दिया. इसीलिए मिनिस्ट्रीयल स्टाफ कर्मियों ने वेतनमान व पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन करने का फैसला लिया.
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आंदोलन के प्रथम चरण में मार्च-अप्रैल महीनें में डीसी दफ्तरों पर जिलावार एक दिवसीय पड़ाव डाले जाएंगे और दूसरे चरण में 21 मई को मुख्यमंत्री आवास करनाल पर प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बार-बार सरकार की वायदाखिलाफी से कर्मचारी तंग आ चुके है और परेशान कर्मचारियों द्वारा बड़े संघर्ष की रूपरेखा बनाई गई है. साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अबकी बार भी उनकी मांगों का स्थायी समाधान नहीं हुआ, तो तो कामकाज ठप्प कर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे.
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