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'किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारियों को सरकार बदलने पर देना होगा हिसाब'

हरियाणा में किसानों पर हुए लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) को लेकर विपक्षी नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है. अब कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (deepender hooda) ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों का सर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी पर कार्रवाई हो. ऐसे अधिकारियों को सरकार बदलने के बाद हिसाब-किताब जरूर देना होगा.

deepender hooda
deepender hooda on farmer lathi charge
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Published : Aug 29, 2021, 4:21 PM IST

भिवानी: कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (deepender hooda) ने करनाल में किसानों पर हुई लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) की निंदा करते हुए लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम को निलंबित किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राज बदलने के बाद ऐसे अधिकारी जो कुर्सी के अहंकार में अलोकतांत्रिक फरमान जारी करते हैं, उनका हिसाब-किताब लिया जाएगा. ये बात उन्होंने रविवार भिवानी में एक सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही.

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार पिछले नौ माह से किसानों की मांगों की अनदेखी करते हुए उन्हें निरंतर उकसाने का कार्य कर रही है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सर फोड़ने जैसे आदेश देने वाले अधिकारियों को राज बदलने के बाद अपनी करनी का हिसाब-किताब देना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार कुर्सी के अहंकार में अलोकतांत्रिक निर्णय ले रही है. यह अहंकार अब अधिकारियों में भी घुस गया है, जो सर फोड़ने का आदेश लिखकर देने की बात कर रहे हैं. ऐसे अधिकारियों पर सरकार को लगाम लगानी चाहिए.

ये भी पढ़ें- सीएम मनोहर लाल के कार्यक्रम पर बवाल, पुलिस ने किसानों पर किया लाठीचार्ज, कई घायल

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि विपक्ष के सांसद के तौर पर उन्होंने सदन में नियम 267 के तहत बार-बार किसानों के मुद्दे पर चर्चा को लेकर मांग उठाई, लेकिन सत्ता पक्ष द्वारा उन्हें यह कहकर खारिज कर दिया कि किसानों के मुद्दे, जासूसी कांड व महंगाई को छोड़कर चौथे मुद्दे पर विपक्ष चर्चा करें. उन्हें संसद में जनता की आवाज रखने से रोका जा रहा है. वे संसद में जनता के मुद्दों पर चर्चा के लिए जाते हैं, ना कि मौसम की चर्चा के लिए.

उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसानों को नौ माह से बरगला रही है और उनकी समस्या का हल नहीं कर रही. ऐसे में किसान अपनी पीड़ा को लेकर कहां जाए, वे विपक्षी दल के नेताओं के पास पहुंच रहे है और विपक्षी दल के नेताओं को संसद में किसानों की आवाज उठाने से रोका जा रहा है.

ये भी पढ़ें- किसान लाठीचार्ज: टोल पर विरोध से शुरू हुआ प्रदर्शन, फिर लाठीचार्ज और जाम, जानिए क्या-क्या हुआ पूरे दिन

बता दें कि, बता दें कि निकाय चुनाव को लेकर शनिवार को करनाल में बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी (Karnal BJP meeting) की एक अहम बैठक हो रही थी. जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित, प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ समेत कई नेता शामिल हुए. किसानों ने पहले ही बीजेपी के इस कार्यक्रम का विरोध करने की चेतावनी दी थी. जिसके बाद किसानों ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर विरोध किया और किसानों को रोकने के लिए पुलिस का बल का इस्तेमाल करना पड़ा.

किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) करना पड़ा. जब किसान और पुलिस आमने-सामने हुए तो पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज किया जा रहा था तो वहीं किसानों की तरफ से पत्थरबाजी की गई. इस दौरान 4 किसान और 10 पुलिसकर्मी घायल हुए. घायल हुए किसानों में से एक किसान की रविवार को मौत हो गई. मृतक किसान का नाम सुशील काजल है. किसान करनाल के घरौंडा के रायपुर जट्टान गांव का रहने वाला था.

ये भी पढ़ें- 'करनाल लाठीचार्ज में घायल हुए किसान की मौत'

भिवानी: कांग्रेस राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (deepender hooda) ने करनाल में किसानों पर हुई लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) की निंदा करते हुए लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम को निलंबित किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राज बदलने के बाद ऐसे अधिकारी जो कुर्सी के अहंकार में अलोकतांत्रिक फरमान जारी करते हैं, उनका हिसाब-किताब लिया जाएगा. ये बात उन्होंने रविवार भिवानी में एक सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही.

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार पिछले नौ माह से किसानों की मांगों की अनदेखी करते हुए उन्हें निरंतर उकसाने का कार्य कर रही है. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सर फोड़ने जैसे आदेश देने वाले अधिकारियों को राज बदलने के बाद अपनी करनी का हिसाब-किताब देना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार कुर्सी के अहंकार में अलोकतांत्रिक निर्णय ले रही है. यह अहंकार अब अधिकारियों में भी घुस गया है, जो सर फोड़ने का आदेश लिखकर देने की बात कर रहे हैं. ऐसे अधिकारियों पर सरकार को लगाम लगानी चाहिए.

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दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि विपक्ष के सांसद के तौर पर उन्होंने सदन में नियम 267 के तहत बार-बार किसानों के मुद्दे पर चर्चा को लेकर मांग उठाई, लेकिन सत्ता पक्ष द्वारा उन्हें यह कहकर खारिज कर दिया कि किसानों के मुद्दे, जासूसी कांड व महंगाई को छोड़कर चौथे मुद्दे पर विपक्ष चर्चा करें. उन्हें संसद में जनता की आवाज रखने से रोका जा रहा है. वे संसद में जनता के मुद्दों पर चर्चा के लिए जाते हैं, ना कि मौसम की चर्चा के लिए.

उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसानों को नौ माह से बरगला रही है और उनकी समस्या का हल नहीं कर रही. ऐसे में किसान अपनी पीड़ा को लेकर कहां जाए, वे विपक्षी दल के नेताओं के पास पहुंच रहे है और विपक्षी दल के नेताओं को संसद में किसानों की आवाज उठाने से रोका जा रहा है.

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बता दें कि, बता दें कि निकाय चुनाव को लेकर शनिवार को करनाल में बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी (Karnal BJP meeting) की एक अहम बैठक हो रही थी. जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित, प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ समेत कई नेता शामिल हुए. किसानों ने पहले ही बीजेपी के इस कार्यक्रम का विरोध करने की चेतावनी दी थी. जिसके बाद किसानों ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर विरोध किया और किसानों को रोकने के लिए पुलिस का बल का इस्तेमाल करना पड़ा.

किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) करना पड़ा. जब किसान और पुलिस आमने-सामने हुए तो पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज किया जा रहा था तो वहीं किसानों की तरफ से पत्थरबाजी की गई. इस दौरान 4 किसान और 10 पुलिसकर्मी घायल हुए. घायल हुए किसानों में से एक किसान की रविवार को मौत हो गई. मृतक किसान का नाम सुशील काजल है. किसान करनाल के घरौंडा के रायपुर जट्टान गांव का रहने वाला था.

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