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'छोटी काशी' की हर गली में है मंदिर फिर भी क्यों है पहचान की मोहताज?

मंदिरों की भारी संख्या भिवानी को 'छोटी काशी' बनाती है, इसका नाम अकबर के नवरत्न दरबारी अबुल फजल की किताब आईने-अकबरी में भी दर्ज है, यहां तक की मुगलों के समय में इस शहर को वाणिज्यिक केन्द्र बनाया गया था, लेकिन यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी कोई काम नहीं हो रहा.

choti kashi in search of identity
भिवानी
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Published : Dec 5, 2019, 3:38 PM IST

Updated : Dec 5, 2019, 3:47 PM IST

भिवानी: बाबा विश्ववनाथ की नगरी काशी जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है वो विश्व प्रसिद्ध है. पुराणों के मुताबिक भगवान शिव स्वयं कहते हैं कि ‘भूलोक के समस्त क्षेत्रों में काशी साक्षात मेरा शरीर है’, लेकिन क्या आप वाराणसी के अलावा किसी और काशी के बारे में जानते हैं, अगर नहीं तो इसे भी जानिए.

पहचान की तलाश में ‘छोटी काशी’
दरअसल ये काशी तो नहीं लेकिन 'छोटी काशी' जरुर है. क्योंकि काशी की तरह ही यहां भी खूब मंदिर हैं.ये हरियाणा का भिवानी शहर है जो सूबे का एक जिला भी है और जहां से अब तक तीन मुख्यमंत्री बन चुके हैं, राजनीतिक से लेकर धार्मिक क्षेत्र तक में इस जिले का खुद एक अलग इतिहास है. लेकिन फिर भी ये अब तक अहम पर्यटन केन्द्र नहीं बन सका है.

छोटी काशी की हर गली में हैं मंदिर
मंदिरों की भारी संख्या इस शहर को छोटा काशी बनाती है, इसका नाम अकबर के नवरत्न दरबारी अबुल फजल की किताब आईने-अकबरी में भी दर्ज है, यहां तक की मुगलों के समय में इस शहर को वाणिज्यिक केन्द्र बनाया गया था, लेकिन फिलहाल यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी कोई काम नहीं हो रहा है. दिल्ली से 125 किलोमीटर की दूरी पर बसा भिवानी भौगोलिक रूप से भी पर्यटन केन्द्र बनने के अनुकूल है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही. ऐसा स्थानीय लोगों का मानना है.

क्लिक कर देखिए स्पेशल रिपोर्ट

ये हैं भिवानी के प्रमुख मंदिर
किरोड़ीमल मंदिर, जोगीवाला मंदिर, खाकी बाबा मंदिर, परशुराम मंदिर, पूर्वी हनुमान मंदिर, भोझा वाला देवी मंदिर, प्रणामी आश्रम मंदिर, जोगीवाला मंदिर, हनुमान जोहड़ी मंदिर और देवसर पहाड़ी वाला मंदिर.

ये है भिवानी का ऐतिहासिक महत्व

भिवानी के दो गांव मिताथल और नौरंगाबाद हड़प्पा संस्कृति के भाग माने जाते हैं, इन गावों में खुदाई हुई थी, जिसके दौरान यहां से 2500 साल पूराने सिक्के और दूसरे उपकरण मिले थे.

ये भी पढ़िए: दादरी के 'ओल्ड बॉय' की फिटनेस देख छूट जाएंगे आपके पसीने

पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग

भिवानी के मंदिरों में शानदार मूर्तिकला और उनकी भव्यता देखने लायक है. आज भी नवरात्रि, जन्माष्टमी और शिवरात्रि समेत कई त्यौहारों पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.लेकिन दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये है कि करीब 350 मंदिरों और हड़प्पा कालीन संस्कृति का भाग माने जाने वाले इस क्षेत्र में रुकने की कोई खास व्यवस्था नहीं है, अच्छे होटल नहीं है. स्थानीय लोग इसे कुरुक्षेत्र की तर्ज पर टूरिज्म हब बनाने की मांग कर रहे हैं.

भिवानी: बाबा विश्ववनाथ की नगरी काशी जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है वो विश्व प्रसिद्ध है. पुराणों के मुताबिक भगवान शिव स्वयं कहते हैं कि ‘भूलोक के समस्त क्षेत्रों में काशी साक्षात मेरा शरीर है’, लेकिन क्या आप वाराणसी के अलावा किसी और काशी के बारे में जानते हैं, अगर नहीं तो इसे भी जानिए.

पहचान की तलाश में ‘छोटी काशी’
दरअसल ये काशी तो नहीं लेकिन 'छोटी काशी' जरुर है. क्योंकि काशी की तरह ही यहां भी खूब मंदिर हैं.ये हरियाणा का भिवानी शहर है जो सूबे का एक जिला भी है और जहां से अब तक तीन मुख्यमंत्री बन चुके हैं, राजनीतिक से लेकर धार्मिक क्षेत्र तक में इस जिले का खुद एक अलग इतिहास है. लेकिन फिर भी ये अब तक अहम पर्यटन केन्द्र नहीं बन सका है.

छोटी काशी की हर गली में हैं मंदिर
मंदिरों की भारी संख्या इस शहर को छोटा काशी बनाती है, इसका नाम अकबर के नवरत्न दरबारी अबुल फजल की किताब आईने-अकबरी में भी दर्ज है, यहां तक की मुगलों के समय में इस शहर को वाणिज्यिक केन्द्र बनाया गया था, लेकिन फिलहाल यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी कोई काम नहीं हो रहा है. दिल्ली से 125 किलोमीटर की दूरी पर बसा भिवानी भौगोलिक रूप से भी पर्यटन केन्द्र बनने के अनुकूल है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही. ऐसा स्थानीय लोगों का मानना है.

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ये हैं भिवानी के प्रमुख मंदिर
किरोड़ीमल मंदिर, जोगीवाला मंदिर, खाकी बाबा मंदिर, परशुराम मंदिर, पूर्वी हनुमान मंदिर, भोझा वाला देवी मंदिर, प्रणामी आश्रम मंदिर, जोगीवाला मंदिर, हनुमान जोहड़ी मंदिर और देवसर पहाड़ी वाला मंदिर.

ये है भिवानी का ऐतिहासिक महत्व

भिवानी के दो गांव मिताथल और नौरंगाबाद हड़प्पा संस्कृति के भाग माने जाते हैं, इन गावों में खुदाई हुई थी, जिसके दौरान यहां से 2500 साल पूराने सिक्के और दूसरे उपकरण मिले थे.

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पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग

भिवानी के मंदिरों में शानदार मूर्तिकला और उनकी भव्यता देखने लायक है. आज भी नवरात्रि, जन्माष्टमी और शिवरात्रि समेत कई त्यौहारों पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.लेकिन दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये है कि करीब 350 मंदिरों और हड़प्पा कालीन संस्कृति का भाग माने जाने वाले इस क्षेत्र में रुकने की कोई खास व्यवस्था नहीं है, अच्छे होटल नहीं है. स्थानीय लोग इसे कुरुक्षेत्र की तर्ज पर टूरिज्म हब बनाने की मांग कर रहे हैं.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 1 दिसंबर।
सरकार संभाले तो छोटी काशी भिवानी बन सकता है महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र
दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से मात्र 120 किलोमीटर दूर है छोटी काशी भिवानी
शानदार मंदिरों का शहर है छोटी काशी भिवानी
नागरिकों की मांग : कुरूक्षेत्र की तर्ज पर छोटी काशी भिवानी पर भी ध्यान दे सरकार
देश में भिवानी शहर छोटी काशी के नाम से विख्यात है, इसके पीछे कारण यह है कि भिवानी एक धार्मिक नगरी है। यहां पर शहर में 350 के लगभग छोटे-बड़े मंदिर है। भिवानी के हर गली व महोल्ले में आपको एक मंदिर अवश्य मिल जाएगा। जो भिवानी की खासियत है। धर्मनगरी व मंदिरों की बहुतायत्ता होने के कारण भिवानी को छोटी काशी कहा जाता है। हालांकि बड़ी काशी का जिक्र ऋगवेद में है। ऐसे में छोटी काशी भिवानी का नाम आईने अकबरी में दर्ज है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। मुगलो के समय भिवानी वाणिज्यिक केंद्र होता था। दिल्ली के नजदीक होने के कारण छोटी काशी भिवानी एक महत्वपूर्ण पयर्टक स्थल के रूप में विकसित होने के गुण रखता है, बशर्ते सरकार इस दिशा में ध्यान दें।
भिवानी शहर धनाठ्य सेठों का शहर है। जिसके चलते भिवानी शहर में किरोड़ीमल मंदिर, जोगीवाला मंदिर, खाकी बाबा मंदिर, परशुराम मंदिर, पूर्वी हनुमान मंदिर, भोझा वाला देवी मंदिर, प्रणामी आश्रम मंदिर, जोगीवाला मंदिर, हनुमान जोहड़ी मंदिर, देवसर पहाड़ी वाला मंदिर जैसे शानदार व प्रसिद्ध मंदिर है। जो करोड़ों रूपयों की लागत से शानदार गश्तकारी व संगमरमर से बने हुए हैं। इन मंदिरों में स्थानीय नागरिक सुबह पूजा-पाठ के लिए पहुंचते है, वही भिवानी के अलावा अन्य जिलों के लोग भी इन मंदिरों को देखने के लिए भिवानी में बड़ी संख्या में पर्यटक के तौर पर पहुंचते हैं।
भिवानी के शानदार मूर्तिकला, संगमरमर व भव्यता के चलते इन मंदिरों में नवरात्रों, जनमाष्टमी, शिवरात्रिं सहित विभिन्न त्यौहारों को बड़ा भव्य तरीके से मनाया जाता है। मंदिरों में पैर रखने के लिए भी जगह नहीं बचती। इन मंदिरों का निर्माण में न केवल धनाठ्य लोग, बल्कि स्थानीय नागरिक व विभिन्न धार्मिक संस्थाएं पैसा एकत्रित कर इन्हे बनवाती रही है। अब समय आ गया है कि छोटी काशी भिवानी को पर्यटक के मानचित्र पर देखा जाने लगा है। भिवानी के हनुमान मंदिर जोहड़ी के पास स्थित तालाब, डोभी तालाब स्थित पीर बाबा मंदिर, पतराम गेट स्थित कावडिया वाला मंदिर, जोगीवाला मंदिरों के पास स्थित पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार कर उन्हे साफ-स्वच्छ पानी से भरा जा रहा है, जो अब पयर्टन की दृष्टि से समृद्ध नजर आने लगे हैं। इन भव्य मंदिरों में स्थित बगीचों व संगमरमर की गैलरी व गुबंदों में घूमने का नजारा लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इसके पीछे स्थानीय लोगों की धर्म के प्रति अपार श्रद्धा भी नजर आती है।
Body: भिवानी निवासी विनोद चावला, अमर यादव व नमन कुमार ने बताया कि भिवानी को अब टूरिज्म हब के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता है। जिस प्रकार प्रदेश सरकार धर्म नगरी कुरूक्षेत्र को विकसित करने में लगी है, वैसे ही भिवानी को भी विकसित किए जाने की जरूरत हैं। यदि स्थानीय धर्मशालाओं को छोड़ दे तो बहुत शानदार होटल व अन्य ठहरने के स्थान भिवानी में न होने के कारण यहां पयर्टन आगे नहीं बढ़ पा रहा है। ऐसे में उनकी मांग है कि प्रदेश सरकार छोटी काशी भिवानी पर ध्यान दे, ताकि छोटी काशी हरियाणा में महत्वपूर्ण पयर्टक बिंदु के रूप में भी स्थापित हो सकें। दिल्ली से मात्र 125 किलोमीटर की दूरी भी भिवानी को पयर्टन हब बनाने के लिए एक आवश्यक मापदंड है, जो भिवानी शहर पूरा करता है। इसके साथ ही इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट भिवानी से मात्र 120 किलोमीटर दूर है। भिवानी शहर से मात्र 6 किलोमीटर दूरी पर देवसर धाम मंदिर है, जो पहाड़ी पर स्थित है। जहां पर कलकत्ता, मुंबई, दिल्ली, पंजाब व राजस्थान के पयर्टक भी इसे देखने पहुंचते हैं।
Conclusion:इसके साथ ही भिवानी के साथ लगते गांव मिताथल व नौरंगाबद जो मात्र 10 किलोमीटर की परिधि में है, वहां पर 1964 से 1973 के दौरान पुरातत्व विभाग ने खुदाई में इसे हड़प्पा कालीन संस्कृति का भाग माना था, उस समय यहां 2500 साल पुराने सिक्के, कलाकृतियां व अन्य उपकरण खुदाई में मिले थे। इस खुदाई के बाद प्राप्त हुए डिजाईन के अनुसार पुरातत्व विभाग का मानना है कि 300 ईवी पूर्व यहां शहर मौजूद था। छोटी काशी भिवानी के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व पर भी पर्यटन विभाग की नजर जाए तो भिवानी, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, गुजरात व हरियाणा प्रदेशों के लिए महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल साबित हो सकता हैं।
बाईट : भिवानी निवासी विनोद चावला, अमर यादव व नमन कुमार।
Last Updated : Dec 5, 2019, 3:47 PM IST
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