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भिवानी को मिनी क्यूबा बनाने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह रिटायर्ड, फेयरवेल देने पहुंचे विजेंद्र सिंह - Bhiwani retired mini Cuban boxing coach

भिवानी को मिनी क्यूबा का नाम दिलाने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह रिटायर्ड हो गए हैं. इस दौरान जगदीश सिंह ने कहा कि वे आगे भी अपने काम को जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है.

Boxing coach Jagdish Singh who got Bhiwani named Mini Cuba retired
Boxing coach Jagdish Singh who got Bhiwani named Mini Cuba retired
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Published : Mar 2, 2021, 1:31 PM IST

भिवानी: मिनी क्यूबा, जिसे भिवानी के नाम से भी जाना जाता है. भिवानी को मिनी क्यूबा का नाम दिलाने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह रिटायर्ड हो गए हैं. ऐसे में गुरु के रिटायरमेंट पार्टी में देश के जाने माने बॉक्सरों का मेला लग गया. विश्व विजेता बॉक्सर विजेन्द्र और दिनेश भी अपने गुरू की पार्टी में पहुंचे.

मिनी क्यूबा के कोच हुए रिटायर्ड

बता दें कि कोच जगदीश सिंह ने मिनी क्यूबा यानी भिवानी से कई ऐसे बॉक्सरों को तैयार किया, जिन्होंने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत का नाम रौशन किया. जगदीश सिंह ने करीब 34 साल अपनी सेवा दी है, जिन्हें काफी गर्व है. इस दौरान कोच जगदीश ने कहा कि मां-बाप की सफलता उनको उनके बेटा या बेटी के नाम से पहचान मिलना मिलती है. ठीक इसी प्रकार एक कोच की सफलता उसे उसके शिष्यों के नाम से पहचान मिलती है.

भिवानी को मिनी क्यूबा का नाम दिलाने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह हुए रिटायर्ड

'रिटायरमेंट के बाद जिम्मेदारी बढ़ी'

उन्हें खुशी है कि आज भी उन्हें अपने खिलाड़ियों के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि वो रिटायरमेंट को नई ज्वाइनिंग मान कर आगे भी बॉक्सिंग के साथ समाज हित में काम करते रहेंगे. वो आगे तक काम करते रहेंगे. कोच जगदीश सिंह ने कहा कि अब उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है. कोच के रिटायरमेंट पार्टी में उनका जमकर स्वागत किया गया. फूल को जमकर बरसात की गई.

ये भी पढ़ें- 'मिनी क्यूबा' में तैयार हो रहे हैं करीब 1 हजार बॉक्सर, ओलंपिक में मेडल जीतना है सपना

मुक्केबाज विजेंद्र ने कहा जीरो से हीरो बनाया

विश्व विजेता विजेंद्र सिंह भी उनकी विदाई पर भावुक दिखे, उन्होंने कहा कि जो मुकाम आज उन्होंने हासिल किए हैं वो सब उनके कोच की ही देन है. विजेंद्र सिंह ने बताया कि उनके कोच ने ही उन्हें जीरो से हीरो बनाया. उनके अंदर का डर निकालकर एक बॉक्सर बनाया. रिंग में दनादन पंच बरसाना हो या और कोई दांव पेच सब उनके कोच की ही देन है.

ये भी पढ़ें- भिवानी को क्यों कहा जाता है दुनिया का मिनी क्यूबा, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

ये है जगदीश सिंह की उपलब्धि

बता दें कि क्यूबा के बाद विश्व में दूसरा ऐसा शहर भिवानी है, जहां करीब दो हजार मुक्केबाज हर रोज मुक्केबाजी की प्रैक्टिस करते हैं. इसके लिए रिटायर्ड कोच जगदीश ने काफी योगदान दिया है. उन्होंने ओलपिंक में मेडल जीतने वाले से लेकर विश्व में नाम करने वाले खिलाड़ियों को मुक्के बरसाने सिखाए हैं. वर्ल्ड चैम्पियनशिप की बात करें, तो भारत को अभी तक 6 मेडल मिले हैं, जिनमें तीन अकेले भिवानी के मुक्केबाज विजेंद्र सिंह, विकास कृष्णनन और मनीष कौशिक को मिले हैं. भिवानी जिले से 10 के लगभग ओलम्पियन मुक्केबाज हैं और ये सब बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह की कोशिशों का परिणाम है.

भिवानी: मिनी क्यूबा, जिसे भिवानी के नाम से भी जाना जाता है. भिवानी को मिनी क्यूबा का नाम दिलाने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह रिटायर्ड हो गए हैं. ऐसे में गुरु के रिटायरमेंट पार्टी में देश के जाने माने बॉक्सरों का मेला लग गया. विश्व विजेता बॉक्सर विजेन्द्र और दिनेश भी अपने गुरू की पार्टी में पहुंचे.

मिनी क्यूबा के कोच हुए रिटायर्ड

बता दें कि कोच जगदीश सिंह ने मिनी क्यूबा यानी भिवानी से कई ऐसे बॉक्सरों को तैयार किया, जिन्होंने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत का नाम रौशन किया. जगदीश सिंह ने करीब 34 साल अपनी सेवा दी है, जिन्हें काफी गर्व है. इस दौरान कोच जगदीश ने कहा कि मां-बाप की सफलता उनको उनके बेटा या बेटी के नाम से पहचान मिलना मिलती है. ठीक इसी प्रकार एक कोच की सफलता उसे उसके शिष्यों के नाम से पहचान मिलती है.

भिवानी को मिनी क्यूबा का नाम दिलाने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह हुए रिटायर्ड

'रिटायरमेंट के बाद जिम्मेदारी बढ़ी'

उन्हें खुशी है कि आज भी उन्हें अपने खिलाड़ियों के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि वो रिटायरमेंट को नई ज्वाइनिंग मान कर आगे भी बॉक्सिंग के साथ समाज हित में काम करते रहेंगे. वो आगे तक काम करते रहेंगे. कोच जगदीश सिंह ने कहा कि अब उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है. कोच के रिटायरमेंट पार्टी में उनका जमकर स्वागत किया गया. फूल को जमकर बरसात की गई.

ये भी पढ़ें- 'मिनी क्यूबा' में तैयार हो रहे हैं करीब 1 हजार बॉक्सर, ओलंपिक में मेडल जीतना है सपना

मुक्केबाज विजेंद्र ने कहा जीरो से हीरो बनाया

विश्व विजेता विजेंद्र सिंह भी उनकी विदाई पर भावुक दिखे, उन्होंने कहा कि जो मुकाम आज उन्होंने हासिल किए हैं वो सब उनके कोच की ही देन है. विजेंद्र सिंह ने बताया कि उनके कोच ने ही उन्हें जीरो से हीरो बनाया. उनके अंदर का डर निकालकर एक बॉक्सर बनाया. रिंग में दनादन पंच बरसाना हो या और कोई दांव पेच सब उनके कोच की ही देन है.

ये भी पढ़ें- भिवानी को क्यों कहा जाता है दुनिया का मिनी क्यूबा, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

ये है जगदीश सिंह की उपलब्धि

बता दें कि क्यूबा के बाद विश्व में दूसरा ऐसा शहर भिवानी है, जहां करीब दो हजार मुक्केबाज हर रोज मुक्केबाजी की प्रैक्टिस करते हैं. इसके लिए रिटायर्ड कोच जगदीश ने काफी योगदान दिया है. उन्होंने ओलपिंक में मेडल जीतने वाले से लेकर विश्व में नाम करने वाले खिलाड़ियों को मुक्के बरसाने सिखाए हैं. वर्ल्ड चैम्पियनशिप की बात करें, तो भारत को अभी तक 6 मेडल मिले हैं, जिनमें तीन अकेले भिवानी के मुक्केबाज विजेंद्र सिंह, विकास कृष्णनन और मनीष कौशिक को मिले हैं. भिवानी जिले से 10 के लगभग ओलम्पियन मुक्केबाज हैं और ये सब बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह की कोशिशों का परिणाम है.

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