भिवानी: दुनिया में अपने मुक्के के दम पर हरियाणा और भिवानी की अलग पहचान बनाने वाले बॉक्सर विजेंदर सिंह इन दिनों अपने गांव में समय बिता रहे हैं. कोरोना महामारी और बढ़ते प्रदूषण से परेशान होकर विजेंदर सिंह ने अपने गांव कालुवास आने का फैसला किया.
ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह कालुवास गांव में अपने परिवार के साथ वक्त बिता रहे हैं. यहां वो रोजाना अपने बच्चों के साथ खेलते हैं. दोस्तों से मिलते जुलते हैं और बगीचे में कस्सी से काम (खेती) करते हैं.
'खेल पर कोरोना का बुरा प्रभाव'
विजेंदर सिंह का कहना कि इस वक्त दिल्ली से कहीं अच्छा उनका गांव है. यहां भाईचारा और पर्यावरण दोनों ही दिल्ली से अच्छे हैं. विजेंदर सिंह ने कहा कि अब वो गांव की हरियाली और शुद्ध हवा का मजा ले रहे हैं. विजेंदर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी का खेल, खिलाड़ी और प्रतियोगिताओं पर बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि अगर कोरोना महामारी ना होती तो उनके अब तक दो मैच हो चुके होते. अब वो अगले साल होने की उम्मीद है.
विजेंदर सिंह ने हरियाणा की राजनीति पर भी खुलकर बात की. सोनीपत में जहरीली शराब से हुई मौतों पर विजेंदर सिंह ने कहा कि नशे को खत्म करने का एक ही तरीका है और वो है खेलों को बढ़ावा देना. खेलों को बढ़ावा देकर नशे को खत्म किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि खेलों को बढ़ावा मिलने पर एक वर्ग ही नहीं बल्कि पूरे समाज में सुधार आता है.
विजेंदर ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा
बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए विजेंदर सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार ने खेलों को बढ़ावा देने की बजाय दो साल पहले खेल कोटे से ग्रुप-डी में भर्ती हुए खिलाड़ियों की नौकरी ही छिन ली. रोजगार के मुद्दे पर भी विजेंदर सिंह ने हरियाणा सरकार को कटघरे में खड़ा किया. निजी क्षेत्र में हरियाणा के युवाओं को 75 फीसदी नौकरी देने के सरकार के फैसले पर विजेंदर सिंह ने कहा कि पहले मुझे भी ये फैसला अच्छा लगा.
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विजेंदर सिंह ने कहा कि मुझे बाद में बता चला कि हरियाणा में तो पहले ही निजी क्षेत्र में 75 फ़ीसदी से ज़्यादा नौकरी हरियाणा के ही लोग कर रहे हैं. कृषि कानूनों को भी विजेंदर सिंह ने किसान विरोधी बताया और कहा कि ये कानून अगर किसानों के हक में होते तो वो रोजाना प्रदर्शन नहीं करते. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का असर धीरे-धीरे दिखेगा. आने वाली पीढ़ी ये कानून खत्म कर देगी.