भिवानी: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने अपने 78 महारथियों को चुनावी दंगल में उतारा है. 12 अब भी ऐसी विधानसभा सीटें है जहां बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. बता दें कि जिन 12 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है उनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां 2014 के चुनाव में बीजेपी के हाथ हार लगी थी. ऐसी ही एक सीट भिवानी जिले की तोशाम भी है. जहां बीजेपी को ऐसे चेहरे की तलाश है जो तोशाम से कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को टक्कर दे सके.
तोशाम से बीजेपी को मजबूत दावेदार की दरकार
बता दें कि बीजेपी ने भिवानी की चार में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है. जबकि अभीतक बीजेपी ने तोशाम हलके से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. जातीय समीकरणों के लिहाज से अगर बीजेपी ने तोशाम से जाट प्रत्याशी पर दांव खेला तो बीजेपी से जुड़े ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के लोग पार्टी से छिटक सकते हैं, क्योंकि इस सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की संख्या अच्छी खासी मानी जाती है.
बीजेपी के 'संटकमोचन' हैं घनश्याम सर्राफ!
अगर बात करें भिवानी विधानसभा क्षेत्र की तो बीजेपी ने घनश्याम सर्राफ पर चौथी बार दांव खेला है. सर्राफ पिछले 10 सालों से लगातार बीजेपी को इस सीट से जीत दिलाते आ रहे हैं. घनश्याम सर्राफ उस वक्त भी बीजेपी के लिए जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे जब साल 2009 में बीजेपी की झोली में सिर्फ 4 सीटें ही आई थी. अगर बात हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो उस वक्त भी भिवानी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी लोकसभा उम्मीदवार की जीत लगभग 58 हजार वोटों से हुई थी. ऐसे में घनश्याम सर्राफ की दावेदारी अब भी यहां से मजबूत बनी हुई नजर आ रही है.
जेपी दलाल पर बीजेपी को भरोसा है!
भिवानी के लोहारू हलके की बात करें तो 2014 में बीजेपी ने एक बार फिर जेपी दलाल को टिकट दिया है. वो पिछली बार मामूली अंतर से हार गए थे. बता दें कि इस वक्त इस सीट से इनेलो के ओम प्रकाश बारवा विधायक हैं, लेकिन माना जा रहा है कि जेजेपी के गठन के बाद इनेलो इस सीट पर अपनी पकड़ खो चुकी है, ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार यहां से टिकट निकाल सकते हैं, लेकिन अभी कांग्रेस ने अपने उम्मीदावर का ऐलान नहीं किया है, इसलिए इस सीट पर अभी कुछ साफ नजर नहीं आ रहा है.
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बीजेपी ने फिर खेला विशंभर वाल्किमी पर दांव
बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से 2014 के चुनाव में बीजेपी के विशंबर वाल्मिकी पहली बार विधायक बने थे, जिन पर बीजेपी ने अब दोबारा भरोसा जताते हुए चुनावी रण में उतारा है. वहीं अगर इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी को टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
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कौन पड़ेगा किसपर भारी ?
बता दें कि 2014 में इनेलो से बीजेपी में शामिल हुए एससी वर्ग के नेता जगदीश मिताथल अबकी बार बीजेपी की टिकट पर दावेदारी जता रहे थे. टिकट नहीं मिलने के कारण वो अब जेजेपी की ओर से चुनावी मैदार में हैं. जेजेपी द्वारा उन्हें टिकट दिए जाने के बाद बवानीखेड़ा आरक्षित हलके एससी-बी वर्ग के दो उम्मीदवार अभी मैदान में हैं, एक पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी और जगदीश मिताथल होंगे. ऐसे में मजबूत जातीय समीकरणों के बीच एससी-ए वर्ग से आने वाले बीजेपी उम्मीदवार विशंबर वाल्मिकी को इसका फायदा हो सकता है, लेकिन अगर कांग्रेस ने रामकिशन फौजी को टिकट दिया तो वो वाल्मिकी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि वो इस हलके से तीन बार लगातार विधायक रह चुके हैं.