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तोशाम विधानसभा सीट पर बीजेपी को मजबूत उम्मीदवार की दरकार! ये है समीकरण

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Published : Oct 2, 2019, 7:58 PM IST

बीजेपी ने भिवानी जिले की चार में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में पुराने चेहरों पर दांव खेला है, जबकि अब भी बीजेपी को तोशाम विधानसभा क्षेत्र से मजबूत दावेदार की तलाश है. जो किरण चौधरी को कड़ी टक्कर दे सके.

तोशाम विधानसभा सीट पर बीजेपी को मजबूत उम्मीदवार की दरका

भिवानी: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने अपने 78 महारथियों को चुनावी दंगल में उतारा है. 12 अब भी ऐसी विधानसभा सीटें है जहां बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. बता दें कि जिन 12 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है उनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां 2014 के चुनाव में बीजेपी के हाथ हार लगी थी. ऐसी ही एक सीट भिवानी जिले की तोशाम भी है. जहां बीजेपी को ऐसे चेहरे की तलाश है जो तोशाम से कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को टक्कर दे सके.

तोशाम से बीजेपी को मजबूत दावेदार की दरकार
बता दें कि बीजेपी ने भिवानी की चार में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है. जबकि अभीतक बीजेपी ने तोशाम हलके से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. जातीय समीकरणों के लिहाज से अगर बीजेपी ने तोशाम से जाट प्रत्याशी पर दांव खेला तो बीजेपी से जुड़े ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के लोग पार्टी से छिटक सकते हैं, क्योंकि इस सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की संख्या अच्छी खासी मानी जाती है.

बीजेपी के 'संटकमोचन' हैं घनश्याम सर्राफ!
अगर बात करें भिवानी विधानसभा क्षेत्र की तो बीजेपी ने घनश्याम सर्राफ पर चौथी बार दांव खेला है. सर्राफ पिछले 10 सालों से लगातार बीजेपी को इस सीट से जीत दिलाते आ रहे हैं. घनश्याम सर्राफ उस वक्त भी बीजेपी के लिए जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे जब साल 2009 में बीजेपी की झोली में सिर्फ 4 सीटें ही आई थी. अगर बात हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो उस वक्त भी भिवानी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी लोकसभा उम्मीदवार की जीत लगभग 58 हजार वोटों से हुई थी. ऐसे में घनश्याम सर्राफ की दावेदारी अब भी यहां से मजबूत बनी हुई नजर आ रही है.

जेपी दलाल पर बीजेपी को भरोसा है!
भिवानी के लोहारू हलके की बात करें तो 2014 में बीजेपी ने एक बार फिर जेपी दलाल को टिकट दिया है. वो पिछली बार मामूली अंतर से हार गए थे. बता दें कि इस वक्त इस सीट से इनेलो के ओम प्रकाश बारवा विधायक हैं, लेकिन माना जा रहा है कि जेजेपी के गठन के बाद इनेलो इस सीट पर अपनी पकड़ खो चुकी है, ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार यहां से टिकट निकाल सकते हैं, लेकिन अभी कांग्रेस ने अपने उम्मीदावर का ऐलान नहीं किया है, इसलिए इस सीट पर अभी कुछ साफ नजर नहीं आ रहा है.

ये भी पढ़िए: 7 बीजेपी विधायकों का कट चुका टिकट, अब इनका खतरे में, 12 सीट पर ऐलान बाकी

बीजेपी ने फिर खेला विशंभर वाल्किमी पर दांव
बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से 2014 के चुनाव में बीजेपी के विशंबर वाल्मिकी पहली बार विधायक बने थे, जिन पर बीजेपी ने अब दोबारा भरोसा जताते हुए चुनावी रण में उतारा है. वहीं अगर इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी को टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

ये भी पढ़िए: अभी तक डेरे ने नहीं खोले हैं पत्ते, इस बार किसे मिलेगा समर्थन?

कौन पड़ेगा किसपर भारी ?
बता दें कि 2014 में इनेलो से बीजेपी में शामिल हुए एससी वर्ग के नेता जगदीश मिताथल अबकी बार बीजेपी की टिकट पर दावेदारी जता रहे थे. टिकट नहीं मिलने के कारण वो अब जेजेपी की ओर से चुनावी मैदार में हैं. जेजेपी द्वारा उन्हें टिकट दिए जाने के बाद बवानीखेड़ा आरक्षित हलके एससी-बी वर्ग के दो उम्मीदवार अभी मैदान में हैं, एक पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी और जगदीश मिताथल होंगे. ऐसे में मजबूत जातीय समीकरणों के बीच एससी-ए वर्ग से आने वाले बीजेपी उम्मीदवार विशंबर वाल्मिकी को इसका फायदा हो सकता है, लेकिन अगर कांग्रेस ने रामकिशन फौजी को टिकट दिया तो वो वाल्मिकी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि वो इस हलके से तीन बार लगातार विधायक रह चुके हैं.

भिवानी: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने अपने 78 महारथियों को चुनावी दंगल में उतारा है. 12 अब भी ऐसी विधानसभा सीटें है जहां बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. बता दें कि जिन 12 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है उनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां 2014 के चुनाव में बीजेपी के हाथ हार लगी थी. ऐसी ही एक सीट भिवानी जिले की तोशाम भी है. जहां बीजेपी को ऐसे चेहरे की तलाश है जो तोशाम से कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को टक्कर दे सके.

तोशाम से बीजेपी को मजबूत दावेदार की दरकार
बता दें कि बीजेपी ने भिवानी की चार में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है. जबकि अभीतक बीजेपी ने तोशाम हलके से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. जातीय समीकरणों के लिहाज से अगर बीजेपी ने तोशाम से जाट प्रत्याशी पर दांव खेला तो बीजेपी से जुड़े ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के लोग पार्टी से छिटक सकते हैं, क्योंकि इस सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की संख्या अच्छी खासी मानी जाती है.

बीजेपी के 'संटकमोचन' हैं घनश्याम सर्राफ!
अगर बात करें भिवानी विधानसभा क्षेत्र की तो बीजेपी ने घनश्याम सर्राफ पर चौथी बार दांव खेला है. सर्राफ पिछले 10 सालों से लगातार बीजेपी को इस सीट से जीत दिलाते आ रहे हैं. घनश्याम सर्राफ उस वक्त भी बीजेपी के लिए जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे जब साल 2009 में बीजेपी की झोली में सिर्फ 4 सीटें ही आई थी. अगर बात हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो उस वक्त भी भिवानी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी लोकसभा उम्मीदवार की जीत लगभग 58 हजार वोटों से हुई थी. ऐसे में घनश्याम सर्राफ की दावेदारी अब भी यहां से मजबूत बनी हुई नजर आ रही है.

जेपी दलाल पर बीजेपी को भरोसा है!
भिवानी के लोहारू हलके की बात करें तो 2014 में बीजेपी ने एक बार फिर जेपी दलाल को टिकट दिया है. वो पिछली बार मामूली अंतर से हार गए थे. बता दें कि इस वक्त इस सीट से इनेलो के ओम प्रकाश बारवा विधायक हैं, लेकिन माना जा रहा है कि जेजेपी के गठन के बाद इनेलो इस सीट पर अपनी पकड़ खो चुकी है, ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार यहां से टिकट निकाल सकते हैं, लेकिन अभी कांग्रेस ने अपने उम्मीदावर का ऐलान नहीं किया है, इसलिए इस सीट पर अभी कुछ साफ नजर नहीं आ रहा है.

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बीजेपी ने फिर खेला विशंभर वाल्किमी पर दांव
बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से 2014 के चुनाव में बीजेपी के विशंबर वाल्मिकी पहली बार विधायक बने थे, जिन पर बीजेपी ने अब दोबारा भरोसा जताते हुए चुनावी रण में उतारा है. वहीं अगर इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी को टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

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कौन पड़ेगा किसपर भारी ?
बता दें कि 2014 में इनेलो से बीजेपी में शामिल हुए एससी वर्ग के नेता जगदीश मिताथल अबकी बार बीजेपी की टिकट पर दावेदारी जता रहे थे. टिकट नहीं मिलने के कारण वो अब जेजेपी की ओर से चुनावी मैदार में हैं. जेजेपी द्वारा उन्हें टिकट दिए जाने के बाद बवानीखेड़ा आरक्षित हलके एससी-बी वर्ग के दो उम्मीदवार अभी मैदान में हैं, एक पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी और जगदीश मिताथल होंगे. ऐसे में मजबूत जातीय समीकरणों के बीच एससी-ए वर्ग से आने वाले बीजेपी उम्मीदवार विशंबर वाल्मिकी को इसका फायदा हो सकता है, लेकिन अगर कांग्रेस ने रामकिशन फौजी को टिकट दिया तो वो वाल्मिकी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि वो इस हलके से तीन बार लगातार विधायक रह चुके हैं.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 2 अक्तूबर।
भिवानी जिले की चार विधानसभा सीटों पर भाजपा की स्थिति पर विशेष रिपोर्ट
जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से तीन पुराने चेहरों पर भाजपा ने जताया विश्वास
राजनीतिक समीकरणों का ख्याल रख बांटी टिकट
भाजपा द्वारा टिकटों के वितरण के बाद भिवानी जिला में राजनीति एकाएक तेज हो गई हैं। जिले के विधानसभा क्षेत्र भिवानी, बवानीखेड़ा व लोहारू में भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवारों को ही मेदान में उतारा हैं, जबकि तोशाम विधानसभा क्षेत्र से स्थानीय भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह से विचार-विमर्श कर उम्मीदवार उतारा जाएगा। क्योंकि सांसद धर्मबीर सिंह तोशाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके है तथा उनका इस क्षेत्र में खासा प्रभाव हैं।
Body: राजनतिक समीकरणों की बात करें तो भिवानी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक घनश्याम सर्राफ चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे पिछले 10 सालों से लगातार भाजपा से यहां से विधायक रहे है। 2009 में जब मात्र भाजपा की चार सीटे होती थी, उस समय भी भिवानी से घनश्याम सर्राफ भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। बीते लोकसभा चुनाव में भी भिवानी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार की जीत 58 हजार के लगभग हुई थी। ऐसे में घनश्याम सर्राफ की दावेदारी अब भी यहां से मजबूत बन रही है। क्योंकि कांग्रेस को भिवानी विधानसभा क्षेत्र से कोई मजबूत उम्मीवार नहीं मिल पा रहा हैं।
बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से 2014 के चुनाव में विशंबर वाल्मिकी पहली बार विधायक बनकर आएं थे, जिन पर भाजपा ने अब दोबारा भरोसा जताते हुए टिकट दी है। उनकी टक्कर कांग्रेस के पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी से होगी। आरक्षित सीट होने के कारण जातिगत समीकरणों के चलते एससी-ए व एससी-बी वर्ग के वोटों के बंटवारे में भाजपा यहां से मोर्चा मार सकती हैं। वर्ष 2014 में इनेलो से भाजपा में शामिल हुए एससी ए वर्ग के नेता जगदीश मिताथल अबकी बार भाजपा की टिकट पर दावेदारी जता रहे थे। टिकट न मिलने के कारण वे अब जजपा में शामिल हो गए हैं। जजपा द्वारा उन्हे टिकट दिए जाने के बाद बवानीखेड़ा आरक्षित हलके में एससी-बी वर्ग के दो उम्मीदवार हो जाएंगे, जिनमें पूर्व संसदीय सचिव रामकिशन फौजी व जगदीश मिताथल होंगे। ऐसे में मजबूत जातीय समीकरणों के बीच एससी-ए वर्ग से संबंध रखने वाले भाजपा उम्मीदवार विश्ंाबर वाल्मिकी को लाभ हो सकता हैं। परन्तु यहां से कांग्रेस के रामकिशन फौजी तीन बार लगातार विधायक रहने के कारण काफी लोकप्रिय हैं। जो उन्हे कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
Conclusion: लोहारू हलके की बात करें तो 2014 में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ते हुए मामूली अंतर से हारे जेपी दलाल को फिर से टिकट दी गई है। यह सीट पिछली बार इनेलो के पास थी। इनेलो पार्टी से जननायक जनता दल के गठन होने के बाद अब इसी तरफ इनेलो की मजबूती नहीं रही। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार यहां से टिकट निकाल सकते हैं। लेकिन अंतिम निर्णय कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही पता चल पाएगा। तोशाम हलके की बात करें तो यहां से भाजपा कद्दावर नेता किरण चौधरी के सामने बड़े चेहरे की तलाश कर रही है, जिसमें भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह मुख्य भूमिका निभा रहे है। इसी पर भाजपा कल अपना उम्मीवार घोष्ज्ञित करेंगी।
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