भिवानी: भाजपा सरकार एक तरफ तो राम राज लाने की बात कर रही है. वहीं दूसरी ओर 1983 हरियाणा शारीरिक शिक्षकों के साथ भेदभाव की नीति अपना रही है. जिसको हरियाणा शारीरिक शिक्षक किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे. ये बात लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए जिला प्रधान दिलबाग जांगड़ा ने कही.
इस दौरान सभी आंदोलनकारियों और उनके साथ आए बच्चों ने मोर्चा संभालते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. बसपा जिला प्रधान श्रीभगवान दहिया, पूर्व प्रत्याशी अमित वाल्मीकि, ज्ञान सिंह बागड़ी बीएसपी नेता ने मुख्यमंत्री को सांपनाथ व उप-मुख्यमंत्री को नागनाथ की उपाधि देते हुए कहा कि इन दोनों ने पूरे हरियाणा में हाहाकार मचाकर रख दिया है,
उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक वर्ग इनकी नीतियों से नाखुश है. कर्मचारी वर्ग का लगातार शोषण किया जा रहा है. वर्ष 2010 में लगे 1983 पीटीआई को बाहर का रास्ता दिखाकर सरकार ने अपनी औच्छी मानसिकता दिखा दी है. अगर सरकार चाहे तो विधानसभा में बिल लाकर दस वर्ष के अनुभव के आधार पर नौकरी पर रखा जा सकता है. इससे सरकार की वाहवाही होगी और कर्मचारियों के आश्रितों को भी दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी.
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी गई थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी हैं.
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए हरियाणा सरकार ने इसी साल 1983 पीटीआई शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है. जिसके बाद से प्रदेशभर में पीटीआई शिक्षकों की बहाली को लेकर प्रदर्शन जारी है.
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