भिवानी: हरियाणा में भिवानी के हालुवास गेट स्थित बाबा जहरगिरी आश्रम में शनिवार को श्रीश्री 1008 परमहंस बाबा जहरगिरी महाराज की पुण्यतिथि के (Baba Jahargiri Maharaj death anniversary) अवसर पर वार्षिक भंडारे एवं संत समागम का आयोजन किया गया. इस मौके पर देश भर से आए साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं ने बाबा जहरगिरी को नमन कर मनोकामनाएं मांगी. बता दे कि वार्षिक भंडारे (Annual Bhandara organized in bhiwani) को लेकर जहरगिरी आश्रम को भव्य तरीके से सजाया गया. जिसके लिए विशेष तौर पर पुणे से लाईटें राहुल गोस्वामी व बंटी गोस्वामी द्वारा लाई गई है.
जहरगिरी आश्रम ना केवल भिवानी वासियों तथा ख्बल्कि प्रदेश व देश की जनता के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां पर जो श्रद्धालु सच्ची आस्था से मनोकामना मांगता है बाबा जहररिगी उसे हर कष्ट व पीड़ा से मुक्ति दिलाते है. शनिवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 108 कलशों द्वारा दुर्लभ औषधियों, जड़ी-बुटियों, नवररत्नों, सप्त अमृत, सप्त धातु एवं सप्त नदियों के जल से बाबा का अभिषेक करते हुए 56 भोग का प्रसाद लगाया गया.
कांशी विश्व मंदिर के पुजारी एवं बटुकों द्वारा यजुर्वेद के मंत्रों के पाठ, ऋगवेद की ऋचाओं का उद्घोष, सामवेद का सामगान और अथर्वदेव के मंत्रों का चतुर्वेद पारायण द्वारा वेद मंत्रों का पाठ किया गया. विश्व कल्याण के लिए किए हवन में महंत अशोक गिरी ने मुख्य आहुति दी. इस दौरान हरिद्वार से मंगवाए गए सवा लाख लीटर गंगाजल से भंडारे (Annual Bhandara organized in bhiwani)का प्रसाद बनाया गया.
इस दौरान डॉ. जेबी गुप्ता अस्पताल की टीम द्वारा नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया गया. जिसमें सैंकड़ों लोगों ने अपने स्वास्थ्य की जांच करवाई. इस वर्ष भंडारे के दौरान 251 किलोग्राम चांदी से सजाई गई बाबा जहरगिरी की समाधि विशेष आकर्षण का केंद्र रही. जिसे देखने के लिए भी दूर-दराज से लोग यहां पहुंचे. बाबा जहरगिरी की समाधि पर (Baba Jahargiri tomb decorated silver ornaments) किए गए चांदी के श्रृंगार की कारीगारी में 12 कारीगरों को 60 दिन का समय लगा था जो कि जयपुर से पूरी तरह से तैयार होकर भिवानी पहुंची थी.
समाधि पर किए गए श्रृंगार की खास बात यह है कि इस पर कारीगारों द्वारा बेहतरीन कला का प्रदर्शन करते हुए छवि उकेरी गई है. जो कि इस समाधि के श्रृृंगार को चार चांद (Baba Jahargiri tomb decorated silver ornaments) लगाती है. इस मौके पर श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी जी महाराज एवं आश्रम के पीठाधीश्वर अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत जूना अखाड़ा डॉ. अशोक गिरी महाराज ने बाबा जहरगिरी की पुण्यतिथि पर आयोजित हुए भंडारे को दूसरे कुंभ का रूप बताया.
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उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में साधु-संत कुंभ मेले के बाद यहां देखने को मिले है. उन्होंने कहा कि भिवानी को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है. तथा यहां के लोग धार्मिक कार्यक्रमों में विशेष रूचि रखते है. उन्होंने कहा कि बाबा जहरगिरी आश्रम के प्रति ना केवल छोटी कांशी बल्कि देश भर के लोगों में विशेष आस्था है. इसीलिए हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण यहां पहुंचते हैं.
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