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कोरोना बना टाइल्स कारोबार के लिए 'काल', मंदा हुआ धंधा, कारीगर भी कंगाल!

हरियाणा के अंबाला जिले में टाइल्स निर्माताओं के लिए भी ये वक्त काफी मुश्किल साबित हो रहा है. कारोबारियों की सरकार से लंबे समय से मांग है कि सरकार उन्हें जीएसटी में रियायत दे. साथ ही बिजली की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए ताकि उनका कारोबार फिर पटरी पर आ पाए.

Tiles business in Ambala has come to a standstill due to Corona
कोरोना बना टाइल्स कारोबार के लिए 'काल'
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Published : Aug 28, 2020, 9:27 PM IST

अंबाला: कोरोना ने पूरे अर्थचक्र को हिला कर रख दिया है. लॉकडाउन में ऐसा कोई व्यवसाय नहीं बचा जो संक्रमण की चपेट में नहीं आया. लॉकडाउन के पिछले चार महीनों का समय व्यापारियों के लिए एक भयानक तूफान की तरह साबित हुआ. जो आया और उनके व्यवासाय को पूरी तरह झकझौर गया. कुछ कारोबार पूरी तरह से ठप हो गए, तो कुछ आज तक पटरी पर नहीं आए.

कोरोना बना कारोबारियों के लिए 'काल'

हरियाणा के अंबाला जिले में टाइल्स निर्माताओं के लिए भी ये वक्त काफी मुश्किल साबित हो रहा है. अंबाला शहर में विशाल गेरा पिछले 23 सालों से एशियन टाइल्स कंपनी के नाम से टाइल बनाने का कारोबार करते हैं. पिछले कुछ सालों में इनका काम सफलताओं को छू रहा था, लेकिन ये कारोना संक्रमण इनके व्यवसाय पर काल बनकर टूट पड़ा.

कोरोना बना टाइल्स कारोबार के लिए 'काल', देखिए वीडियो

रॉ मटैरियल की किल्लत

आज विशाल गेरा का बिजनेस मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है. हालात ये हो गए हैं कि उन्हें दर्जनभर से भी कम कारीगरों की सैलरी देना भी बोझ लग रहा है. उनके पास अगर थोड़ा-बहुत ऑर्डर भी आ रहा है तो कच्चा माल नहीं आ रहा है. हालांकि कच्चा माल आस-पास के इलाकों से ही आता है, लेकिन नए नियमों की वजह से रॉ मैटेरियल को कंपनी तक लाना परेशानियों से भरा सबब होता है.

सरकार से राहत की दरकार

विशाल गेरा का कहना है कि व्यापारियों का सरकार से लंबे समय से मांग है कि सरकार उन्हें जीएसटी में रियायत दे. साथ ही बिजली की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए ताकि उनका कारोबार फिर पटरी पर आ पाए.

लोन लेंगे तो भरेंगे कैसे- कंपनी मालिक

वहीं जब उनसे पूछा गया कि केंद्र सरकार की तरफ से 20 हजार करोड़ रुपये का लोन सभी वर्ग के व्यापारियों के लिए मुहैया करवाया गया है, क्या इसके लिए उन्होंने आवेदन नहीं किया. इस सवाल पर विशाल गेरा का कहना है कि सरकार ने लोन देने का प्रावधान तो कर दिया, लेकिन इसकी क्या गारंटी की अगले 6 महीने में वो किस्त भरने वाली हालात में होंगे? आगे व्यापार के लिए क्या परिस्थितियां होंगी ये कोरोबारी को सोच समझ कर लोन लेना है, ऐसे में ज्यादातर व्यापारियों के लिए ये योजना नाकाम है.

'मजदूरों की सैलरी भी नहीं हो रही पूरी'

हालांकि लॉकडाउन के दौरान पलायन हुए मजदूर दोबारा कंपनियों में लौटे हैं, लेकिन उतने कारीगर नहीं वापस आए, जितने मार्च महीने में काम कर रहे थे. विशाल का कहना है कि बिजनेस काफी बुरी स्थिति में है. पहले हमारे यहां जहां 10-12 कारीगर और बाकी स्टाफ था, आज 3-4 कारीगरों को सैलरी दे पाना भी मुश्किल हो चुका है, क्योंकि टाइल्स का काम कंस्ट्रक्शन बंद होने के चलते ठप पड़ा हुआ है.

कोरोना ने जिंदगी आफत में डाल दी- कारीगर

हमारी टीम ने टाइल बनाने वाले कारीगरों से भी बातचीत की. यूपी के रहने वाले बबलू कहते हैं कि लॉकडाउन लगते ही वो अपने घर यूपी चले गए थे. कुछ दिन रहे भी, लेकिन पैसों की किल्लत के चलते उन्हें वापस आना पड़ा. जैसे-तैसे पैदल ही यूपी से वापस अंबाला पहुंचे हैं. वहीं श्रीकांत नाम के दूसरे कारीगर का कहना है कि अब यहां आकर भी हालात बेहतर नहीं हुए. जब मालिक के पास ही काम नहीं तो हमारा क्या होगा, हमें ये डर लगातार सता रहा है कि परिवार को किस तरह सींचा जाए.

ये पढ़ें- कोरोना में कमाई ठप, ऑनलाइन के लिए स्मार्टफोन नहीं, मां-बाप ने बंद कर दी लड़कियों की पढ़ाई

अंबाला: कोरोना ने पूरे अर्थचक्र को हिला कर रख दिया है. लॉकडाउन में ऐसा कोई व्यवसाय नहीं बचा जो संक्रमण की चपेट में नहीं आया. लॉकडाउन के पिछले चार महीनों का समय व्यापारियों के लिए एक भयानक तूफान की तरह साबित हुआ. जो आया और उनके व्यवासाय को पूरी तरह झकझौर गया. कुछ कारोबार पूरी तरह से ठप हो गए, तो कुछ आज तक पटरी पर नहीं आए.

कोरोना बना कारोबारियों के लिए 'काल'

हरियाणा के अंबाला जिले में टाइल्स निर्माताओं के लिए भी ये वक्त काफी मुश्किल साबित हो रहा है. अंबाला शहर में विशाल गेरा पिछले 23 सालों से एशियन टाइल्स कंपनी के नाम से टाइल बनाने का कारोबार करते हैं. पिछले कुछ सालों में इनका काम सफलताओं को छू रहा था, लेकिन ये कारोना संक्रमण इनके व्यवसाय पर काल बनकर टूट पड़ा.

कोरोना बना टाइल्स कारोबार के लिए 'काल', देखिए वीडियो

रॉ मटैरियल की किल्लत

आज विशाल गेरा का बिजनेस मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है. हालात ये हो गए हैं कि उन्हें दर्जनभर से भी कम कारीगरों की सैलरी देना भी बोझ लग रहा है. उनके पास अगर थोड़ा-बहुत ऑर्डर भी आ रहा है तो कच्चा माल नहीं आ रहा है. हालांकि कच्चा माल आस-पास के इलाकों से ही आता है, लेकिन नए नियमों की वजह से रॉ मैटेरियल को कंपनी तक लाना परेशानियों से भरा सबब होता है.

सरकार से राहत की दरकार

विशाल गेरा का कहना है कि व्यापारियों का सरकार से लंबे समय से मांग है कि सरकार उन्हें जीएसटी में रियायत दे. साथ ही बिजली की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए ताकि उनका कारोबार फिर पटरी पर आ पाए.

लोन लेंगे तो भरेंगे कैसे- कंपनी मालिक

वहीं जब उनसे पूछा गया कि केंद्र सरकार की तरफ से 20 हजार करोड़ रुपये का लोन सभी वर्ग के व्यापारियों के लिए मुहैया करवाया गया है, क्या इसके लिए उन्होंने आवेदन नहीं किया. इस सवाल पर विशाल गेरा का कहना है कि सरकार ने लोन देने का प्रावधान तो कर दिया, लेकिन इसकी क्या गारंटी की अगले 6 महीने में वो किस्त भरने वाली हालात में होंगे? आगे व्यापार के लिए क्या परिस्थितियां होंगी ये कोरोबारी को सोच समझ कर लोन लेना है, ऐसे में ज्यादातर व्यापारियों के लिए ये योजना नाकाम है.

'मजदूरों की सैलरी भी नहीं हो रही पूरी'

हालांकि लॉकडाउन के दौरान पलायन हुए मजदूर दोबारा कंपनियों में लौटे हैं, लेकिन उतने कारीगर नहीं वापस आए, जितने मार्च महीने में काम कर रहे थे. विशाल का कहना है कि बिजनेस काफी बुरी स्थिति में है. पहले हमारे यहां जहां 10-12 कारीगर और बाकी स्टाफ था, आज 3-4 कारीगरों को सैलरी दे पाना भी मुश्किल हो चुका है, क्योंकि टाइल्स का काम कंस्ट्रक्शन बंद होने के चलते ठप पड़ा हुआ है.

कोरोना ने जिंदगी आफत में डाल दी- कारीगर

हमारी टीम ने टाइल बनाने वाले कारीगरों से भी बातचीत की. यूपी के रहने वाले बबलू कहते हैं कि लॉकडाउन लगते ही वो अपने घर यूपी चले गए थे. कुछ दिन रहे भी, लेकिन पैसों की किल्लत के चलते उन्हें वापस आना पड़ा. जैसे-तैसे पैदल ही यूपी से वापस अंबाला पहुंचे हैं. वहीं श्रीकांत नाम के दूसरे कारीगर का कहना है कि अब यहां आकर भी हालात बेहतर नहीं हुए. जब मालिक के पास ही काम नहीं तो हमारा क्या होगा, हमें ये डर लगातार सता रहा है कि परिवार को किस तरह सींचा जाए.

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