अंबाला: इस हफ्ते दिल्ली के मालवीय नगर में ढाबा चलाने वाले बाबा का एक वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो के वायरल होने के बाद तो बाबा का ढाबा चल पड़ा, सेलिब्रेटी, नेता और आम लोगों ने दिल खोल कर बाबा का सहयोग किया, लेकिन सोचने की बात है कि नाजाने कितने ऐसे छोटे दुकानदार, रेहड़ी वाले, फड़ी लगाने वाले इस महामारी की चपेट में आए और उनका धंधा चौपट हो गया. ईटीवी भारत की टीम ने भी ऐसे ही रेहड़ी-फड़ी पर खाने पीने की चीजें बेचने वालों से उनका हाल जाना. जो हर रोज अपनी दुकान लगाते तो हैं, लेकिन उनका दिन ग्राहकों के इंतजार में ही खत्म हो जाता है.
स्कूल कॉलेज खुलें तो काम चले- जूस विक्रेता
ईटीवी भारत के साथ बातचीत में ठेले पर जूस बेचने वाले धर्मेंद्र ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते आमजन रेहड़ी फड़ी वालों से खाने और पीने का सामान नहीं लेते. जिस वजह से उनका घर का खर्चा ही नहीं चल रहा है. उनका कहना है कि जब तक स्कूल और कॉलेज नहीं खुलते हैं. उनके व्यवसाय में किसी भी तरह की तेजी नहीं आएगी. उन्होंने सरकार से गुजारिश की कि जल्द से जल्द स्कूल और कॉलेजों को खोला जाए ताकि उनका व्यवसाय पटरी पर लौट सके.
कोरोना ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया- कुलचा विक्रेता
छावनी में ही कुलचे की रेहड़ी लगाने वाले लेखराज का कहना है कि इस कोरोना ने उनका जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया. वो कर्जे में डूब गए हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि अनलॉक में वह दिन के सिर्फ 200 से 300 रुपये ही कमा पाते हैं. जिस वजह से उनके घर का खर्चा निकलना भी बड़ा मुश्किल हो जाता है.
'लॉकडाउन ने बढ़ाई परेशानी'
शहर में जूस की रेहड़ी चलाने वाले सतीश का कहना है कि बच्चों की स्कूल की फीस तक नहीं दे पा रहे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह करजाई हो चुके हैं. जिस वजह से जितना कमाते हैं उसका एक तिहाई बचा कर रखते हैं ताकि कर्जदारों कर्ज से मुक्ति मिल पाए. वहीं उनसे जब पूछा गया कि आप लोग मास्क और ग्लब्स क्यों नहीं पहनते. तो उन्होंने कहा कि मास्क तो पहनते हैं लेकिन ग्लब्स पहनने में ज्यादा पसीना आ जाता है. जिस वजह से वह ग्लब्स नहीं पहनते. हाथों को सैनिटाइज करके ही सारे काम करते हैं.
सुरक्षा नियमों का पालन तो होना जरूरी है- ग्राहक
वहीं जब हमने ग्राहकों से बातचीत की तो उनका कहना है कि लोग हाईजीन की वजह से ही रेहड़ी और बाहरी खाने से परहेज कर रहे हैं. उन्होंने रेहड़ी फड़ी वालों के ग्लब्स ना पहनने को लेकर खासी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इनको कोरोना महामारी के मद्देनजर ग्लब्स पहनने चाहिए, क्योंकि ये सभी के स्वास्थ्य का मसला है. जिसके लिए तमाम नियमों को सख्ती से मानना चाहिए.
यकीनन कोरोना काल से पहले गरीब छोटे दुकानदार जो खान-पान की चीजें बेचकर गुरज कर रहे थे. वो इन परिस्थितियों में बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में इन दुकानदारों को अपना काम चलाने के लिए कोरोना नियमों का पालन तो करना चाहिए, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है, इन लोकल फूड सेलर्स को स्पोर्ट करने की, ताकि दिल्ली के बाबा की तरह देश के लाखों छोटे दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान आए.
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